हमारे जन्म के समय की ग्रह नक्षत्रों की स्थिति को ही जन्म कुंडली के नाम से जाना जाता हैं। आपके जन्म के समय ग्रहों की स्थिति आपके आने वाले जीवन की अच्छी और बुरी स्थितियों के लिए जिम्मेदार हो सकती है। जन्म कुंडली में मौजूद किसी दोष के कारण आपको अपने जीवन में कई तरह की परेशानियों और अनियमितताओं का सामना करना पड़ सकता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडलियों में ग्रह स्थिति के आधार पर कई तरह के दोष पाए जाते हैं। इन्ही दोष में से एक है, घट दोष जिसे उत्तर भारत में द्वंद दोष के नाम से भी जाना जाता है। आगे हम घट दोष या द्वंद दोष के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे और जानेंगे कि घट दोष के उपायों के बारे में।
जब किसी जन्म कुंडली में शनि और मंगल एक साथ होते हैं तो यह स्थिति घट दोष का निर्माण करती है। दोनों ही अशुभ ग्रह हैं और जातक के जीवन में कहर ढाल सकते हैं।
घट दोष या द्वंद दोष कुंडली में मंगल और शनि दोनों एक ही भाव में स्थित होने से बनता हैं। मंगल और शनि जैसे दो बड़े और प्रभावी पाप ग्रहों के संयोजन से बनने वाला यह दोष जातक के जीवन में कई हानिकारक स्थितियां पैदा कर सकता है।
मंगल और शनि जैसे खतरनाक ग्रहों के संयोजन से बनने वाले इस इस के कारण एक व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं आ सकती है। घट दोष या द्वंद दोष के प्रभाव नीचे पाॅइंट में समझाए गए हैं।
कुंडली में मंगल और शनि का एक ही भाव में बैठने के कारण व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती हैं। इन समस्याओं के बारे में उपर हमने विस्तार से चर्चा की है। यहां आपको घट दोष या द्वंद दोष के उपाय बताए गए हैं।
पंचमुखी हनुमान यज्ञ
रुद्र होम
हमारे विशेषज्ञ वैदिक ज्योतिषियों द्वारा आपकी निजी कुंडली का गहन विश्लेषण कर ग्रह, उनकी स्थिति और दषा महादशा के आधार पर अनूठे व्यक्तिगत उपाय सुझाए जाते हैं। इन उपायों में यज्ञ व हवन शालाओं सहित कई तरह के अनुष्ठान और पूजाएं शामिल है। उपरोक्त पूजा अनुष्ठान और हवन यज्ञों के लिए आपकी कुंडली के आधार पर ही विशेष समय का चयन किया जाता है, जिससे आपके जीवन को प्रभावित करने वाले दोषों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिल सके।