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काल सर्प दोष

क्या आपकी कुंडली में भी है काल सर्प दोष, जानिए लक्षण और उपाय!

ग्रहों और उनकी स्थिति का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। जन्म के समय, जन्म कुंडली में उनकी स्थिति हमारे जीवन को प्रभावित करती है। जन्म कुंडली में बनने वाला दोष जन्म कुंडली में खराब स्थिति को दर्षाता है। जन्म के समय ग्रहों की स्थिति नकारात्मक होने के कारण हमें कई तरह की परेषानियों और मुष्किलों का भी सामना करना पड़ता है। जन्म कुंडली में बनने वाली इन नकारात्मक या बुरी स्थिति को ज्योतिष में दोष के नाम से जाना जाता है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर कई तरह के दोष बनते है। इस लेख के माध्यम से हम काल सर्प दोष के बारे में जानेंगे।

काल सर्प दोष क्या है?

कालसर्प शब्द की बात करें तो काल का अर्थ है समय और सर्प का अर्थ है सांप। काल सर्प का अर्थ है समय का सांप। वैदिक ज्योतिष में राहु और केतु नाग या सांप का प्रतिनिधित्व करते हैं। राहु जहां सर्प का सिर है, वहीं केतु सांप के छड़ का प्रतिनिधित्व करता है। जब लग्न सहित सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं तो यह काल सर्प दोष होता है। इसे काल सर्प योग भी कहा जाता है। यह एक शक्तिशाली दोष है और जन्म कुंडली में अन्य अच्छे योगों को समाप्त कर सकता है।

मान्यताओं के अनुसार इस दोष से पीड़ित व्यक्ति पिछले जन्म के बुरे कर्मों का फल वर्तमान जीवन में भुगते हैं। लेकिन एक बार इस दोष का प्रभाव कम होने के बाद, जातक जीवन में ऊपर उठने लगते हैं और एक अच्छी स्थिति में पहुंच जाते हैं।

काल सर्प दोष

कुंडली में कालसर्प दोष कैसे देखें

किसी जन्म कुंडली में काल सर्प दोष तब बनता है जब सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में स्थित हो। ब्रह्मांडीय पिंडों की यह स्थिति या संरेखण काल सर्प दोष बनाता है। लेकिन यदि एक भी ग्रह राहु या केतु के बीच से बाहर है, तो कोई भी दोष नहीं होगा। लेकिन कालसर्प दोष कुंडली के विभिन्न घर में अलग अलग परिणाम दे सकता है। आइए कुंडली के विभिन्न भाव में बनने वाले कालसर्प दोष के प्रभाव जानें।

पहले भाव में राहु और सातवें भाव में केतु के प्रभाव

यह संरेखण व्यक्ति को क्रोधी बनाता है और उसके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाएगा। वैवाहिक संबंधों में भी परेशानी आएगी और व्यापार में साझेदारों के सहयोग की कमी रहेगी।

दूसरे भाव में राहु और आठवें भाव में केतु के प्रभाव

पीड़ित व्यक्ति रिश्तेदारों के समर्थन के बिना असभ्य और कड़वा हो सकता है। धन संबंधी समस्याएं सामने आएंगी, और कोई बचत संभव नहीं होगी। पीड़ित जातक को दुर्घटना या सर्जरी से गुजरना पड़ सकता है। अप्राकृतिक मृत्यु की संभावना हो सकती है।


तीसरे भाव में राहु और नौवें भाव में केतु के प्रभाव

पीड़ित व्यक्ति स्वभाव से डरपोक हो सकता है और आत्मसम्मान के लिए लड़ने में असमर्थ हो सकता है। छोटे भाई-बहनों से संबंध अच्छे नहीं हो सकते हैं। ऐसे लोग प्रतिकूल परिस्थितियों को दूर करने में असमर्थ हो सकते हैं। धर्म में उसकी रुचि कम होगी और भाग्य उसका साथ नहीं देगा।

चौथे भाव में राहु और दसवें भाव में केतु

चौथे और दसवें भाव में क्रमषः राहु और केतु पीड़ितों के मां के साथ संबंध खराब कर सकता है। ऐसे लोगों को मानसिक शांति नहीं मिलती और उसे पेशे में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।


पांचवें भाव में राहु और ग्यारहवें भाव में केतु

ऐसे पीड़ित व्यक्ति को बच्चे के जन्म और शिक्षा में समस्या का सामना करना पड़ेगा। उन्हें आय अर्जित करने में समस्या हो सकती है और बड़े भाई-बहनों के साथ विवाद हो सकता है।

राहु छठे भाव में राहु और बारहवें भाव में केतु

पीड़ित व्यक्ति को शत्रुओं के प्रभुत्व का सामना करना पड़ेगा और धन और संपत्ति का नुकसान होगा। वह पैसे बर्बाद करेगा और अलोकप्रिय होने साथ ही ससुराल वालों के साथ संघर्ष करेगा।


सातवें भाव में राहु और पहले भाव में केतु

पीड़ित का विवाह नहीं हो सकता है। यदि कोई दुर्लभ अवसर आता है, तो विवाह काम नहीं करेगा और पति-पत्नी के बीच के संबंध खराब होंगे इसके कारण विवाह टूट भी सकता है।

आठवें भाव में राहु और दूसरे भाव में केतु

पीड़ित जातक स्वभाव से क्रोधी होगा और असामाजिक तत्वों से मित्रता करेगा। जातक के कई शत्रु होंगे और उसे पैतृक धन नहीं मिलेगा।


नवम भाव में राहु और तीसरे भाव में केतु

पीड़ित व्यक्ति को जीवन में कई गंभीर संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है, और भाग्य कभी उसका साथ नहीं देता। व्यक्ति में लगातार झूठ बोलने की आदत विकसित हो सकती है और वह क्रोधी हो सकता है।

दसवें भाव में राहु और चौथे भाव में केतु

पीड़ित व्यक्ति को अपने पेशे में कई बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है और काम पर वरिष्ठों के साथ संघर्ष हो सकता है। व्यक्ति में फोकस की कमी होगी और उसे आलोचना का सामना करना पड़ेगा। परिवार के सदस्यों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं। कर्ज और बुरी आदतें हो सकती हैं।


ग्यारहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु

ऐसे लोगों को आर्थिक तनाव और बच्चों को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु

इस भाव में मौजूद राहु और केतु व्यक्ति को कभी जीवन में संतुष्टि नहीं होने देते। गुप्त शत्रु हो सकते हैं, और अधिकारियों से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

कला सर्प दोष के लक्षण या प्रभाव

काल सर्प दोष को एक हानिकारक दोष माना जाता है और यह व्यक्ति के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। जातक इस दोष के कई नकारात्मक प्रभावों से पीड़ित हो सकता है। काल सर्प दोष वाले लोगों को जीवन में असफलताओं और उलटफेरों का सामना करना पड़ता है।

  • रास्ते में संघर्ष और बाधाएं आएंगी।
  • मानसिक तनाव और चिंता बनी रहती है।
  • कम आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की कमी का सामना करना पड़ता है।
  • स्वास्थ्य में गिरावट का सामना करना पड़ेगा।
  • आर्थिक नुकसान और गरीबी बनी रहती है।
  • नौकरी छूटना और व्यापार में असफलता।
  • परिवार के सदस्यों के साथ खराब संबंध।
  • मित्रों और शुभचिंतकों द्वारा विश्वासघात।
  • दोस्तों या रिश्तेदारों से समर्थन नहीं मिलेगा।

काल सर्प दोष के उपाय

कालसर्प दोष कुंडली में बनने वाले सबसे खतरनाक दोष में से एक है। लेकिन काल सर्प दोष के प्रभावों को कम करने और उनसे होने वाले नुकसानों का प्रभाव कम करने के लिए आप नीचे दिए गए काल सर्प दोष के उपाय उपयोग कर सकते हैं।

  • दिन में कम से कम 108 बार पंचाक्षरी मंत्र यानी ओम नमः शिवाय का जाप करें।
  • प्रतिदिन कम से कम 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
  • संभव हो तो प्रत्येक अमावस्या को पितरों को तर्पण दें।
  • शनिवार और खासकर नाग पंचमी के दिन नाग देवताओं के लिए दूध रखें।
  • शनिवार या नाग पंचमी के दिन किसी भी शिव मंदिर में चांदी से बनी नाग मूर्ति का दान करें।
  • राहु केतु के बीज मंत्र का प्रतिदिन 108 बार ओम श्री राहे नमः, ओम श्री केतवे नमः मंत्र का जाप करें
  • हनुमान चालीसा का जाप करें।

रु. 13500.00

काल सर्प डीलक्स पैकेज
  • 48 दिन राहु-केतु की पूजा और यज्ञ से ऊर्जावान यंत्र
  • 48वें दिन एस्ट्रोवेद यज्ञ एवं उपचार केंद्र में राहु और केतु के लिए यज्ञ
  • भगवान शिव का जलाभिषेक
  • 11 लोगों को खाना खिलाना

कला सर्प डीलक्स पैकेज में भाग लें जिसमें 48 दिनों में राहु और केतु यंत्र की पूजा, 48 वें दिन राहु और केतु के लिए यज्ञ शामिल होंगे और अंत में यंत्र को शिव शक्ति स्थान पर रखा जाता है। मूर्तिपूजक शिव का जलाभिषेक अनुष्ठान भी किया जाएगा और अंतिम दिन 11 लोगों को भोजन कराया जाएगा।

मुझे क्या मिलेगा?

आपको कुम-कुम और यज्ञ की पवित्र भभूत प्राप्त होगी। आप इन पवित्र ऊर्जावान वस्तुओं को वेदी में रख सकते हैं और देवता के दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आवश्यकतानुसार इसे माथे पर लगा सकते हैं।
अनुष्ठान विधि पूरी होने के बाद प्रसाद सामग्री को एक सप्ताह के अंदर चेन्नई, तमिलनाडु से आपके पते पर भेज दिया जाएगा। हालांकि अंतरराष्ट्रीय डिलीवरी के लिए 2 से 4 सप्ताह का समय लगने की संभावना होती है।
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एस्ट्रोवेद के दोष उपचारात्मक पूजा अनुष्ठान

हमारे विशेषज्ञ वैदिक ज्योतिषियों द्वारा आपकी निजी कुंडली का गहन विश्लेषण कर ग्रह, उनकी स्थिति और दषा महादशा के आधार पर अनूठे व्यक्तिगत उपाय सुझाए जाते हैं। इन उपायों में यज्ञ व हवन शालाओं सहित कई तरह के अनुष्ठान और पूजाएं शामिल है। उपरोक्त पूजा अनुष्ठान और हवन यज्ञों के लिए आपकी कुंडली के आधार पर ही विशेष समय का चयन किया जाता है, जिससे आपके जीवन को प्रभावित करने वाले दोषों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिल सके।