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अश्विनी नक्षत्र

अश्विनी (0°00′ – 13°30′ मेष)

प्रत्येक नक्षत्र जो हम रात को आकाश में देखते हैं, एक जलता हुआ सूर्य है जो हमारे सूर्य से मिलता-जुलता है| खगोल विज्ञान में जिन जुड़वाँ नक्षत्रों से अश्विनी नक्षत्र का निर्माण होता है उन्हें अल्फा अरिएटीस और बीटा एरिटिस कहते हैं। वास्तव में वैदिक ज्योतिष में अश्विनी नक्षत्र के अधिपति देव दिव्य जुड़वाँ चिकित्सक अश्विनी कुमार हैं| अश्विनी नक्षत्र में पैदा हुए लोग परंपरागत रूप से चिकित्सा क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं| उनके अन्दर सहज रूप से दूसरों को ठीक करने की क्षमता व एक चिकित्सीय ऊर्जा विद्यमान होती है जो कि प्रार्थना के माध्यम से कई गुणा बढ़ सकती है| अश्विनी कुमारों का युवा रूप है तथा वे इस नक्षत्र में पैदा होने वाले लोगों को एक आकर्षक व मासूम रूप प्रदान करते हैं। इस नक्षत्र का प्रतीक घोड़े का सिर है, जो शक्ति, गरिमा व तीव्रता का प्रतीक है। नक्षत्र चक्र में अश्विनी प्रथम नक्षत्र है इसलिए यह प्रारंभिक उर्जा से संबंधित है| इस नक्षत्र में पैदा होने वाले लोग अग्रणी विचारों वाले व पहल करने वाले होते हैं| उन्हें ऐसे कार्यों की शुरुआत नही करनी चाहिए जिन्हें वे पूरा न कर सकें| अश्विनी को समस्त नक्षत्रों में सबसे तीव्र माना जाता है इसलिए ऐसे लोग स्पष्ट बोलने वाले तथा सीधे मुद्दे की बात करने वाले होते हैं| बस एक अदम्य घोड़े की तरह वे भरोसेमंद और स्वतंत्र हो सकते हैं लेकिन किसी की सलाह को पसंद नही करते हैं| अश्विनी नक्षत्र में पैदा लोग आत्म सुधार पर ध्यान केंद्रित करने वाले होते हैं तथा अपने साथियों के बीच स्वयं को अद्वितीय महसूस कराना चाहते हैं| यह बुद्धिमता व निष्कपटता से भरा एक स्वैच्छिक नक्षत्र है|

सामान्य विशेषताएँ: सौम्य और चित्ताकर्षक व्यवहार, रूपवान, प्रतिभाशाली व बुद्धिमान, कार्य कुशल
अनुवाद: “घुड़सवारिका” या एक घोड़े से जन्म”
प्रतीक: एक घोड़े का सिर
पशु प्रतीक: एक नर घोडा
अधिपति देव: अश्विनी कुमार सुनहरा कवच धारण किए हुए अश्व-मुख वाले जुड़वाँ देव थे| जिन्हें प्राचीन विद्या का गहन ज्ञान था तथा जिन्होंने देवताओं के चिकित्सक के रूप में अनेक चमत्कार किए|
शासक ग्रह: केतु
केतु ग्रह के अधिपति देव: गणेश
प्रकृति: देव
ढंग: सक्रिय
संख्या: 1
लिंग: पुरुष
दोष: वात
गुण: सत्व
तत्व: पृथ्वी
प्रकृति: चर
पक्षी: जंगली गस्र्ड
सामान्य नाम: नक्सवोमिका
वानस्पतिक नाम: स्ट्राइकोनसुकुमिका
बीज ध्वनि: चू, चे, चो, ला (अश्विनी के पद देखें)
ग्रह से संबंध: मेष राशि के स्वामी के रूप में मंगल तथा अश्विनी के प्रथम पद में उच्च का होने के कारण सूर्य इस नक्षत्र से संबंधित हैं|
प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में विभाजित किया जाता है जिन्हें पद कहते हैं| अश्विनी नक्षत्र के विभिन्न पदों में जन्म लेने वाले लोगों के अधिक विशिष्ट लक्षण होते हैं:

Ashwini Nakshatra Hindi

पद:

प्रथम पद मेष राशि का 00°00′ – 03°19′ भाग मंगल ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: चू
सूचक शब्द: संचालित
द्वितीय पद मेष राशि का 0320′- 06°39′ भाग शुक्र ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: चे
सूचक शब्द: विलासिता
तृतीय पद मेष राशि का 06°40′ – 09°59′ भाग बुध ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: चो
सूचक शब्द: तीव्र बुद्धि
चतुर्थ पद मेष राशि का 10°00′ – 13°19′ भाग चंद्र ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: ला
सूचक शब्द: सहानुभूति

शक्ति: युवा; चिरयुवा; चंचलता से भरा; निडर; निष्कपट; सक्षम कार्यकर्ता; नई कार्यों को शुरू करने की प्रेरणा; बुद्धिमान; आत्मनिर्भर; प्राकृतिक आरोग्यसाधक; सहायक; मर्यादित आदतें; उत्तम वस्त्र पहनने वाला; उत्तम आर्थिक स्थिति वाला ; आकर्षक; शक्तिशाली; सहज ज्ञान युक्त; आदर्शवादी; आध्यात्मिक स्वभाव; साहसी; स्वतंत्र; बलवान; बलशाली; आकर्षक; चंचल प्रकृति; परिवार से प्रेम करने वाला; यात्री; चिकित्सा या आत्म सुधार से जुड़े कार्यों में रूचि

कमजोरियाँ: कार्य में जल्दबाजी करने वाला, आवेगशील; किसी की सलाह न लेने वाला; जीवन में नए अनुभवों को पाने के चक्कर में पुराने कार्यों को अधूरा छोड़ने वाला ; आक्रामक; ज़िद्दी; अपने तरीके से काम करने वाला; जब कार्य योजना के अनुरूप न हो तब निराश होने वाला; असंतुष्ट; अभिमानी; मानसिक शांति की कमी; अति भावुक

कार्यक्षेत्र: प्रेरक प्रशिक्षक, अभियान प्रबंधक, प्रचारक कार्य करने वाला, खिलाड़ी, खेल संबंधी कार्य, घुड़सवारी संबंधित उद्योग, हवाई जहाज / मोटर-संबंधी/ नाव / घुड़सवारी संबंधी कार्य, सैन्य, कानून प्रवर्तन, अभियांत्रिकी, जौहरी, चिकित्सीय कार्य, उपचार संबंधी कार्य, औषधि विक्रेता, परामर्शदाता, औषधि-विशेषज्ञ,साहसिक कार्य करने वाला, अन्वेषक, शोधकर्ता, ठेकेदार, करतब दिखाने वाला, माली।

अश्विनी नक्षत्र में जन्में प्रसिद्ध लोग: पामेला एंडरसन, सेलीन डियोन, वॉरेन हार्डिंग, जॉन एडम्स

अनुकूल गतिविधियां: कार्य या परियोजनाएं प्रारंभ करना, आध्यात्मिक गतिविधियों को शुरु करना, नींव रखना, बीज रोपण, स्वास्थ्य और तंदुरस्ती संबंधी कार्यक्रम, सगाई (लेकिन शादी नहीं), यात्रा, खरीददारी, गृह प्रवेश

प्रतिकूल गतिविधियां: शादी या वैवाहिक आनंद, कार्यों को पूर्ण करना, शराब का सेवन, विश्राम करना, भावनात्मक या यौन गतिविधियाँ

पवित्र मंदिर: श्री भव औषधीश्वर मंदिर

भारत में तमिलनाडु के थिरुथुरैपूण्डी नामक गांव में अश्विनी नक्षत्र से संबंधित यह पवित्र मंदिर स्थित है। जो लोग अश्विनी नक्षत्र में पैदा हुए हैं उन्हें जितनी बार संभव हो इस मंदिर की यात्रा करनी चाहिए|

“श्री भव औषधीश्वर” नाम का यह मंदिर भगवान शिव के एक रूप से संबंधित है। “श्री” एक मंत्र है जो सम्मान व उत्तम भाग्य प्रदान करता है| “भव” का अर्थ मन की अवस्था व “औषधीश्वर” का मतलब चिकित्सीय देव हैं जो रोग को ठीक करते हैं| श्री भव औषधीश्वर एक पवित्र मंदिर है जो रोग नाशक उर्जा से भरा हुआ है|

अश्विनी नक्षत्र में पैदा हुए लोगों को अपनी आंतरिक शक्ति व चिकित्सीय क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अश्विनी नक्षत्र दिवस पर पवित्र जड़ी-बूटियों (64 प्रकार की मूल जड़ी-बूटी) द्वारा पूजा व अभिषेक करना चाहिए| अन्य नक्षत्रों में पैदा हुए लोग भी मंगलवार, शनिवार या अश्विनी नक्षत्र दिवस पर पूजा व अभिषेक करके बीमारियों से उबरने हेतु लाभकारी चिकित्सीय उर्जा प्राप्त कर सकते हैं। ये अनुष्ठान मंदिर के आसपास के पवित्र जल को भी लाभ पहुँचाते हैं तथा मंदिर के तालाब, नदी, झील व वनस्पति क्षेत्र के आसपास औषधीय गुण उत्पन्न करते हैं। मंदिर के तालाब के पवित्र जल में स्नान करना दर्शनार्थियों के लिए लाभदायक होता है| इससे उन्हें उत्तम स्वास्थ्य हेतु आशीर्वाद प्राप्त होता है|

अश्विनी नक्षत्र में जन्में लोगों के लिए वेदों द्वारा निर्धारित धूप कुचला जड़ी-बूटी से निर्मित है|

इस धूप को जलाना उस विशिष्ट नक्षत्र हेतु एक लघु यज्ञ अनुष्ठान करने के समान है| एक विशिष्ट जन्मनक्षत्र के निमित किए गए इस लघु अनुष्ठान द्वारा आप अपने ग्रहों की आन्तरिक उर्जा से जुड़कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में सक्षम होंगे|

एक विशिष्ट नक्षत्र दिवस पर अन्य नक्षत्र धूपों को जलाने से आप उस दिन के नक्षत्र की ऊर्जा से जुड़कर अनुकूल परिणाम प्राप्त करते हैं| आपको यह सलाह दी जाती है कि आप कम से कम अपने व्यक्तिगत नक्षत्र से जुड़ी धूप को प्रतिदिन जलाएं ताकि आपको उस नक्षत्र से जुड़ी सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती रहे|

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अश्विनी

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पूर्वाफाल्गुनी

पूर्वाषाढा

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उत्तराषाढ़ा

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उत्तराभाद्रपद

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