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श्रापित दोष

श्रापित दोष

ग्रहों और उनकी स्थिति व चाल का हमारे जीवन के साथ गहरा संबंध है। आकाशीय पिंडों के बीच जो कुछ भी होता है, उसका हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव देखने को मिलता है। हमारे जन्म के समय ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों की स्थिति हमारे जीवन में आने वाली परिस्थितियों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। इसलिए जन्म कुंडली तैयार करने के लिए जन्म का दिन, जन्म का समय और स्थान की आवश्यकता होती है। हमारी कुंडली में ग्रहों की इन स्थिति से कुछ अच्छे तो कुछ बुरे संयोग बनते हैं, सकारात्मक फल देने वाले संयोजन को योग कहा जाता है वहीं बुरे या नकारात्मक फल देने वाले संयोजन को दोष के नाम से जाना जाता है। नीचे हम ऐसे ही एक नकारात्मक और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण श्रापित दोष की बात करेंगे और जानेंगे कि श्रापित दोष क्या है और श्रापित दोष के उपाय क्या हैं।

श्रापित दोष क्या है?

श्रापित दोष को शापित दोष के नाम से भी जाना जाता है। श्रापित दोष जन्म कुंडली में तब होता है जब शनि और राहु एक ही घर में स्थित होते हैं। श्रापित का अर्थ है पिछले जन्म से किसी के द्वारा दिया गया श्राप। ऐसा माना जाता है कि यह जातक के पिछले जन्म में किए गए बुरे कर्मों का परिणाम होता है। एक जातक को पिछले जन्म में उसके कुकर्मों के लिए किसी के लिए दिया गया शाप ही अगले जन्म में श्रापित दोष के रूप में कुंडली में दिखाई देता है और इसका असर आपके जीवन में बाधाओं के रूप में सामने आता है। श्रापित दोष से बचने का सबसे सही तरीका यह है कि अपने मौजूदा जीवन में ऐसा कोई भी कार्य न करें जिसके कारण आपको अपने आने वाले जीवन में इस दोष का सामना करना पड़े। आइए आगे जानते हैं कि कुंडली में शापित दोष कैसे देखते हैं।

श्रापित दोष

कुंडली में शापित दोष कैसे देखें

श्रापित दोष तब होता है जब जन्म कुंडली में शनि और राहु एक ही घर में होते हैं। यह तब भी हो सकता है जब शनि की दृष्टि राहु पर हो। शनि और राहु की युति इस घातक दोष के होने का मुख्य कारण है। यदि जातक की कुंडली के किसी भी घर में शनि और राहु की युति हो तो जन्म कुंडली शापित होती है। यह अनुकूल योगों के सकारात्मक प्रभावों को समाप्त कर सकता है।

श्रापित दोष के लक्षण और प्रभाव

पिछले जन्म के बुरे कर्मों के परिणाम को दर्शाते हुए, श्रापित दोष जातक को बहुत ही बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। एक जातक बिना किसी स्पष्ट कारण के कई बाधाओं का सामना कर सकता है और उसे इस बात का भी अंदाजा नहीं होगा कि उसे क्या प्रभावित कर रहा है। शापित दोष के लक्षण और हानिकारक प्रभावों को नीचे पाॅइंट में समझाया गया है।

  • शैक्षणिक गतिविधियों में समस्या।
  • व्यापार में बाधाएं।
  • भारी आर्थिक नुकसान।
  • बच्चों का बार-बार बीमार पड़ना।
  • संतान का अभाव।
  • वैवाहिक जीवन में कलह।
  • कानूनी लड़ाई और दुश्मनी।
  • चिंता और तनाव।
  • आत्मविश्वास की कमी।

शापित दोष के उपाय

नीचे श्रापित दोष से बचने के लिए कुछ उपाय सुझाए गए है यदि आपकी कुंडली में भी श्रापित दोष है तो आप इन सरल श्रापित दोष उपायों का उपयोग कर सकते हैं।

  • प्रतिदिन हनुमान चालीसा का जाप करें।
  • शनिवार के दिन कौवे और आवारा पशुओं को भोजन कराएं।
  • शनिवार के दिन गरीब लोगों को खाना खिलाएं और जरूरतमंद और बुजुर्ग लोगों की मदद करें।
  • हनुमान जी के पास अगरबत्ती जलाएं क्योंकि धुआं राहु है जिससे हनुमान जी राहु को वश में कर लेंगे।
  • राहु के लिए प्रतिदिन 108 बार गुरु मंत्र ओम श्री गुरुवे नमः और शनि के लिए ओम नमः शिवाय का 108 बार जाप करें।
  • शनिवार के दिन घर की पश्चिम दिशा की ओर मुख करके नारियल तेल से घर में 8 दीप जलाएं।
  • घर की पश्चिमी दीवार पर घोड़े की नाल रखें।
  • शनिवार के दिन घर के पश्चिमी भाग में गंगाजल और सेंधा नमक का छिड़काव करें।
  • किसी ज्योतिषी की सलाह पर ही शनि के लिए नीलम रत्न या राहु के लिए गोमेद रत्न धारण करें।
  • 4 या 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
श्रापित दोष को दूर करने के लिए इन यज्ञों की सिफारिश की जाती है

एस्ट्रोवेद के दोष उपचारात्मक पूजा अनुष्ठान

हमारे विशेषज्ञ वैदिक ज्योतिषियों द्वारा आपकी निजी कुंडली का गहन विश्लेषण कर ग्रह, उनकी स्थिति और दषा महादशा के आधार पर अनूठे व्यक्तिगत उपाय सुझाए जाते हैं। इन उपायों में यज्ञ व हवन शालाओं सहित कई तरह के अनुष्ठान और पूजाएं शामिल है। उपरोक्त पूजा अनुष्ठान और हवन यज्ञों के लिए आपकी कुंडली के आधार पर ही विशेष समय का चयन किया जाता है, जिससे आपके जीवन को प्रभावित करने वाले दोषों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिल सके।