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शनिदेव को प्रसन्न कैसे करें?

शनि परिचय-

पौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव का जन्म सूर्य की पत्नी छाया के गर्भ से हुआ है। कहते हैं कि इनके जन्म के समय जब इनकी दृष्टि अपने पिता सूर्य पर पड़ी तो उन्हें कुष्ठ रोग हो गया तथा उनके सारथी अरुण पंगु हो गए थे। शनि के भाई का नाम यम तथा बहन का नाम यमुना है। नवग्रहों में शनि को सेवक का पद प्राप्त है। इन्हें कालपुरुष का दुःख कहा जाता है। यह एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहते हैं। शनि को पश्चिम दिशा का स्वामित्व प्राप्त है। ज्योतिष में इन्हें एक नपुंसक ग्रह माना गया है। शनि एक वायु प्रधान ग्रह है। यह मकर व कुंभ राशि के स्वामी हैं। सत्ताईस नक्षत्रों में शनि को पुष्य, अनुराधा व उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों का अधिपति माना जाता है। यह तुला राशि में उच्च के और मेष राशि में नीच के माने जाते हैं। इनकी मूलत्रिकोण राशि कुंभ है।

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शनिदेव क्रूर ग्रह नहीं हैं-

अधिकांश लोगों के मन में शनिदेव के प्रति व्यर्थ का भय है जैसे शनिदेव सदैव अहित ही करते हैं अथवा रूष्ठ हो जाएं तो फिर उनके प्रकोप से कोई नहीं बच सकता है। यह सभी बातें व्यर्थ की हैं। कुछ समय पहले तक प्रत्येक मानव के मन में शनिदेव का भय था परंतु वर्तमान समय में लोगों के मन में शनिदेव के प्रति भय के स्थान पर श्रद्धा एवं भक्ति है। भारतीय ज्योतिष में शनिदेव को न्यायधीश कहा गया है। यदि आप कोई गलत कार्य नही करेंगे तो फिर आपको शनिदेव से डरने की कोई आवश्यकता नही है। आपको बहुत से लोग ऐसे भी मिलेंगे जिनको शनिदेव की कृपा से शनि की साढ़ेसाती, महादशा-अंतर्दशा आदि में इतना कुछ प्राप्त हुआ है जितना पूरे जीवन में नहीं मिला। ज्योतिष में शनिदेव मनुष्य के कर्मों के प्रतीक हैं अर्थात शनिदेव पर व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल देने की जिम्मेदारी है। वे एक न्यायधीश के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हैं। उनका किसी भी व्यक्ति विशेष के प्रति न तो लगाव होता है और न द्वेष होता है। जो व्यक्ति इस बारे में अधिक कुछ नहीं जानते, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि न्याय करते समय शनिदेव किसी के प्रति भेदभाव अथवा प्रतिशोध से ग्रस्त नहीं होते हैं। जिन्हें दंड देना होता है, उसे निर्ममता के साथ दंड देते हैं, जिन्हें अच्छा फल देना होता है, उसे वे उसकी आशाओं से कहीं अधिक देते हैं। वास्तव में देखा जाए तो शनिदेव जैसा ग्रह कोई भी नहीं है। यदि आप पाप कर्म कर रहे हैं तो वे आपसे सब कुछ छीनने में पल भर की देरी नहीं लगाएंगे। लेकिन यदि आप अच्छे व धार्मिक कर्मों में लीन हैं तो फिर वह आपको राजा बनाने में भी देर नहीं करेंगे।

आइये आपको बताते हैं कि किस प्रकार शनिदेव को प्रसन्न करके आप उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं-

  • आप शनिदेव का पूजन हमेशा संध्याकाल में अँधेरा होने के बाद ही करें क्योंकि शनिदेव रात्रिकाल के देवता हैं।
  • शनिदेव के पूजन में आप यथासंभव प्रयास करें कि काले अथवा अन्य गहरे रंग के वस्त्र धारण करके ही पूजन करें।
  • शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए आप भोजन में काला नमक एवं काली मिर्च का प्रयोग अधिक करें।
  • शनिदेव को शीघ्र प्रसन्न करने का एक सरल मार्ग यह भी है कि आप कभी भी किसी विकलांग, ग़रीब मजदूर अथवा श्रम करने वाले व्यक्ति का अपमान न करें तथा संभव हो तो इनकी मदद अवश्य करें।
  • शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए आप सरसों का तैल, काला नमक, सुरमा, काले तिल, काली उड़द, लोहे या चमड़े की कोई वस्तु किसी सद्पात्र को दान करें।
  • शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए आप शनिवार को शनिदेव का विशेष पूजन करें साथ ही सरसों के तैल में निर्मित कोई खाद्य पदार्थ ग़रीब,असहाय व मजदूर वर्ग में बांटें।
  • शनिदेव की प्रसन्नता के लिए पीपल वृक्ष की सेवा व पूजन करना भी बहुत शुभ होता है।

शनिदेव की कृपा प्राप्त करने हेतु एस्ट्रोवेद के शक्तिशाली अनुष्ठान पैकेज

अब आप शनिदेव की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु एस्ट्रोवेद के शक्तिशाली अनुष्ठानों में भाग लेकर समस्त कष्टों, दुखों व संकटों से मुक्त हो सकते हैं। एस्ट्रोवेद ने ऐसे अनोखे पैकेज का निर्माण किया है जोकि आपके जीवन से समस्त आर्थिक व भौतिक समस्याओं को दूर करके आपको सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। साथ ही शनिदेव से संबंधित इन अनुष्ठानों के माध्यम से आप अपने जीवन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक शक्तिशाली बन जाएंगे। इन अनुष्ठानों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करें।

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