AstroVed Menu
AstroVed
search
HI language
x
cart-added The item has been added to your cart.
x

आषाढ़ी अमावस्या 2025 – पितृ तर्पण और आध्यात्मिक शुद्धि का विशेष दिन

आषाढ़ी अमावस्या, जिसे दक्षिण भारत में आदि अमावासई के नाम से जाना जाता है, एक अत्यंत शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से पितरों की शांति, तर्पण, और कर्म शुद्धि के लिए समर्पित होता है। यह अमावस्या आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को आती है और वर्ष 2025 में यह 26 जुलाई (शनिवार) को मनाई जाएगी।

इस दिन किए गए पितृ तर्पण, स्नान, दान और पूजा को कई गुना फलदायी माना गया है। यह दिन आध्यात्मिक साधना के लिए भी विशेष रूप से अनुकूल होता है, जब व्यक्ति अपने अंदर की नकारात्मक ऊर्जा को छोड़ कर आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ सकता है।

 

आषाढ़ी अमावस्या 2025 की तिथि और मुहूर्त

तिथि – शनिवार, 26 जुलाई 2025

अमावस्या प्रारंभ – 25 जुलाई, रात 11ः18 बजे

अमावस्या समाप्त – 26 जुलाई, रात 11ः06 बजे

तर्पण और श्राद्ध हेतु उत्तम समय – प्रातः 06ः00 बजे से दोपहर 12ः00 बजे तक

 

महत्व और मान्यता

1. पितृ दोष निवारण

यह दिन पितृ दोष के निवारण हेतु अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष होता है या जिनके पूर्वजों का श्राद्ध ठीक से नहीं हो पाया, वे इस दिन तर्पण करके पितरों को संतुष्ट कर सकते हैं।

 

2. कर्मों की शुद्धि

आदि अमावासई को कर्म मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है। इस दिन की गई स्नान, दान, और साधना आत्मा को पवित्र करती है और अतीत के दोषों का नाश करती है।

 

3. पूर्वजों को श्रद्धांजलि

इस दिन वंशज अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए जल तर्पण, पिंडदान और पूजा करते हैं। यह पितृ ऋण चुकाने का श्रेष्ठ अवसर है।

 

तर्पण और पूजा विधि

प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व स्नान करें, विशेषतः किसी नदी या पवित्र जल में।

पीतल या तांबे के पात्र में जल, काले तिल, कुश, चावल और फूल रखें।

दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल तर्पण करें और पूर्वजों का स्मरण करें।

ओम पितृभ्यः नमः” का जप करते हुए पिंडदान करें।

ब्राह्मण भोजन और दान का विशेष महत्व है – अन्न, वस्त्र, दक्षिणा आदि दें।

 

आध्यात्मिक लाभ

मानसिक अशांति और घर की क्लेश समाप्त होते हैं।

पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

संतान सुख, सुख-समृद्धि और रोग मुक्ति की प्राप्ति होती है।

आत्मिक शुद्धि और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।

 

तांत्रिक दृष्टिकोण से अमावस्या का महत्व

यह दिन तांत्रिकों व साधकों के लिए सिद्धि प्राप्ति का समय होता है।

रात्रि के समय की गई मंत्र-साधना, यंत्र-सिद्धि और देवी आराधना विशेष फलदायी होती है।

भूत-प्रेत बाधा, नजर दोष, वशीकरण और तांत्रिक प्रयोगों के लिए उपयुक्त समय होता है।

 

आषाढ़ी अमावस्या या आदि अमावासई, न केवल पितरों की आत्मा को शांति देने का अवसर है, बल्कि यह हमें हमारे कर्मों और जीवन की जड़ों से जोड़ने वाला दिन है।

इस दिन की गई पूजा, दान और ध्यान से व्यक्ति अपने जीवन की नकारात्मकता को पीछे छोड़, शुद्धता, श्रद्धा और शुभता की ओर अग्रसर हो सकता है।

नवीनतम ब्लॉग्स

  • ज्योतिषी के साथ पहली मुफ्त बातचीत, तुरंत जानकारी और मार्गदर्शन प्राप्त करें)
    कभी-कभी, जब हम जीवन में समस्याओं का सामना करते हैं, तो हम अपने आसपास के लोगों से ही समाधान और दिशाएँ ढूँढ़ते हैं। हम परिवार के सदस्यों, दोस्तों, गुरुओं और यहाँ तक कि ज्योतिषियों से भी बात कर सकते हैं। ज्योतिष हमेशा से ही जीवन में मार्गदर्शन चाहने वाले कई लोगों के लिए एक विश्वसनीय […]13...
  • September MASIK RASHIFAL : MASIK RASHIFAL FOR ALL RASHI IN HINDI | राशिफल मासिक राशिफल सितम्बर
    मेष मेष राशि के जातकों के लिए, सितंबर 2025 मिले-जुले अनुभवों वाला महीना है। रिश्तों के मोर्चे पर, भावनात्मक कठिनाइयाँ आ सकती हैं। जिन लोगों का चंद्रमा मेष राशि में है, उनके लिए सितंबर का महीना रिश्तों में भावनाओं से जुड़ी चुनौतियाँ लेकर आ सकता है। सितंबर करियर के क्षेत्र में प्रगति का महीना है। […]13...
  • लाफिंग बुद्धा के 12 प्रकार और उनके अर्थ
    फेंगशुई और वास्तुशास्त्र में हँसते हुए बुद्ध (स्ंनहीपदह ठनककीं) को सौभाग्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। घर या कार्यालय में इन्हें रखने से न केवल वातावरण खुशनुमा बनता है, बल्कि धन, शांति और सुख का वास होता है। हँसते हुए बुद्ध की अलग-अलग मुद्राओं और रूपों का अलग-अलग महत्व है।   […]13...