माता लक्ष्मी कई चीजों का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें धन और भाग्य की देवी के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन उनका संबंध दृढ़ता, बच्चे पैदा करने और आध्यात्मिक जागृति प्राप्त करने से भी है। यह मान्यता है कि लक्ष्मी किसी भी प्रयास में सफलता में सहायता करती हैं। लक्ष्मी सभी प्रयासों में सफलता प्रदान करने की शक्ति रखती हैं। वह अपने भक्तों को धन, दृढ़ता, ज्ञान और जागृति प्रदान कर सकती हैं। वह फसलों और खेत जानवरों की मदद कर सकती है और यहां तक कि लोगों को संतान का वरदान भी दे सकती है। हिंदू धर्म में देवी-देवता अपने जीवनसाथी का सक्रिय तत्व हैं। इसका मतलब यह है कि ब्रह्माण्ड को बनाए रखने के लिए विष्णु वास्तविक दुनिया में लक्ष्मी के रूप में कार्य करते हैं। आइए लक्ष्मीजी की आरती के बारे में जानें।

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।