वैदिक ज्योतिष में हमारा जीवन और पहचान हमारे जन्म की तारीख, समय और स्थान से पहचानी जाती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जन्म या जन्म कुंडली में आकाशीय पिंडों की स्थिति या ग्रह हमारे जीवन की कई विशेषताओं और पहलुओं को निर्धारित करते हैं। ग्रह ब्रह्मांडीय ऊर्जा के वाहक हैं और हमारे पिछले जीवन के कर्मों को भी दर्शाते हैं। वे हमारे वर्तमान जीवन को अत्यधिक प्रभावित करते हैं। कुंडली में बनने वाली यह स्थितियां अच्छे और बुरे दोनों ही तरह से हमें प्रभावित करती हैं। वैदिक ज्योतिष में एक जातक की जन्म कुंडली में खराब स्थिति को एक दोष रूप में परिभाषित किया गया है। कुंडली में बनने वाले इन कई दोषों में से एक है एक नक्षत्र दोष जो की इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों को भी प्रभावित कर सकता है। आइए एक नक्षत्र दोष क्या है? और एक नक्षत्र दोष के उपाय जानें।
एक नक्षत्र दोष तब होता है जब परिवार के दो सदस्य एक ही नक्षत्र में पैदा होते हैं। लेकिन एक नक्षत्र दोष तभी प्रभावी माना जाएगा जब एक ही नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों के बीच में घर में किसी अन्य बच्चे का जन्म न हुआ हो। इस दोष के कारण नवजात शिशु को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
एक नक्षत्र में एक परिवार के दो सदस्य एक दूसरे के ठीक बाद पैदा होते हैं तब इस घटना के कारण नवजात के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यदि दोनों सदस्यों का नक्षत्र पद समान हों, तो जन्मे शिशु का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। यदि दोनों एक ही जन्म नक्षत्र को अलग-अलग पदों के साथ साझा करते हैं, तो शिशु को जीवन में धन और सुख की हानि होगी।
दुख का समय तब शुरू होता है जब दोनों जातक एक-दूसरे से शारीरिक रूप से दूर होते हैं। दूरी शिशु के लिए परेशानी का कारण बनती है। लेकिन इससे भी अधिक बुरी परिस्थितियां तब बनती हैं जब दोनों सदस्य एक साथ रहते हैं लेकिन भावनात्मक और मानसिक रूप से एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं। एक नक्षत्र दोष का अधिक असर उसी नक्षत्र में पैदा होने वाले छोटे सदस्य को अधिक उठाना पड़ सकता है। पिता के जन्म नक्षत्र में जन्म लेने वाला पुत्र भी एक नक्षत्र दोष का कारण बन सकता है।
यदि एक ही नक्षत्र में एक ही परिवार के दो सदस्यों का जन्म होता है तो एक नक्षत्र दोष कष्ट का कारण बन सकता है। दोष के कारण परिवार के छोटे सदस्य को प्रतिकूल प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं एक नक्षत्र दोष के नुकसान!
जिस नक्षत्र में परिवार के दो सदस्यों का जन्म हो उस नक्षत्र के मंत्रों का जाप करें। इसलिए, यदि बृहस्पति के नक्षत्र में पैदा हुए हैं, तो उदाहरण के लिए, ओम श्री गुरुवे नमः का जाप करें। यदि मंगल नक्षत्र में जन्म हो तो दिन में 108 बार ओम श्री कुझाय नमः का जाप करें।
नवग्रह शांति यज्ञ
महा गणपति यज्ञ
नक्षत्र शांति यज्ञ
हमारे विशेषज्ञ वैदिक ज्योतिषियों द्वारा आपकी निजी कुंडली का गहन विश्लेषण कर ग्रह, उनकी स्थिति और दषा महादशा के आधार पर अनूठे व्यक्तिगत उपाय सुझाए जाते हैं। इन उपायों में यज्ञ व हवन शालाओं सहित कई तरह के अनुष्ठान और पूजाएं शामिल है। उपरोक्त पूजा अनुष्ठान और हवन यज्ञों के लिए आपकी कुंडली के आधार पर ही विशेष समय का चयन किया जाता है, जिससे आपके जीवन को प्रभावित करने वाले दोषों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिल सके।