अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया, जिसे अखा तीज के रूप में भी जाना जाता है, को अत्यधिक शुभ माना जाता है और यह तीन शुभ चंद्र दिनों में से एक है जिसे ‘साडे-तीन मुहूर्त’ कहा जाता है। ये साढ़े तीन मुहूर्त (तीथ) गुड़ी पाडवा, विजयदशमी, अक्षय तृतीया और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा हैं। पहले तीन तीथियों को एक पूरे दिन के लिए माना जाता है, जबकि अंतिम को आधी तीथि के रूप में माना जाता है, इसलिए इसे ‘साडे-टीन मुहूर्त’ कहा जाता है। अक्षय तृतीया हिंदू माह वैशाख में शुक्ल पक्ष तृतीया को पड़ती है।
अक्षय तृतीया का महत्व:
भारतीय पर्वों में अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व है। वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। इस मुहूर्त को बेहद शुभ माना जाता है। किसी भी नए काम की शुरुआत से लेकर महत्वपूर्ण चीजों की खरीदारी व शादी विवाह जैसे काम भी इस दिन बिना किसी शंका के किए जाते हैं|
अक्षय तृतीया के दिन थोकबंद शादियां
अक्षय तृतीया के दिन कई मुहूर्त रहते है। इस दिन विवाह का होना भी बड़ा महत्व रखता है। शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन स्वयंसिद्ध मुहुर्त रहता है। शास्त्रों के अनुसार ही इस दिन बिना पंचाग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है जो निश्चित ही सफल होता है। हिन्दु धर्म में विवाह सात जन्मों को संबंध है। दो आत्माओं का मेल ही अग्नि के सात फेरे लेकर होता है। अक्षय तृतीया का दिन बड़ा शुभ रहता है और इस दिन जो भी कार्य किया जाए वह अवश्य सफल रहता है। इसिलए अधिकांश शादियां अक्षय तृतीया के दिन ही होती है। ताकी महिला एवं पुरूष जीवन में विवाह के बाद बिना किसी रूकावट के अपार सफतला प्राप्त कर सकें एवं हंसी ख़ुशी अपना जीवन बिता सके। साथ ही यह भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन अपने अच्छे आचरण और सद्गुणों से दूसरों का आशीर्वाद लेना अक्षय रहता है।
किंवदंती
अक्षय तृतीया का महत्व भारतीय पौराणिक कथाओं से मिलता है। दक्षिण भारतीय कथा के अनुसार, भगवान शिव का अवतार, भगवान सुंदरेश और देवी मधुरा का विवाह इसी दिन हुआ था। इसलिए, यह कहा जाता है कि जो लोग अक्षय तृतीया पर शादी करते हैं, उन्हें समृद्धि और खुशी मिलती है। यह भी माना जाता है कि जिन जोड़ों की कुंडली में बेमेल विवाह होता है, अगर वे दिन पर अपने कार्यक्रम को निर्धारित करते हैं, तो उन्हें नकारात्मक वाइब्स से भी छुटकारा मिल सकता है। भारत के कई शहरों में, सामुदायिक विवाह आयोजित किए जाते हैं, जहां वित्तीय संकट वाले जोड़ों का धार्मिक वैभव के साथ विवाह हो सकता है।
अन्य लोकप्रिय मान्यताएँ:
भगवान विष्णु के छठे अवतार ऋषि परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था।
ऐसा माना जाता है कि यह अक्षय तृतीया थी जब धन के देवता कुबेर ने देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद मांगा और उन्हें सदा धन और समृद्धि का आशीर्वाद दिया गया।
वेद व्यास ने अक्षय तृतीया पर भगवान गणेश के समक्ष महाभारत का पाठ शुरू किया।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम ने लिया था जन्म
अक्षय तृतीया का दिन अपने आप में कई गाथाओं को समेंटे हुए है। यह दिन अन्य दिनों से बहुत खास रहता है। भविष्य पुराण एवं स्कंद पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया था। अक्षय तृतीया के दिन भारत के कई हिस्सों में विशेषकर दक्षिण भारत में परशुराम जयंती बडे़ ही हर्षोउल्लास के साथ मनाई जाती है। इसीदिन परशुरामजी की पूजा कर कथा भी सुनी जाती है।
सोना खरिदना होता है अत्यंत लाभदायक
बताया जाता है कि वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है। जिसमें प्रथम व विशेष स्थान अक्षय तृतीया का है। इसलिए इसी दिन समस्त शुभ कार्य होते है। साथ ही अक्षय तृतीया के दिन सोना खरिदना अत्यंत शुभ माना जाता है तथा गृह प्रवेश, पदभार गृहण, वाहन खरीदना, भूमि पूजन आदि शुभ कार्य करना अत्यंत लाभदायक एवं फलदायी होते है। इतना ही नही अक्षय तृतीया के दिन ही वृंदावन के बारे बिहारी के चरण दर्शन एवं प्रमुख तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के पट (द्वार) भी अक्षय तृतीया को ही खुलते है।