रामनवमी के दिन विष्णु के सातवे अवतार भगवान श्री राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। यह दिन चंद्र कैलेंर के चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) के नौवें दिन पड़ता है। यह दिन और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन भी होता है। राम नवमी हिंदू धर्म में उत्सव का एक प्रमुख अवसर क्यों यह भगवान राम के जन्मदिन को दर्षाता है। यह दिन पूरे देश में और विशेषकर उत्तर भारत में बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या शहर में उत्सव विशेष रूप से भव्य होता है। इस साल रामनवमी 17 अप्रैल 2024 के दिन मनाई जाएगी।
राम नवमी का अवसर भारत में बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह वह दिन है जब देवत्व स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। यही वह दिन था जब भगवान विष्णु श्री राम के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। उनका जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र के रूप में हुआ था। भगवान विष्णु के अवतरण का उद्देश्य लंका के राजा रावण को परास्त करना था, जिसने अपनी शारीरिक प्रवृत्ति को अपने व्यक्तित्व को नियंत्रित करने की अनुमति दी थी। इस प्रकार, राम नवमी बुराई पर अच्छाई की विजय और इंद्रियों पर काबू पाने के महत्व का जश्न मनाती है। राम नवमी का उत्सव नकारात्मकता को दूर करने और धर्म का पालन करने की आवश्यकता को भी दर्शाता है।
श्री राम नवमी बुराई को नष्ट करने के लिए पृथ्वी पर विष्णु के सातवें अवतार श्री राम के अवतरण का जश्न मनाती है। यह चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन पड़ता है। श्री राम दिव्यता, प्रेम, करुणा, उदारता, विनम्रता और कर्तव्य की भावना का प्रतीक हैं। उन्होंने अपने महान विकल्पों के माध्यम से दुनिया को धर्म और मोक्ष का चयन करना सिखाया। श्री राम नवमी को श्री राम जी की पूजा करके मनाया जाता है।
जल्दी उठें और घर और पूजा क्षेत्र को साफ करें
स्नान करें और साफ कपड़े पहनें
यदि संभव हो तो उपवास किया जा सकता है।
पूजा विधि भगवान गणपति को नमस्कार करके शुरू की जानी चाहिए, उसके बाद उनकी मूर्ति के सामने श्री राम का ध्यान करना चाहिए।
ध्यान के बाद, पद्य पूजा के साथ श्री राम का आह्वान करें
जल, फूल, धूप (अगरबत्ती), दीया, हल्दी, चंदन, कुमकुम, फल और मिठाई चढ़ाएं।
पूजा का समापन श्री राम की आरती करके करें।