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पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र

पूर्वाफाल्गुनी (सिंह राशि में 13°20′ – 26°30′ तक)

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में ज़ोस्मा (डेल्टा लेओनिस) व चेर्टन (थीटा लेओनिस) नामक दो उज्ज्वल तारों का समावेश है| ये तारे सिंह राशि के नक्षत्र-मंड़ल में आते हैं जो रेगुलस नामक एक उज्ज्वल तारे के बाईं ओर स्थित हैं। पूर्वाफाल्गुनी के प्रतीक एक चारपाई के अगले दो पाए हैं जो आराम, कायाकल्प व आनंद को दर्शाते हैं| इस नक्षत्र के अधिपति आनंद के देवता भग हैं जो स्नेह व यौन अनुराग प्रदान करते हैं| इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र उत्तम संबंध, सौंदर्य व विलासिता प्रदान करता है| पूर्वा फाल्गुनी समस्त नक्षत्रों में सबसे अधिक नाटकीय व लापरवाह है। इस नक्षत्र में पैदा हुए लोगों में अपनी उपलब्धि द्वारा स्वयं की पहचान बनाने की इच्छा होती है फिर भी उन्हें आलस्य या कपटपूर्ण व्यवहार के प्रति सावधान रहना चाहिए। यह वास्तव में विश्राम, मनोरंजन और गर्व से जुड़ा नक्षत्र है। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र कला व रचनात्मकता के प्रति प्रेम द्वारा नवीनीकरण व संतोष की ऊर्जा प्रदान करता है।

सामान्य विशेषताएँ: आकर्षक, सुखद, उदार, विनम्र वाणी, आवारा प्रकृति।
अनुवाद: “लघु अंजीर वृक्ष”,
प्रतीक: चारपाई के अगले दो पाए, लहरता झूला
पशु प्रतीक: चूहिया
अधिपति देव: नेतृत्व, सम्मान, महानता और समाज के देवता अर्यमन
शासक ग्रह: शुक्र
शुक्र ग्रह के अधिपति देव: लक्ष्मी
प्रकृति: मनुष्य (मानव)
ढंग: संतुलित
संख्या: 11
लिंग: स्त्री
दोष: पित
गुण: राजसिक
तत्व: जल
प्रकृति: उग्र
पक्षी: मादा गरुड़
सामान्य नाम: जंगल की लौ, पलाश
वानस्पतिक नाम: बूटी मोनोस्पर्म
बीज ध्वनि: मो, हा, टी, टू
ग्रह से संबंध: सिंह राशि के स्वामी के रूप में सूर्य इस नक्षत्र से संबंधित है|

प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में विभाजित किया जाता है जिन्हें पद कहते हैं| पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के विभिन्न पदों में जन्म लेने वाले लोगों के अधिक विशिष्ट लक्षण होते हैं:

PurvaPhalguni Nakshatra Hindi

पद:

प्रथम पद सिंह राशि का 13°20′ -16°40′ भाग सूर्य ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: मो
सूचक शब्द: शाही
द्वितीय पद सिंह राशि का 16°40′ – 20°00′ भाग बुध ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: हा
सूचक शब्द: उद्यमी
तृतीय पद सिंह राशि का 20°00′ – 23°20′ भाग शुक्र ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: टी
सूचक शब्द: ज्ञान
चतुर्थ पद सिंह राशि का 23°20′ – 26°40′ भाग मंगल ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: टू
सूचक शब्द: आवेशपूर्ण

शक्ति: सर्जनात्मक, बुद्धिमान, सक्रिय, आकर्षक, ईमानदार, नेतृत्व के गुणों से भरपूर, लापरवाह प्रकृति, खुले विचारों वाला, मधुरभाषी, उदार, प्रसिद्धि और ध्यान चाहने वाला, विश्वसनीय, रहस्यमयी प्रकृति, प्रवक्ता, भव्य, सुसंस्कृत, परिष्कृत, ललित कला में माहिर, युवा, उत्साही, प्रेममय, उत्तम संबंधों वाला|

कमजोरियाँ: अभिमानी, कृपालु, आवेशपूर्ण, अनैतिक प्रकृति, स्वार्थी, लापरवाह, अतिव्ययी- ऋणों से ग्रस्त, व्यसनी प्रकृति, असूविधाजनक होने से नफरत करता है, उत्तेजना की ज़रूरत, द्वेषपूर्ण, योजना की कमी व प्रेरणारहित|

कार्यक्षेत्र: कार्यकारी, राजनयिक, सरकारी अधिकारी, मनोरंजनकर्ता, मेकअप कलाकार, मॉडल, फोटोग्राफर, व्याख्याता, कला संग्रहालय या गैलरी, संगीतकार, शिक्षक, रत्न विक्रेता, शारीरिक फिटनेस ट्रेनर, आं‍तरिक सज्जाकार, महिला उत्पाद संबंधी कार्य, प्रसाधन सामग्री से जुड़े निर्माण कार्य, आया, सेक्स चिकित्सक, निद्रा चिकित्सक, जीव विज्ञानी, पर्यटन, कपास व रेशम उद्योग।

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में जन्में प्रसिद्ध लोग: डस्टिन हॉफमैन, टेड कैनेडी, जॉन एफ कैनेडी, जॉन ट्रवोलटा, रॉबर्ट रेडफोर्ड, शर्ली मैक्लाइन, और मैडोना

अनुकूल गतिविधियां: विवाह, प्रणय, यौन-क्रिया, पुराने विवादों को हल करना, विरोधियों का सामना करना, आराम, विश्राम, आनंद, कलात्मक गतिविधियाँ, गायन, संपत्ति ख़रीदना, कामुकता, मनोरंजन और सत्ताधारी लोगों से व्यवहार करने के लिए उत्तम|

प्रतिकूल गतिविधियां: नई परियोजनाएं या गतिविधियां शुरू करना, नम्रता का अभ्यास करना, बौद्धिक गतिविधियाँ, उपचार या किसी बीमारी से उभरना|

पवित्र मंदिर: थिरुवरंकुलम श्री हरि तीर्थेश्वर

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र से संबंधित यह पवित्र मंदिर भारत में तमिलनाडु के अलंगुडी के निकट थिरुवरंकुलम में स्थित है। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में पैदा हुए लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार इस पवित्र मंदिर के दर्शन करके यहाँ पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए|

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र से संबंधित यह तीर्थ संसार के सबसे पवित्र घाटों में से एक है| पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के क्षेत्र में शिव तीर्थ, ज्ञान ब्रह्मा तीर्थ, नाग तीर्थ, इंद्र तीर्थ, स्कंध तीर्थ, श्री तीर्थ व गुरु तीर्थ आदि सात तीर्थ स्थित हैं| यह समस्त सात तीर्थ नग्न आंखों से दिखाई नहीं देते हैं। सिर्फ एक तीर्थ में पवित्र स्नान कर लेने के बाद अन्य तीर्थ अवश्य दिखाई दे सकते हैं| इसलिए गुरु तीर्थ का मार्ग केवल उन लोगों को दिखाई देता है जिन्होंने पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र दिवस पर अन्य तीर्थों में एक पवित्र डुबकी लगा ली है। दैवीय अनुग्रह के कारण इस पवित्र मंदिर में यह समस्त सात तीर्थ मौजूद हैं| सिद्धों ने इस पवित्र स्थल को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र से संबंधित पूजा-अर्चना के लिए एक महत्वपूर्ण स्थलघोषित किया है क्योंकि ये लोग बहुमूल्य तीर्थों का दर्शन प्राप्त करने में सक्षम थे। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में पैदा हुए लोगों का जल के साथ एक शक्तिशाली संबंध होता है तथा यथाशक्ति इन पवित्र तीथों के जल में स्नान करने से उन्हें बहुत लाभ होगा|

तपस्या करने के पश्चात् देवी आदिप्पूरा को आदि माह के दौरान पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र दिवस पर भगवान शिव के अनेक दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ| पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में उत्पन्न हुए लोगों को अपने जन्मदिवस, पूर्वाफाल्गुनी दिवस, आदि पूरम(आदि मास में आने वाला पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र दिवस) तथा अपने विवाह दिवस पर इस महत्वपूर्ण पवित्र तीर्थ की यात्रा करने से लाभ होगा।

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में जन्में लोगों के लिए वेदों द्वारा निर्धारित धूप पलाश नामक जड़ी-बूटी से निर्मित है|

इस धूप को जलाना उस विशिष्ट नक्षत्र हेतु एक लघु यज्ञ अनुष्ठान करने के समान है| एक विशिष्ट जन्मनक्षत्र के निमित किए गए इस लघु अनुष्ठान द्वारा आप अपने ग्रहों की आन्तरिक उर्जा से जुड़कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में सक्षम होंगे|

एक विशिष्ट नक्षत्र दिवस पर अन्य नक्षत्र धूपों को जलाने से आप उस दिन के नक्षत्र की ऊर्जा से जुड़कर अनुकूल परिणाम प्राप्त करते हैं| आपको यह सलाह दी जाती है कि आप कम से कम अपने व्यक्तिगत नक्षत्र से जुड़ी धूप को प्रतिदिन जलाएं ताकि आपको उस नक्षत्र से जुड़ी सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती रहे|

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