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भरणी नक्षत्र

भरणी (संजोना, सहायक व पोषण) (13°20′ – 26°40′ मेष)

आधुनिक खगोल विज्ञान के अनुसार मेष राशि में आने वाले भरणी नक्षत्र में तीन तारों का समावेश है जिनके नाम 35-एरीटिस, 39-एरीटिस और 41-एरीटिस हैं। भरणी एक बहुत ही गर्म नक्षत्र है जिसमें भारी मात्रा में अग्नि ऊर्जा विद्यमान है। वैदिक परंपरा में अग्नि तत्व के कई गुण माने गए हैं तथा भरणी में वह पवित्र गुण निहित हैं जो अग्नि के शुरू में प्रज्वलित होने के समय मौजूद थे| इस नक्षत्र में पैदा होने वाले लोगों में उनकी अग्नि ऊर्जा के कारण शासन करने की क्षमता होती है। भरणी नक्षत्र की प्रकृति चरम है जिस भी दिशा का चयन करती है उसकी पूर्ण ख़ोज-बीन करती है| भरणी नक्षत्र में शुक्र ग्रह की उर्जा समाहित है इसलिए यह नक्षत्र ज़बरदस्त गूढ़ ज्ञान से भरपूर है| इस नक्षत्र की मुख्य प्रतीक योनि या स्त्री जननेन्द्रियाँ है जो रचनात्मकता, कामुकता तथा जन्म व मृत्यु के चक्र को दर्शाती है| गर्भ की तरह भरणी नक्षत्र पोषण और विकास से संबंधित है तथा इसमें शीघ्र प्रकट होने की शक्ति है| भरणी नक्षत्र में पैदा हुए लोगों का एक मजबूत चरित्र होता है तथा वे जीवन के परिवर्तनों का सामना कर सकते हैं। उनकी सरलमति उन्हें कुछ नया सीखने व जानकारी इकट्ठा करने में सक्षम बनाती है| यह नक्षत्र सबसे अधिक उत्साही व व्यग्र नक्षत्रों में से एक है फिर भी इसे समझना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

सामान्य विशेषताएँ: सक्षम, सच्चा, काम या कार्यक्षेत्र में सफल; रोगों व दु: ख से मुक्त
अनुवाद: “सहनशील स्त्री”
प्रतीक: योनी, स्त्री प्रजनन अंग
पशु प्रतीक: हाथी
अधिपति देव: यम, मृत्यु के देवता
शासक ग्रह: शुक्र
शुक्र ग्रह के अधिपति देव: लक्ष्मी
प्रकृति: मनुष्य
ढंग: संतुलित
संख्या: 2 (स्त्री गुणों से संबंधित)
लिंग: स्त्री
दोष: पित
गुण: रजस
तत्व: पृथ्वी
प्रकृति: उग्र
पक्षी: कौआ
सामान्य नाम: आंवला
वानस्पतिक नाम: एमब्लिका ओफ्फिसिनालिस
बीज ध्वनि: ली, लू, ले, लो (भरणी के पद देखें)
ग्रह से संबंध: मेष राशि के स्वामी के रूप में मंगल इस नक्षत्र से संबंधित है|

प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में विभाजित किया जाता है जिन्हें पद कहते हैं| भरणी नक्षत्र के विभिन्न पदों में जन्म लेने वाले लोगों के अधिक विशिष्ट लक्षण होते हैं:

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पद:

प्रथम पद मेष राशि का 13°20′ – 16°39′ भाग सूर्य ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: ली
सूचक शब्द: इच्छा शक्ति
द्वितीय पद मेष राशि का 16°40′ – 19°59′ भाग बुध ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: लू
सूचक शब्द: परोपकारिता
तृतीय पद मेष राशि का 20°00′ – 23°19′ भाग शुक्र ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: ले
सूचक शब्द: मिलाना
चतुर्थ पद मेष राशि का 23°20′- 26°39′ भाग मंगल ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: लो
सूचक शब्द: बेहिचक

शक्ति: चालाक और कार्यों को शीघ्रता से पूर्ण करने में सक्षम, नए अनुभवों का आनंद लेने वाले, कर्तव्यपरायण, परिवार और दोस्तों के प्रति वफादार, साहसी रवैया, उत्तम स्वास्थ्य / दीर्घायु, कार्यक्षेत्र में प्रतिभाशाली, संतुष्ट, नेता – सार्वजनिक जीवन में अच्छा कार्य करने वाला, रचनात्मक, कलात्मक और भौतिकतावादी|

कमजोरियाँ: बोझ से दबा, बेचैन, अनैतिक, अप्रत्याशित चरित्र, बहुत चालाक, जिद्दी, बच्चे के समान, भेद्य, उत्साह, अनुशासन की उम्मीद, चिड़चिड़ा, अधीर, उत्तेजित होने वाला, यौन संबंधों में आसक्त, फलक, नैतिकतावादी, अनुमान लगाने वाला|

कार्यक्षेत्र: बच्चों के लिए कार्य करना (शिक्षण, बाल देखभाल आदि), स्त्रीरोग विशेषज्ञ, दाई, प्रजनन विशेषज्ञ, मृत्यु से जुड़े क्षेत्र, अंत्येष्टि या जनाजे का प्रबंध करनेवाला, भूसंपत्ति की योजना बनाने वाला, मृत्युलेख लेखक, अंत्येष्टि संस्कार से जुड़ी सेवाएं, कामुकता से जुड़े क्षेत्र, मनोरंजन, मॉडल, सेक्स संबंधी कार्य करने वाला, जज, होटल उद्योग, खानपान, पशु चिकित्सा, दमकल कर्मचारी, शल्य-चिकित्सक, फोटोग्राफर, जादू करने वाला, न्यायाधीश, चरम गोपनीयता से जुड़े क्षेत्र, भू-भौतिकी, भूकंप और ज्वालामुखी विशेषज्ञ।

भरणी नक्षत्र में जन्में प्रसिद्ध लोग: कार्ल जंग, एडगर केसे, एल्टन जॉन, कार्ल मार्क्स, ज़ाचरी टेलर, जेम्स ए गारफील्ड, इमेल्डा मार्कोस

अनुकूल गतिविधियां: सर्जनात्मक और सहज गतिविधियां, तपस्या, आध्यात्मिक अभ्यास, मुकदमा / तलाक की अर्जी, गंभीर कार्रवाई से जुड़ी गतिविधियाँ, प्रजनन अध्ययन, अग्नि संबंधी कार्य, प्रतियोगिता, अभियान

प्रतिकूल गतिविधियां: व्यापारिक लेन-देन, अनुबंध पर हस्ताक्षर, वार्तालाप, चिकित्सक की नियुक्तियां, सौंदर्य उपचार, ख़रीददारी, यात्रा, कोमल गतिविधियाँ

पवित्र मंदिर: नल्लादई श्री अग्निश्वर मंदिर

भारत में तमिलनाडु के मयिलाडुथुरई नामक गांव में भरणी नक्षत्र से संबंधित यह पवित्र मंदिर स्थित है। इसे “श्री अग्निश्वर” मंदिर भी कहते हैं क्योंकि यह भगवान शिव के एक रूप से संबंधित है| “श्री” एक मंत्र है जो सम्मान व उत्तम भाग्य प्रदान करता है तथा “अग्निश्वर” का अर्थ अग्नि देव है| । भरणी नक्षत्र में पैदा हुए लोगों को अपने जीवनकाल में इस पवित्र मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए|

भरणी नक्षत्र में पैदा हुए लोग यदि इस पवित्र नल्लादई श्री अग्निश्वर मंदिर में यज्ञ अनुष्ठान करवाते हैं तो उन्हें अविश्वसनीय कृपा प्राप्त होती है| सिद्धों का कहना है कि यदि इस पवित्र यज्ञ अनुष्ठान को माचिस की तिल्ली के बजाय शुद्ध पीपल की लकड़ी जलाकर संपादित किया जाता है तो दैवीय कृपा प्राप्त होती है| इस प्रकार की अग्नि को भरणी अरनी कहा जाता है क्योंकि यह अग्निदेव से उत्पन्न हुई है|

संत मिरुगंडू ने भरणी नक्षत्र दिवस पर एक यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन करके इस पवित्र भरणी अरनी नामक अग्नि को निर्मित किया था| इस अग्नि की राख को रेशमी वस्त्रों सहित पवित्र श्री अग्निश्वर मंदिर में अर्पित किया गया था। कहा जाता है कि अगर भरणी नक्षत्र दिवस पर इस पवित्र यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया जाए तो गुरु की कृपा से लाभकारी प्रभाव कई हजार गुणा बढ़ जाते हैं| इससे देवी लक्ष्मी के दिव्य आशीर्वादों की भी प्राप्ति होगी|

इस पवित्र स्थल में भरणी नक्षत्र दिवस पर यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन करवाने से विभिन्न नक्षत्रों में पैदा हुए लोगों को अधिकतम धन-संपदा व शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होगा लेकिन भरणी नक्षत्र में पैदा हुए लोगों को विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है|

भरणी नक्षत्र में जन्में लोगों के लिए वेदों द्वारा निर्धारित धूप आंवला नामक जड़ी-बूटी से निर्मित है|

इस धूप को जलाना उस विशिष्ट नक्षत्र हेतु एक लघु यज्ञ अनुष्ठान करने के समान है| एक विशिष्ट जन्मनक्षत्र के निमित किए गए इस लघु अनुष्ठान द्वारा आप अपने ग्रहों की आन्तरिक उर्जा से जुड़कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में सक्षम होंगे|

एक विशिष्ट नक्षत्र दिवस पर अन्य नक्षत्र धूपों को जलाने से आप उस दिन के नक्षत्र की ऊर्जा से जुड़कर अनुकूल परिणाम प्राप्त करते हैं| आपको यह सलाह दी जाती है कि आप कम से कम अपने व्यक्तिगत नक्षत्र से जुड़ी धूप को प्रतिदिन जलाएं ताकि आपको उस नक्षत्र से जुड़ी सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती रहे|

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