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गुरु चांडाल दोष

गुरू चांडाल दोष से ऐसे मिलेगी मुक्ति, जानिए सरल उपाय और लक्षण

हमारा अधिकांश जीवन हमारे जन्म के समय से प्रभावित हुआ है। हमारे जन्म के समय ग्रहों की स्थिति अन्य स्थितियों के साथ यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि हमारा जीवन कैसे आगे बढ़ेगा। वैदिक ज्योतिष में दोष जन्म कुंडली में पाई जाने वाली खराब स्थितियों को दर्शाता है। संस्कृत से जन्मा शब्द दोष शारीरिक विकारों का प्रतीक है। कुंडली में बनने वाली दोष की स्थिति इस बात को दर्षाती है कि हमारे जन्म के समय ग्रहों की स्थिति हमारे अनुकूल या अच्छी नहीं थी। ये अशुभ ग्रह मिलकर जातक की कुंडली में सभी अच्छे और सकारात्मक प्रभावों को खत्म कर देते हैं, जिससे उसके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

चांडाल दोष क्या है?

किसी कुंडली में चांडाल दोष तब बनता है जब जन्म कुंडली में बृहस्पति अर्थात गुरु ग्रह अशुभ ग्रहों जैसे राहु या केतु के साथ युति करता है। चांडाल दोष जातक के जीवन में अशुभ प्रभाव डाल सकता है। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को गुरु कहा गया है, वहीं चांडाल एक असुर को संदर्भित करता है, जो राहु है। इसलिए, दोष को गुरु चांडाल दोष के रूप में भी जाना जाता है।

चांडाल दोष

गुरु चांडाल योग कैसे बनता है

किसी कुंडली में चांडाल दोष तब बनता है जब गुरु राहु या केतु के साथ युति करता है और जन्म कुंडली में उसी घर में स्थित होता है। इस दोष में गुरु प्रमुख भूमिका निभाता है। चांडाल योग के कारण जातक के जीवन में बहुत सारी कठिनाइयां बनी रहती है।

तीसरे घर में राहु या केतु के साथ बृहस्पति की युति चांडाल दोष का कारण बन सकती है और जातक को नकारात्मक, विश्वासघाती और घृणा फैलाने वाला बना सकती हैं।
कुंडली के आठवें भाव में यह युति अधिक विनाशकारी रूप से चांडाल दोष का निर्माण कर सकती है और जातक के जीवन को समाप्त कर सकती है। इसके कारण दुर्घटनाएं हो सकती हैं। यदि बृहस्पति और राहु अष्टम भाव में युति करते हैं, तो उदर क्षेत्र में चोट और दर्द हो सकता है इससे जीवन क्षत-विक्षत हो सकता है।

यदि चांडाल योग 9 वें घर में बनता है तो व्यक्ति अनजाने में नाजायज गतिविधियों में शामिल होता है और सभी सामाजिक मानदंडों और धार्मिक मान्यताओं को तोड़ता है। वे गलत विचारों और विश्वासों को फैला सकते हैं और अपने जीवन के लिए गलत दृष्टिकोण अपना सकते हैं।

हालांकि, दोष सभी घरों में बहुत हानिकारक नहीं है, और यदि बृहस्पति मजबूत और अच्छी स्थिति में है और राहु को नियंत्रित कर सकता है, तो व्यक्ति कम से कम नुकसान के साथ एक लंबा सफर तय कर सकता है। केतु के साथ बृहस्पति, उत्तर भारत में ज्योतिषियों द्वारा चांडाल दोष के रूप में नहीं माना जाता है। इस संयोजन के कारण व्यक्ति अधिक आध्यात्मिक और दुनिया से अलग-थलग रहता है।

चांडाल दोष के प्रभाव या नुकसान

जब किसी कुंडली में चांडाल दोष बनता है, तो यह बृहस्पति के लाभकारी प्रभावों को हानिकारक प्रभावों में बदल सकता है। चांडाल दोष से प्रभावित जातक कई विसंगतियों का अनुभव कर सकता है।

  • मेहनत का सकारात्मक परिणाम नहीं मिल सकता है।
  • जातक को व्यवहार और प्रवृत्तियों में परिवर्तन का अनुभव होगा।
  • जातक बुरी संगत की ओर आकर्षित होगा।
  • व्यक्ति बड़ों के प्रति असम्मानजनक और अविवेकी हो सकता है।
  • शैक्षणिक कार्यों में समस्याएं उत्पन्न होंगी।
  • दुर्घटना और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं जातक को परेशान कर सकती हैं।
  • करियर और व्यवसाय में अस्थिरता।
  • परिवार के सदस्यों के साथ मनमुटाव।

चांडाल दोष उपाय

  • प्रतिदिन गुरु मंत्रों का जाप करें ओम श्री गुरुवे नमः, ओम नमः शिवाय, ओम नमो नारायणाय, या कोई भी गुरु मंत्र जिसे आप जानते हैं।
  • गुरुवार को पीले रंग के कपड़े पहनें और यदि संभव हो तो अन्य दिनों में भी।
  • यदि संभव हो तो गुरुवार के दिन घी, हल्दी और पीली तूर की दाल का सेवन करें।
  • गुरुवार के दिन मंदिर में आने वाले भक्तों को मिठाई का दान करें।
  • पंडितों व पुरोहितों को भोजन दान करें।
  • गुरुवार के दिन वैदिक शास्त्रों का पाठ करें।
  • गुरुवार को ध्यान करें और भगवान से प्रार्थना करें।
  • अपने धर्म या पवित्र शास्त्रों का अनादर न करें।
  • किसी भी गुरु, शिक्षक, मार्गदर्शक, योगी, माता-पिता या बड़ों का अनादर न करें।
  • अनैतिक कार्य करने से बचना चाहिए और धर्म के अनुसार उचित कार्य करना चाहिए।
  • अपने पसंद के किसी भी गुरु भगवान का अनुसरण करें, उनका ध्यान करें और अपना मन उन्हें समर्पित करें।
चांडाल दोष को दूर करने के लिए इन यज्ञों की सिफारिश

एस्ट्रोवेद के दोष उपचारात्मक पूजा अनुष्ठान

हमारे विशेषज्ञ वैदिक ज्योतिषियों द्वारा आपकी निजी कुंडली का गहन विश्लेषण कर ग्रह, उनकी स्थिति और दषा महादशा के आधार पर अनूठे व्यक्तिगत उपाय सुझाए जाते हैं। इन उपायों में यज्ञ व हवन शालाओं सहित कई तरह के अनुष्ठान और पूजाएं शामिल है। उपरोक्त पूजा अनुष्ठान और हवन यज्ञों के लिए आपकी कुंडली के आधार पर ही विशेष समय का चयन किया जाता है, जिससे आपके जीवन को प्रभावित करने वाले दोषों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिल सके।