दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव के रूप में भी जाना जाता है, यह भारतीय उपमहाद्वीप में मनाया जाने वाला एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो हिंदू देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर पर दुर्गा की विजय का स्मरण करता है। यह भारतीय राज्यों बिहार, झारखंड, ओडिशा, असम, मेघालय और असम के साथ-साथ बांग्लादेश देश में बहुत लोकप्रिय और व्यापक रूप से मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय कैलेंडर में अश्विन के महीने के दौरान आयोजित किया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में सितंबर-अक्टूबर में आता है। दुर्गा पूजा वास्तव में दस दिनों का उत्सव है, जिसमें अंतिम पांच दिन सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। दुर्गा पूजा में माता का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे आवश्यक देवी की आरती को माना गया है। नीचे देवी की आरती दी गई है जिसके माध्यम से आराधना करने पर आपको माता का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।
जगजननी जय ! जय ! माँ ! जगजननी जय ! जय !
भयहारिणि, भवतारिणि, भवभामिनि जय ! जय !! जगo
तू ही सत-चित-सुखमय शुद्ध ब्रह्मरुपा ।
सत्य सनातन सुन्दर पर-शिव सुर-भूपा ।।1।। जगo
आदि अनादि अनामय अविचल अविनाशी ।
अमल अनन्त अगोचर अज आनँदराशी ।।2।। जगo
अविकारी, अघहारी, अकल, कलाधारी ।
कर्त्ता विधि, भर्त्ता हरि, हर सँहारकारी ।।3।। जगo
तू विधिवधु, रमा, तू उमा, महामाया ।
मूल प्रकृति विद्या तू, तू जननी, जाया ।।4।। जगo
राम, कृष्ण तू, सीता, व्रजरानी राधा ।
तू वाण्छाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाधा ।।5।। जगo
दश विद्या, नव दुर्गा, नानाशस्त्रकरा ।
अष्टमातृका, योगिनि, नव नव रूप धरा ।।6।। जगo
तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि तू ।
तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू ।।7।। जगo
सुर-मुनि-मोहिनि सौम्या तू शोभाssधारा ।
विवसन विकट-सरुपा, प्रलयमयी धारा ।।8।। जगo
तू ही स्नेह-सुधामयि, तू अति गरलमना ।
रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि-तना ।।9।। जगo
मूलाधारनिवासिनि, इह-पर-सिद्धिप्रदे ।
कालातीता काली, कमला तू वरदे ।।10।। जगo
शक्ति शक्तिधर तू ही नित्य अभेदमयी ।
भेदप्रदर्शिनि वाणी विमले ! वेदत्रयी ।।11।। जगo
हम अति दीन दुखी मा ! विपत-जाल घेरे ।
हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे ।।12।। जगo
निज स्वभाववश जननी ! दयादृष्टि कीजै ।
करुणा कर करुणामयि ! चरण-शरण दीजै ।।13।। जगo