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दुनिया का सबसे अमीर मंदिर लेकिन भगवान सबसे गरीब, आज तक नहीं चुका पाए कर्ज | Facts About Richest Tirupati Balaji Temple

आंध्रप्रदेश में स्थित तिरुपति (वेंकटेश्वर) बालाजी का मंदिर, विश्व प्रसिद्ध मंदिर है, और भारत में सबसे अमीर मंदिरों में से एक है| यह मंदिर भू लोक के वैकुंड के रूप में वर्णित किया जाता है।
तिरुपति, देश के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले मंदिरों में से एक है और यहां हर साल भक्तों की संख्या बढ़ रही है। यह आज पृथ्वी पर सबसे लोकप्रिय मंदिर है जो किसी भी दिन भक्तों की अधिकतम संख्या को आमंत्रित करता है और दैनिक आधार पर उनसे दान की सबसे बड़ी राशि को आकर्षित करता है। यहाँ भक्त लोग अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए भगवान बालाजी से प्रार्थना करते हैं और उनकी इच्छा पूरी होने पर मंदिर हुण्डी में अपने दान देने की प्रथा है। इस तरीके से लाखों भक्त यहाँ दर्शन के लिए और अपना योगदान देने के लिए मंदिर में रोज आते हैं| वे उपहार के रूप में पैसे, गहने और महंगी वस्तुएं प्रदान करते हैं। कई वर्षों से भक्तों द्वारा यह माना जाता है कि इन सभी आय का भुगतान कुबेरन द्वारा विष्णु की शादी के दौरान प्राप्त ऋण पर ब्याज के रूप में किया जाएगा।

जब इतने सारे मंदिर हैं, तो तीर्थयात्रियों की भीड़ अकेले तिरुपति में क्यों घूमती है? बिना कारण के नहीं। यहाँ भगवान विष्णु से की गई महिमाएँ कई हैं। एक-दो नहीं। भगवान विष्णु ने वेंकटेश्वर नाम धारण कर यहाँ कई नाटक किए हैं|

Facts About Richest Tirupati Balaji Temple

विष्णु वेंकटेश्वर कैसे बने?- पौराणिक कहानी

भगवान बालाजी (वेंकटेश्वर) के बारे में मिथक ऐसा है कि भृगु मुनि वैकुण्ठ लोक गए। उस समय भगवान श्रीविष्णु देवी लक्ष्मी की गोद में सिर रखकर लेटे थे। इसलिए विष्णु को भृगु का आगमन का ज्ञान न था और उनको स्वागत नहीं किया| इसलिए क्रोधित भृगु ने भगवान विष्णु छाती पर एक लात मारी। इस अपमान से देवी लक्ष्मी भृगु ऋषि  को दंड देना चाहती थी। भगवान विष्णु भृगु ऋषि को दंड नहीं दिेया। इसलिए देवी लक्ष्मी नाराज हो गई और बैकुंठ छोड़कर चली गई। भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी को ढूंढना शुरु किया तो पता चला कि देवी ने पृथ्वी पर पद्मावती नाम की कन्या के रुप में जन्म लिया है। भगवान विष्णु ने भी तब अपना रुप बदला और पद्मावती के पास पहुंचा। भगवान ने पद्मावती के सामने विुवाह का प्रस्ताव रखा जिसे देवी ने स्वीकार कर लिया लेकिन प्रश्न सामने यह आया कि विवाह के लिए धन कहां से आएगा|

क्यों लिए कर्ज कुबेर से?

लक्ष्मी देवी साथ न होने के कारण नारायण के पास धन नहीं है| लेकिन पद्मावती से शादी करने के लिए धन की आवश्यकता पड़ी| विष्णु जी ने इस समस्या का समाधान निकालना चाहे! इसलिए वे के लिए भगवान शिव और ब्रह्मा जी को साक्षी रखकर कुबेर से काफी धन कर्ज लिया। कुबेर ने ऋण इस शर्त पर दिया कि विष्णु ऋण चुकाए बिना वैकुंठ (स्वर्गीय निवास) में नहीं लौट सकते। शर्त पर सहमत होकर भगवान ने वचन दिया था कि कलियुग के अंत तक वह अपना सारा कर्ज चुका देंगे। कर्ज समाप्त होने तक वह ब्याज चुकाते रहेंगे। भगवान के कर्ज में डूबे होने की इस मान्यता के कारण बड़ी मात्रा में भक्त धन-दौलत भेंट करते हैं, ताकि भगवान कर्ज मुक्त हो जाएं।अपने ऋण को चुकाने में मदद करने के लिए, भक्त उन्हें धन प्रदान करते हैं और बदले में भगवान विष्णु उनकी प्रार्थना पूरी करते हैं।

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