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मांगलिक दोष

मांगलिक दोष क्या है? मांगलिक दोष के प्रभाव और उपाय सहित हर महत्वपूर्ण जानकारी

हमारे जन्म के समय मौजूद ग्रहों की स्थिति का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। हमारे जन्म के समय ग्रहों की स्थिति हमारे आने वाले जीवन को खुशहाल और दुखों से भर सकती है। जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन को अच्छे या बुरे दोनों ही तरह से प्रभावित कर सकती है। जब जन्म कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति से हमें लाभ होता है तो हम उन्हें योग कहते हैं और जब किसी ग्रह की स्थिति हमारे लिए नकारात्मक होती तो उसे दोष के नाम से जाना जाता है। आज हम एक कुंडली में बनने वाले ऐसे ही एक दोष मांगलिक दोष के बारे में बात करेंगे। इस लेख के माध्यम से हम जानने का प्रयास करेंगे कि मांगलिक दोष क्या है, मांगलिक दोष के नुकसान और मांगलिक दोष के उपाय साथ ही हम कुंडली में मांगलिक दोष कैसे देखें जैसे सवालों का भी जवाब आपको देंगे।

मांगलिक दोष क्या है?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के जन्म के समय मंगल का प्रभाव होता है, तो उसे मांगलिक कहा जाता है। मांगलिक दोष को मंगल दोष, भौम दोष, कुजा दोष या अंगारक दोष भी कहा जाता है। मंगल लग्न में होने पर मांगलिक दोष अधिक शक्तिशाली माना जाता है, और यदि मंगल लग्न में चंद्रमा के साथ बैठा हो तो इस दोष के प्रभाव खतरनाक हो सकते हैं।

मांगलिक दोष

कुंडली में मांगलिक दोष कैसे देखें

उत्तर भारत के ज्योतिष मंगल दोष की गणना करते समय द्वितीय भाव को नहीं मानते हैं। वहीं दक्षिण भारत के ज्योतिष जन्म कुंडली में मंगल दोष का मूल्यांकन करते समय प्रथम भाव को नहीं मानते हैं। हालांकि, मंगल दोष के मूल्यांकन के लिए दोनों भावों पर विचार करना महत्वपूर्ण है। जब मंगल ग्रह आपकी लग्न राशि, चंद्र राशि या शुक्र से 12वें भाव, 4वें भाव, 7वें भाव और 8वें भाव में स्थित हो तो यह मांगलिक दोष कहलाता है।

मांगलिक दोष को लग्न चार्ट, चंद्र राशि चार्ट और शुक्र चार्ट से पहचाना जा सकता है। यदि मंगल उपरोक्त भावों में हो तो उच्च मांगलिक दोष उत्पन्न कर सकता है। मंगल अपने आप में इतना शक्तिशाली है कि शत-प्रतिशत दोष उत्पन्न कर सकता है। हालांकि मांगलिक दोष के साथ जुड़ा एक रोचक पहलू यह भी है कि मंगल दोष अन्य ग्रहों के साथ मंगल के विभिन्न संयोजनों और पहलुओं के कारण रद्द या निष्क्रिय भी हो सकता है।

दूसरे भाव में मंगल

मंगल द्वितीय भाव में नकारात्मक और सक्रिय हो जाता है और वैवाहिक जीवन में कई बाधाएं पैदा कर सकता है। इसके कारण पीड़ित व्यक्ति का वैवाहिक जीवन प्रभावित हो सकता है और बात तलाक तक पहंुच सकती है।

चौथे भाव में मंगल

कुंडली के चैथे भाव में मंगल की मौजूदगी किसी पेशेवर व्यकि के जीवन में तबाही मचा सकती है। मंगल की यह स्थिति उन्हें असंगत, असंतुष्ट होने और लगातार नौकरी बदलने के लिए मजबूर कर सकती है। जातक को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।


सातवे भाव में मंगल

सातवें भाव में मंगल की मौजूदगी उग्र होती है और यह दूसरों पर थोपने और मांग करने वाले रवैये को बढ़ाता है। मांगलिक दोष वाले व्यक्ति के लिए दूसरों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना मुश्किल होगा। स्वभाव से हावी होने और डराने-धमकाने से परिवार के भीतर गलतफहमी पैदा हो सकती है और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

आठवें भाव में मंगल

आठवें भाव में मंगल की मौजूदगी से व्यकि आलस्य का शिकार हो सकता है और बहुत अनिश्चित हो सकता है। मिजाज और छोटे-छोटे कलेष परिवार और उनके आसपास के अन्य लोगों को भ्रमित कर सकते हैं। वे दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। इसके कारण वे बड़ों के साथ अच्छे संबंध बनाने में सक्षम नहीं हो सकते हैं और पैतृक संपत्ति को खो सकते हैं।


बारहवें भाव में मंगल

बारहवें भाव में मंगल व्यक्ति के मन में असफलता की भावना पैदा कर सकता है। यह व्यक्ति को अधिक आक्रामक और अप्रिय बना सकता है और अन्य लोगों के साथ व्यवहार करते समय समस्याएं पैदा कर सकता है। उन्हें आर्थिक नुकसान हो सकता है और वे अपने बुरे स्वभाव के कारण दुश्मन बना सकते हैं।

मांगलिक दोष के लक्षण और प्रभाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुछ ग्रहों को अशुभ माना जाता है, और यदि जन्म कुंडली में उनकी स्थिति सही नहीं हो, तो वे व्यक्ति के जीवन पर बुरे प्रभाव डाल सकते हैं। माना जाता है कि मंगल की गलत स्थिति से प्रभावित व्यक्ति उग्र, आक्रामक, भावुक और अधिक संवेदनशील हो सकता है। इसी के साथ नीचे मांगलिक दोष के प्रभाव से जीवन में आने वाली समस्याओं को पॉइंट में बताया गया है।

  • अहंकार और अस्थिर स्वभाव होना।
  • प्रकृति में जटिल और समझौता करने को तैयार नहीं।
  • आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
  • विवाह में देरी हो सकता है।
  • जीवनसाथी के बीच मनमुटाव।
  • पेशेवर जीवन में रुकावट आ सकती है।
  • अलगाव या तलाक की नौबत आ सकती है।
  • स्थायी विकलांगता या यहां तक कि एक गैर मांगलिक पति या पत्नी की मृत्यु भी संभव है।

मांगलिक दोष के उपचार

  • मांगलिक दोष के उपायों में सबसे अधिक प्रचलित उपाय मंगल शांति पूजा को माना गया है। यह पूजा आंशिक रूप से मांगलिक दोष को दूर कर सकती है।
  • किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर कुंभ विवाह कर सकते हैं।
  • मंगल के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान और कार्तिकेय की पूजा करें। मंगलवार को हनुमान चालीसा और कांड षष्ठी कवच का जाप करें और यदि संभव हो तो अन्य दिनों में भी इनका पाठ करें।
  • 45 दिनों तक हनुमान जी की पूंछ पर लाल सिंदूर (कुमकुम) लगाए और उनकी पूंछ की पूजा करें।
  • विष्णु और महालक्ष्मी, शिव और पार्वती से प्रार्थना करें, और मंगलवार के दिन उन्हे जोड़े से लाल फूल चढ़़ाएं ऐसा करने से आपके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होगी।
  • किसी ज्योतिषी के सुझाव पर एक उपयुक्त रत्न धारण करें।
  • मंगलवार का व्रत करें।
मांगलिक दोष को दूर करने के लिए इन यज्ञों की सिफारिश की जाती है
मंगल शांति यज्ञ
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मंगल शांति यज्ञ (मंगल यज्ञ)

मुरुगन के लिए यज्ञ
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मुरुगन और उनकी पत्नियों वल्ली और देवयानी के लिए यज्ञ

शिव शक्ति यज्ञ
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प्रेम के देवता कामदेव का आह्वान करके शिव शक्ति यज्ञ

लक्ष्मी नारायण यज्ञ
लक्ष्मी नारायण यज्ञ

लक्ष्मी नारायण
यज्ञ

एस्ट्रोवेद के दोष उपचारात्मक पूजा अनुष्ठान

हमारे विशेषज्ञ वैदिक ज्योतिषियों द्वारा आपकी निजी कुंडली का गहन विश्लेषण कर ग्रह, उनकी स्थिति और दषा महादशा के आधार पर अनूठे व्यक्तिगत उपाय सुझाए जाते हैं। इन उपायों में यज्ञ व हवन शालाओं सहित कई तरह के अनुष्ठान और पूजाएं शामिल है। उपरोक्त पूजा अनुष्ठान और हवन यज्ञों के लिए आपकी कुंडली के आधार पर ही विशेष समय का चयन किया जाता है, जिससे आपके जीवन को प्रभावित करने वाले दोषों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिल सके।