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विवाह दोष निवारण के उपाय | Remedies For Vivah Dosh (Delay In Marriage) In Hindi
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कालत्र दोष

कलत्र दोष या विवाह दोष

हमारा जीवन भी खगोलीय पिंड़ों की तरह गतिमान है और इसमें आने वाले उतार-चढ़ाव जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं। वैदिक ज्योतिष हमें इन खगोलीय पिंड़ों अर्थात ग्रहों से हमारे जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को बताता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हमारे जन्म के समय ग्रहों की स्थिति का हमारे पूरे जीवन पर एक खास असर देखने के मिलता है। कई बार जन्म कुंडली में ग्रहों की अनुकूल परिस्थितियों के कारण हमें जीवन में सकारात्मक और मन चाहे परिणाम प्राप्त होते हैं। लेकिन कई बार जन्म के समय ग्रहों की स्थिति नकारात्मक होने के कारण हमें परेषानियों और मुष्किलों का भी सामना करना पड़ता है। जन्म कुंडली में बनने वाली इन नकारात्मक या बुरी स्थिति को ज्योतिष में दोष के नाम से जाना जाता है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर कई तरह के दोष बनते है। इस लेख के माध्यम से हम कलत्र दोष के बारे में जानेंगे।

कलत्र दोष क्या है?

कलत्र का अर्थ है साथी या जीवनसाथी, जन्म कुंडली में सातवें घर को कलत्र स्थान या जीवनसाथी का घर कहा जाता है। 7 वां घर जीवनसाथी, सद्भाव, साझेदारी, खुशी, वैवाहिक सद्भाव और अच्छी बॉन्डिंग का प्रतीक है। कलत्र दोष विवाह और वैवाहिक संबंधों में क्लेश का प्रतीक है। हालांकि उत्तर भारत में इस कलत्र दोष को विवाह दोष के नाम से भी जाना जाता है।

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कलत्र दोष या विवाह दोष कैसे देखें

वैदिक ज्योतिष में, कलत्र दोष तब होता है जब मंगल, शनि, सूर्य, राहु और केतु जैसे हानिकारक ग्रह लग्न या लग्न से पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें घर में स्थित हों। वहीं दूसरे, सातवें और ग्यारहवें भाव में संबंध न होने पर विवाह में देरी हो सकती है। कुंडली के इन्ही घरों के माध्यम से कलत्र दोष का निर्धारण किया जाता है। सप्तम भाव या सप्तम भाव के स्वामी में पाप ग्रह की उपस्थिति वैवाहिक कलह का कारण बन सकती है। पुरुषों की कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी शुक्र और महिलाओं की कुंडली में गुरु होते है। अब उदाहरण के तौर पर देखें तो शुक्र के साथ या फिर सप्तम भाव में केतु जैसे अशुभ ग्रह की मौजूदगी जातक के जीवन में विवाह से संबंधित परेशानियां पैदा कर सकती है। केतु जैसा अशुभ ग्रह लग्न या जन्म चंद्रमा से सातवें भाव में स्थित होने पर समस्या पैदा करता है और कलत्र दोष का कारण बन सकता है।

कलत्र दोष के प्रभाव और लक्षण

कलत्र दोष विवाह और विवाह से संबंधित क्षेत्रों में में परेशानियां पैदा कर सकता है। यह इस दोष से प्रभावित जातक के लिए कई बाधाओं का कारण बन सकता है। नीचे कलत्र दोष या विवाह दोष के नुकसान बताए गए हैं।

  • विवाह में देरी।
  • वैवाहिक जीवन में दुख।
  • जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब होना।
  • अलगाव या तलाक।
  • जीवनसाथी की अकाल मृत्यु।

विवाह दोष या कलत्र दोष के उपाय

कलत्र दोष के नुकसान या उसके प्रभावों को कम करने के लिए आपके नीचे दिए गए विवाह दोष के उपायों का उपयोग कर सकते हैं।

  • जिस व्यक्ति की कुंडली में कलत्र दोष है वह केले के पेड़ से विवाह समारोह कर सकता है। उत्तर भारत में लोग कुंभ अर्थात बर्तन से विवाह करते हैं, इस विवाह दोष के उपाय को कुंभ विवाह कहा जाता हैं।
  • शुक्रवार के दिन किसी भी मंदिर में अन्न दान करना चाहिए।
  • किसी ऐसे गरीब जोड़े की शादी में मदद करें जो शादी तो करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास शादी के पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
  • यदि संभव हो तो आंध्र प्रदेश के कालाहस्ती की यात्रा करें।
  • अपने माता-पिता के अलावा किसी अन्य बुजुर्ग दंपति का आशीर्वाद लें और हो सके तो फल, अनाज, कपड़े, धन और सोना दान करें।
  • अपनी कुंडली से इस दोष के क्लेश को दूर करने के लिए विष्णु और शिव से प्रार्थना करें।
  • किसी ज्योतिषी के सुझाव के अनुसार रत्न धारण करें।
  • सफेद रंग का कमल का फूल शिव की मूर्ति पर लगातार 7 शुक्रवार तक चढ़ाएं।
  • लगातार 7 शुक्रवार किसी मंदिर में मिठाई बांटे।
कालथरा दोष को दूर करने के लिए इन यज्ञों की सिफारिश की जाती है।
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हमारे विशेषज्ञ वैदिक ज्योतिषियों द्वारा आपकी निजी कुंडली का गहन विश्लेषण कर ग्रह, उनकी स्थिति और दषा महादशा के आधार पर अनूठे व्यक्तिगत उपाय सुझाए जाते हैं। इन उपायों में यज्ञ व हवन शालाओं सहित कई तरह के अनुष्ठान और पूजाएं शामिल है। उपरोक्त पूजा अनुष्ठान और हवन यज्ञों के लिए आपकी कुंडली के आधार पर ही विशेष समय का चयन किया जाता है, जिससे आपके जीवन को प्रभावित करने वाले दोषों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिल सके।