AstroVed Menu
AstroVed
search
HI language
x
cart-added The item has been added to your cart.
x

नाग पंचमी पर्व मनाने से संबंधित विज्ञान

सर्प देवता का सम्मान करने के लिए भारत में नाग पंचमी पर्व मनाया जाता है। यह त्यौहार आम तौर पर जुलाई या अगस्त के महीने में आता है। कई लोग एक दिन पहले (नाग चतुर्थी) या इस पर्व के दिन उपवास रखते हैं। यह त्यौहार ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय रूप से मनाया जाता है| इस शुभ पर्व का महत्व अब तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि अनेक शहरवासी लोग भी इस त्यौहार में भाग लेते हैं।

हिंदू पौराणिक कथाओं में प्रायः मानव अहंकार की तुलना एक सर्प से की जाती है और अनेक लोग इस बुरे गुण से पीड़ित भी होते हैं। विनम्रता धार्मिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है और इस प्रकार अहंकार के रूप में भीतर स्थित इस बुराई पर विजय प्राप्त करती है। नाग पंचमी दिवस पर विनम्रता का अभ्यास करने और इसे अपनी आदतों में शामिल करने की सलाह दी जाती है ताकि यह दैनिक जीवन में एक अवचेतन प्रयास बन जाए। जिन लोगों ने ‘अहंकार’ (घमंड या अहम्) पर महारत हासिल कर ली है उन्हें प्रबुद्ध और अनुकरण के योग्य माना जाता है।

नाग पंचमी और मनुष्यों की अहंकारी प्रकृति

आम तौर पर अहंकार एक इंसान का निहित हिस्सा होता है और इससे पूर्व यह अपना सिर उठाए इसे दबाना प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है। यद्यपि एक सूक्ष्म रूप में अहंकार किसी भी व्यक्ति के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन इसे एक सूक्ष्म तरीके से ही रूपांतरित किया जाना चाहिए ताकि दूसरे व्यक्ति को अपमानित न किया जा सके। अहंकार किसी भी व्यक्ति को सत्य को समझने और बुनियादी मानव दोषों को स्वीकार करने से रोकता है| अनेक परोपकारी व्यक्ति जिन्हें प्रायः उनकी उदारता के लिए जाना जाता है अक्सर अपने धर्मार्थ कार्यों का विज्ञापन करके बुरी प्रतिष्ठा अर्जित कर लेते हैं।

विनम्रता न केवल अहंकारवादी बनने से रोकती है बल्कि इसके द्वारा हम अपने सहयोगियों के प्रति विनम्र और आदरणीय बनने का अभ्यास भी कर सकते हैं| एक व्यक्ति का अभिवादन करने और निःस्वार्थ भाव से दूसरों के कल्याण के बारे में पूछने के इस सरल कार्य द्वारा किसी भी व्यक्ति की वास्तविक प्रकृति का पता चलता है|

नाग पंचमी: नकारात्मकता को नष्ट करने का समय

नाग पंचमी का त्यौहार जो कि चतुर्मास में आता है, विनम्रता का अभ्यास करने और स्वयं को सुधारने का सही समय है। हिंदू पौराणिक कथाओं में एक सर्प मनुष्य के अहंकार का प्रतिनिधित्व करता है तथा जो शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से किसी भी व्यक्ति को नष्ट कर सकता है। इसलिए इस बुरे दुर्गुण को दबाना महत्वपूर्ण माना जाता है और इसके बजाय आंतरिक स्वरुप को समझने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस अवधि के दौरान सर्प देवताओं की पूजा करके हम अपने सहज ज्ञान पर काबू पा सकते हैं और चेतना के एक उच्च मानसिक स्तर को प्राप्त कर सकते हैं।

हिंदू पौराणिक कथाओं में सर्प

हिंदू धर्म में सर्पों को एक पवित्र स्थान प्राप्त है तथा ये अस्तित्व के उच्चतम रूप से जुड़े हुए हैं जैसा कि शेषनाग द्वारा दिखाया गया है जो भगवान विष्णु की शैय्या और ब्रह्मांड के संरक्षक हैं। सर्प देवताओं को भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार के बाल स्वरुप को संरक्षण प्रदान करते हुए भी दिखाया गया है। नाग पंचमी का पवित्र त्यौहार सर्पों का सम्मान करता है तथा मन और अहंकार के नियंत्रण पर जोर देता है। नाग पंचमी पर्व को मानसून के मौसम में मनाया जाता है जब सांप अपने बिलों से बाहर निकलते हैं| चूंकि उनमें से अधिकतर जहरीले नहीं होते हैं इसलिए उन्हें अनावश्यक रूप से नहीं मारना चाहिए।

नवीनतम ब्लॉग्स

  • ज्योतिषीय उपायों में छुपा है आपकी आर्थिक समस्याओं का समाधान
    आज की दुनिया में, आर्थिक स्थिरता एक शांतिपूर्ण और सफल जीवन के प्रमुख पहलुओं में से एक है। फिर भी कई लोग कड़ी मेहनत के बावजूद लगातार आर्थिक परेशानियों, कर्ज या बचत की कमी का सामना करते हैं। अगर यह आपको परिचित लगता है, तो इसका कारण न केवल बाहरी परिस्थितियों में बल्कि आपकी कुंडली […]13...
  • ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की भूमिका और कुंडली में प्रभाव
    भारतीय वैदिक ज्योतिष में ग्रहों का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। व्यक्ति के जन्म के समय आकाश में स्थित ग्रहों की स्थिति उसके जीवन के हर पहलू – जैसे स्वभाव, स्वास्थ्य, शिक्षा, विवाह, करियर, धन, संतान और आध्यात्मिकता पर गहरा प्रभाव डालती है।   जन्मकुंडली में ग्रहों की भूमिका जब कोई व्यक्ति जन्म लेता […]13...
  • पंचमुखी रुद्राक्ष का महत्व, लाभ और पहनने की विधि
    भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में रुद्राक्ष को दिव्य मणि कहा गया है। इसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। रुद्राक्ष की हर मुखी के अलग-अलग गुण और प्रभाव होते हैं। इनमें से पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे आम और अत्यंत शुभ माने जाने वाले रुद्राक्षों में से एक है। यह न केवल आध्यात्मिक साधना में सहायक […]13...