हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि दान देना पुण्य का काम है और इससे जीवन सुखमय होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी-कभी दान देना नुकसान भी कर सकता है? लाल किताब में भी इस बारे में लिखा गया है। लाल किताब के अनुसार, अगर कुंडली और वर्षफल में कोई विशिष्ट ग्रह स्थिति में है, तो दान नहीं करना चाहिए। ऐसी स्थिति में दान करने से हानि हो सकती है, आइए जानते हैं किन परिस्थितियों में दान देना और लेना वर्जित है।
छठे भाव में चंद्रमा
– यदि किसी जातक की कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा विराजमान है, तो उन्हें सार्वजनिक भलाई के कार्य जैसे तालाब बनवाना या उससे संबंधित वस्तुओं का दान करना नुकसानदायक हो सकता है।
– इस स्थिति में दान करने से जातक संतानहीन भी हो सकता है।
आठवें भाव में शनि
– जिन जातकों की कुंडली के आठवें भाव में शनि विराजमान है, उन्हें राहगीरों के लिए धर्मशाला या आराम की जगह नहीं बनानी चाहिए।
– इससे स्वयं जातक बेघर हो सकता है।
पहले भाव में शनि और पांचवें भाव में बृहस्पति
– ऐसे जातकों को गरीब, जरूरतमंद या राहगीरों को तांबे का सिक्का नहीं देना चाहिए।
– ऐसा करने से अशुभ समाचार मिल सकते हैं।
दसवें भाव में बृहस्पति और चैथे भाव में चंद्रमा
– ऐसे जातकों को मंदिर या धार्मिक स्थल नहीं बनवाना चाहिए।
– इससे उन्हें गलत आरोप में सजा हो सकती है।
नवें भाव में शुक्र
– जिनकी कुंडली के नवें भाव में शुक्र है, उन्हें गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे, पुस्तक, दवा आदि का दान नहीं करना चाहिए।
– इससे वे आर्थिक तंगी में पड़ सकते हैं।
बारहवें भाव में चंद्रमा
– चंद्रमा बारहवें भाव में होने पर साधु या फकीर को रोज रोटी नहीं खिलानी चाहिए।
– मुफ्त में विद्या देने के लिए कोई स्कूल या संस्थान नहीं खोलना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियां और दुख बढ़ सकते हैं।
सातवें भाव में बृहस्पति
– जिनकी कुंडली के सातवें भाव में बृहस्पति है, उन्हें धर्मस्थल या साधु को मुफ्त में कपड़े नहीं देने चाहिए।
– इससे निर्धनता आ सकती है और इसका असर संतान पर भी पड़ सकता है।
इन परिस्थितियों में दान देने से बचना चाहिए। यदि आप इस विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो हमारे ज्योतिषाचार्यों से संपर्क करें।