x
cart-added The item has been added to your cart.
x

ग्रहन दोष

ग्रहण दोष

ग्रह हमारे जन्म के समय हमारी जन्म कुंडली में अपनी स्थिति से हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। इसके बाद ग्रहों के गोचर और उनकी स्थितियों का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। संस्कृत शब्द से बना दोष शारीरिक विकारों को इंगित करता है। वैदिक ज्योतिष में, जन्म कुंडली के बारह घरों में ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति के कारण दोष उत्पन्न होते हैं। यदि पाप ग्रह मंगल, शनि, राहु और केतु को विशिष्ट भावों में रखा जाता है, तो वे कुंडली के अच्छे भागों को प्रभावित करते हैं और दोष पैदा करते हैं। इनमे से कई दोषों पर हम विस्तार से चर्चा कर चुके हैं आज हम ग्रहण दोष क्या है, ग्रहण के लक्षण और ग्रहण दोष के उपाय के बारे में जानेंगे।

ग्रहण दोष क्या है?

ग्रहण दोष वैदिक ज्योतिष में एक बहुत ही नकारात्मक और बुरा करने वाला दोष है। राहु और केतु ग्रहण दोष का निर्माण करते हैं। जब किसी जातक का जन्म सूर्य या चंद्र ग्रहण के दौरान होता है, तो यह ग्रहण दोष माना जाता है।

एका नक्षत्र दोष

कुंडली में ग्रहण दोष कैसे देखें

ग्रहण का अर्थ है किसी चीज को अपने में समाहित कर लेना और दोष किसी भी तरह की बुराई के लिए उपयोग किया जाता है। कुंडली में ग्रहण दोष तब बनता है जब सूर्य या चंद्र के साथ राहु या केतु में से कोई एक ग्रह मौजूद हो या इसके अलावा यदि सूर्य या चंद्रमा के घर में राहु-केतु में से कोई एक ग्रह मौजूद हो तब यह ग्रहण दोष माना जाएगा। नीचे हमने ग्रहण दोष की कुछ स्थितियों को पॉइंट में समझाया है। – पूर्ण सूर्य ग्रहण दोष – जब सूर्य और राहु एक ही घर में हों।

  • पूर्ण चंद्र ग्रहण दोष – जब चंद्रमा और राहु एक ही घर में हों।
  • आंशिक सूर्य ग्रहण दोष – जब सूर्य और केतु एक ही घर में हों।
  • आंशिक चंद्र ग्रहण दोष – जब चंद्रमा और केतु एक ही घर में हों।

ग्रहण दोष प्रभाव और लक्षण

वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहण दोष के प्रभावित व्यक्ति के जीवन में सदैव किसी न किसी तरह की परेशानियां बनी ही रहती हैं। जन्म कुंडली में ग्रह दोष के साथ जन्म लेने वाला व्यक्ति जीवन में अक्सर प्रतिकूल प्रभाव महसूस करता है। नीचे ग्रहण दोष के लक्षण को पॉइंट में समझाया गया है।

  • विवाह में देरी।
  • विवाह और संबंधों में संघर्ष।
  • गर्भावस्था में समस्याएं।
  • व्यापार में असफलता।
  • करियर में अप्रत्याषित उतार चढ़ाव।
  • अनिश्चित और धुंधला भविष्य।
  • घर और कार्यस्थल पर तनाव।
  • प्रतिष्ठा की हानि।
  • अलगाव की भावना।
  • गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं।

ग्रहण दोष के उपाय

नीचे सूर्य और चंद्र दोनों ही ग्रहण दोष के उपाय सुझाए गए है।

  • यदि आपकी कुंडली में में सूर्य ग्रहण दोष है, तो गायत्री मंत्र का प्रतिदिन 108 बार सूर्योदय के पहले जाप करें और विशेष रूप से रविवार को करें। प्रतिदिन प्रातः काल गायत्री का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें (तांबे के पात्र से जल चढ़ाने को अर्घ्य कहते हैं)।
  • यदि आपकी कुंडली में चंद्र ग्रहण दोष है, तो चंद्र मंत्रों जैसे ओम सोमाय नमः या ॐ चंद्राय नमः का दिन में 108 बार जाप करें, खासकर सोमवार को।
  • यदि किसी की कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष है, तो आप एक अच्छे मुहूर्त के दौरान लगातार 7 रविवार तक पुजारियों को गुड़ दान करें।
  • यदि कोई चंद्र ग्रहण दोष से पीड़ित है, तो आप एक अच्छे मुहूर्त के दौरान लगातार 4 सोमवार को दूध दान करें।
  • किसी ज्योतिषी से सलाह लें और देखें कि क्या आप रूबी या मोती पहन सकते हैं और क्या आप घर में चंद्र यंत्र या सूर्य यंत्र रख सकते हैं।
  • विष्णु और शिव के मंत्रों का प्रतिदिन जाप करें क्योंकि कहा जाता है कि विष्णु सूर्य पर शासन करते हैं और सूर्य के वंश से आते हैं। वहीं भगवान शिव को चंद्रमा का शासक माना जाता है।
  • यदि कोई चंद्र ग्रहण दोष से पीड़ित है, तो आप रात में विशेष रूप से पूर्णिमा की रात को चांदी के कप में शहद और हल्दी मिलाकर दूध पी सकते हैं।
  • यदि आपकी कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष है, तो तांबे के बर्तन से पानी पीना बहुत अच्छा है।
ग्रहण दोष को दूर करने के लिए इन यज्ञों की सिफारिश की जाती है।

एस्ट्रोवेद के दोष उपचारात्मक पूजा अनुष्ठान

हमारे विशेषज्ञ वैदिक ज्योतिषियों द्वारा आपकी निजी कुंडली का गहन विश्लेषण कर ग्रह, उनकी स्थिति और दषा महादशा के आधार पर अनूठे व्यक्तिगत उपाय सुझाए जाते हैं। इन उपायों में यज्ञ व हवन शालाओं सहित कई तरह के अनुष्ठान और पूजाएं शामिल है। उपरोक्त पूजा अनुष्ठान और हवन यज्ञों के लिए आपकी कुंडली के आधार पर ही विशेष समय का चयन किया जाता है, जिससे आपके जीवन को प्रभावित करने वाले दोषों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिल सके।