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कृतिका नक्षत्र

कृतिका (मेष 26°40′ से वृषभ10°)

रात के आसमान में कृतिका नक्षत्र सात तारा समूह के रूप में दिखाई देता है जिन्हें प्लियाडेस कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में कृतिका नक्षत्र मेष राशि के साथ-साथ वृषभ राशि में भी विस्तारित है। कृतिका का अर्थ है “वह जो काटता है” अर्थात यह नक्षत्र एक उस्तरे या तेज वस्तु का प्रतीक है| इस प्रकार यह नक्षत्र रचनात्मक और विनाशकारी दोनों प्रवृतियों को प्रदर्शित करता है| कृतिका नक्षत्र अग्नि तत्व का प्रतीक भी है क्योंकि इस नक्षत्र के देवता अग्निदेव हैं| जो लोग इस नक्षत्र में पैदा होते हैं वे लड़ाकू व उग्र होते हैं| यह नक्षत्र सूर्य द्वारा शासित है जो अग्नि के अतिरिक्त उच्चतम स्तर की शुद्धि का प्रतीक है| कृतिका नक्षत्र में पैदा हुए लोग मूलतः साहसी होते हैं तथा वे लगातार नई जानकारियाँ व अनुभव प्राप्त करने की तलाश में रहते हैं| इस नक्षत्र में पैदा हुए लोग शारीरिक रूप से काफी सक्रिय व उर्जावान होते हैं| भगवान कार्तिकेय(मुरुगा) जिनका पालन-पोषण सात ऋषियों की सात पत्नियों द्वारा हुआ था, वे भी इस नक्षत्र से संबंधित हैं| इस नक्षत्र की कठोर प्रवृति के पीछे पोषकता का गुण भी छिपा हुआ है| इस नक्षत्र में पैदा हुए लोग आमतौर पर शिक्षण व विश्व विद्यालयों से जुड़े होते हैं| उनकी वाणी तीक्ष्ण होती है तथा वे अपूर्णता से घृणा करते हैं परंतु फिर भी उनके पास अद्भुत इच्छा शक्ति, स्वतंत्रता व दूसरों की सहायता करने की शक्ति होती है। यह नक्षत्र साहस, जागरूकता व शुद्धिकरण से संबंधित है|

सामान्य विशेषताएँ: महानता प्राप्त करने के लिए दृढ संकल्पित; दृढ़ इच्छाशक्ति; तीव्र, काटने व भेदने वाली प्रवृति
अनुवाद: “काटने वाला”
प्रतीक: उस्तरा, कुल्हाड़ी, ज्वाला
पशु प्रतीक: मादा भेड़
अधिपति देव: अग्निदेव और भगवान मुरुगा (कार्तिकेय)
शासक ग्रह: सूर्य
सूर्य ग्रह के अधिपति देव: शिव
प्रकृति: राक्षस (दानव)
ढंग: सक्रिय
संख्या: 3
लिंग: स्त्री
दोष: कफ
गुण: रजस
तत्व: पृथ्वी
प्रकृति: मिश्रित (तीव्र व मृदु)
पक्षी: मोर
सामान्य नाम: अंजीर
वानस्पतिक नाम: फिकसरेसमोसा
बीज ध्वनि: आ, ई, ऊ, ऐ (कृतिका के पद देखें)
ग्रह से संबंध: मेष राशि के स्वामी के रूप में मंगल तथा वृषभ राशि के स्वामी के रूप में शुक्र इस नक्षत्र से संबंधित है|

प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में विभाजित किया जाता है जिन्हें पद कहते हैं| कृतिका नक्षत्र के विभिन्न पदों में जन्म लेने वाले लोगों के अधिक विशिष्ट लक्षण होते हैं:

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पद:

प्रथम पद मेष राशि का 26°40′ – 30°00′ भाग गुरु ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: आ
सूचक शब्द: खोजपूर्ण
द्वितीय पद वृषभ राशि का 00°00′ – 03°19′ भाग शनि ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: ई
सूचक शब्द: भौतिक
तृतीय पद वृषभ राशि का 03°20′ – 06°39′ भाग शनि ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: ऊ
सूचक शब्द: मानवीय
चतुर्थ पद वृषभ राशि का 06°40′ – 09°59′ भाग गुरु ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: ऐ
सूचक शब्द: सर्जनात्मक अभिव्यक्ति

शक्ति: अपने समूह के भीतर प्रसिद्ध, रूपवान, आत्म प्रेरित, एक दृढ संकल्पित प्राप्तिकर्ता, भौतिकतावादी और संपतिवान, उज्ज्वल, अच्छी क्षुधा वाला, लक्ष्य उन्मुख, प्रतिष्ठित, जिस कार्य को करते हैं उसमें गर्व महसूस करते हैं, अच्छे नेता, सम्मान, प्रतिबद्धता, आत्मविश्वासी, साहसी , स्पष्ट वक्ता, शांतिपूर्ण प्रकृति, महत्वाकांक्षी

कमजोरियाँ: अस्थिर मति, संदेहास्पद विचार, संशयशील, जिद्दी, असंतुष्ट, अधीर, चुनौतियों के प्रति बहुत दृढ़तापूर्वक प्रतिक्रिया देता है, लक्ष्यों या अपेक्षाओं को बहुत ऊंचा रखता है, निरंतर गतिविधियों से ख़राब स्वास्थ्य, तंत्रिका तंत्र, उत्तेजित, आक्रामक, निष्क्रिय-आक्रामक, झगड़ालू प्रकृति, लालची, इच्छाओं से प्रेरित, बच्चे जैसा व्यवहार

कार्यक्षेत्र: प्राधिकरण या प्रबंधन, सेनापति, समालोचक, अध्यापक, विश्वविद्यालय से जुड़े व्यवसाय, वकील, न्यायाधीश, तकनीकी व्यवसाय, तलवार व चाक़ू जैसी नुकीली वस्तुओं से संबंधित कोई भी क्षेत्र, बाड़ लगाने से संबंधित क्षेत्र, धनुर्धर, लोहार, जौहरी, शल्य-चिकित्सक, विस्फोटक या अग्नि से जुड़े व्यवसाय, दमकल कर्मी, पुलिस, सेना, खान-मज़दूर, रसोइया, पुनर्वास विशेषज्ञ, प्रेरक प्रशिक्षक, मिट्टी से जुड़े क्षेत्र, आध्यात्मिक शिक्षक, बालों की साज-सज्जा करने वाला, दर्जी, अनाथ आश्रम से जुड़े कार्य

भरणी नक्षत्र में जन्में प्रसिद्ध लोग: बिल क्लिंटन, रोनाल्ड रीगन, मिक जैगर, ग्रेगरी पेक, बॉब डायलान, फ्रिडा काहलो

अनुकूल गतिविधियां: नई परियोजनाएं शुरू करना, साहसिक कार्य, आत्मबल या ईमानदारी से जुड़े कार्य, सैन्य रणनीतियाँ, आकस्मिक परिवर्तन, पुरानी आदतों से छुटकारा, अग्नि या गर्मी से जुड़े कार्य, शिक्षा का प्रारंभ, विवाद करना, पाक-कला व सिलाई से जुड़े कार्य, तथा कई अन्य गतिविधियों के लिए अनुकूल|

प्रतिकूल गतिविधियां: कूटनीति, सामाजिक गतिविधियाँ, विश्राम, या जल संबंधी कार्य

पवित्र मंदिर: कांझनाहरम श्री घत्रसुंदरेश्वर

कृतिका नक्षत्र से संबंधित सर्वाधिक महत्वपूर्ण मंदिर भारत में तमिलनाडु के कांझनाहरम गाँव में मयिलाडुथुरई के निकट स्थित है| यह मंदिर कृतिका नक्षत्र में पैदा हुए लोगों के लिए सर्वाधिक शुभ है तथा उन्हें भगवान शिव को चढ़ावा अर्पित करने के लिए इस मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए|

इस पवित्र शक्तिस्थल पर भगवान शिव श्री कथर सुंदरेश्वर के रूप में प्रकट हुए थे| कथर शब्द का अर्थ “विशिष्ट क्षमता का टिके रहना” है| कथर ज्योति योग करते हुए भगवान शिव स्थिरता की अवस्था में थे। देवी पार्वती ने तपस्या करते हुए उन्हें एक सुनहरा कच्चा नारियल अर्पित किया जिससे भगवान शिव को गहन शांति की प्राप्ति हुई| कथर ज्योति योग की इस गहरी अवस्था में भगवान शिव श्री कथर ज्योति पेरुमन के रूप में उत्पन्न हुए तथा देवी पार्वती सुनहरे नारियल से श्री तुंगबाला स्थानमबिघई के रूप में प्रकट हुई| कार्तिक सुंदरेश्वर में कार्तिगम प्रकाश के नाम से प्रसिद्ध छह शानदार रोशनी को उत्पन्न करने की क्षमता है जिसके द्वारा भगवान मुरुगा की उत्पत्ति हुई|

देवी श्री तुंगबाला स्थानमबिघई की इस पवित्र मंदिर में पूजा की जाती है| उनके बाएँ कंधे पर कीरा सथरा नामक तोता विराजमान है| यह तोते वेद व दर्शन का उच्चारण करता है जिसे वेदमिर्था किरण के नाम से जाना जाता है| परिपक्व उम्र की युवतियों का विवाह पूर्व इस मंदिर के दर्शन करना शुभ माना जाता है| इसके अतिरिक्त देवी का अभिषेक करने के लिए तुंगभात्र नामक पवित्र नदी के जल का प्रयोग किया जाना चाहिए। जो लोग इस मंदिर की यात्रा करते हैं तथा भोग अर्पित करते हैं वे बुरी नज़र और अष्टम भाव के चुनौतीपूर्ण गोचरीय प्रभाव से मुक्त हो जाते हैं|

कृतिका नक्षत्र में पैदा हुए लोगों को घृत दीपक, मिट्टी का घड़ा व रेशमी वस्त्र इस मंदिर में ग़रीबों को दान करना चाहिए| चूंकि कृतिका नक्षत्र ने इस मंदिर से अपनी चमक प्राप्त की थी इसलिए कृतिका नक्षत्र दिवस पर यहाँ प्रार्थना करने से समृद्धि की प्राप्ति होती है|

कृतिका नक्षत्र में जन्में लोगों के लिए वेदों द्वारा निर्धारित धूप अंजीर नामक जड़ी-बूटी से निर्मित है|

इस धूप को जलाना उस विशिष्ट नक्षत्र हेतु एक लघु यज्ञ अनुष्ठान करने के समान है| एक विशिष्ट जन्मनक्षत्र के निमित किए गए इस लघु अनुष्ठान द्वारा आप अपने ग्रहों की आन्तरिक उर्जा से जुड़कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में सक्षम होंगे|

एक विशिष्ट नक्षत्र दिवस पर अन्य नक्षत्र धूपों को जलाने से आप उस दिन के नक्षत्र की ऊर्जा से जुड़कर अनुकूल परिणाम प्राप्त करते हैं| आपको यह सलाह दी जाती है कि आप कम से कम अपने व्यक्तिगत नक्षत्र से जुड़ी धूप को प्रतिदिन जलाएं ताकि आपको उस नक्षत्र से जुड़ी सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती रहे|

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