ज्योतिषी से मिलने का भी एक सही तरीका होता है। अगर आप अच्छे परिणाम पाना चाहते हैं, तो ज्योतिषी से मिलने जाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। शास्त्रों में ज्योतिषी को दैवज्ञ कहा गया है। आध्यात्मिक स्तर पर, जब आप अपने प्रश्न या समस्या लेकर ज्योतिषी के पास जाते हैं, तो उससे पहले ही आपका और दैवज्ञ का संबंध बन चुका होता है। इस जीवन में जो भी सफलता या विफलता आप अनुभव करते हैं, वह आपके पूर्वजन्मों के कर्मों का परिणाम है। जब ज्योतिषी भविष्य को देख रहा होता है, तब जातक की चेष्टाएं, उसके हाव-भाव, मानस, प्रश्न पूछने का तरीका, श्वास लेने का तरीका, बैठने का तरीका और शरीर पर चिह्न आदि भी फलादेश में मदद करते हैं।
दैवज्ञ को स्नान करके अपने इष्ट का ध्यान कर अपने आसन पर शुद्ध होकर बैठना चाहिए और अपना कार्य शुरू करने से पहले रोजाना सुबह ज्योतिष गणित संबंधी ग्रहों की स्थितियों का भान कर लेना चाहिए। प्रश्न लग्न, आरुढ़, छत्र आदि के साथ ग्रहों के बलाबल, गोचर, वक्री, मार्गी, उदय, अस्त और राशियों के गुणधर्म के बारे में पहले से विचार करना चाहिए। ज्योतिषी के गुणों में नीति का ज्ञान, अर्थ का ज्ञान, विज्ञान का ज्ञान और अपने इष्ट की सिद्धि आवश्यक बताई गई है। यदि ज्योतिषी का मन अप्रसन्न है, वह किसी संकट में है, चोटिल है, आहत है, रोगी है, ऋणी है, तो ऐसे ज्योतिषी को फलादेश करने से बचना चाहिए। माना जाता है कि जैसी दैवज्ञ की मानसिक स्थिति होगी, जातक के प्रश्न का उत्तर भी वैसा ही होगा।
जैसे ही जातक ज्योतिषी के पास पहुंचेगा, उसी समय ज्योतिषी को ध्यान देना होता है कि जातक के मुख से प्रथम शब्द क्या निकला है, जातक ने प्रश्न करते समय किस अंग का स्पर्श किया है, जातक किस दिशा में बैठा है और उसने अपना मुख किस दिशा में कर रखा है, जातक का कौनसा स्वर चल रहा है, जातक जमीन पर बैठा है या आसन पर। इन चेष्टाओं को मन ही मन नोट करते समय तात्कालिक समय की कुंडली भी बना ली जाती है। इससे निर्णय होता है कि जातक क्या पूछ रहा है और जो पूछना चाहता है, उसमें क्या अंतर है। इस प्रकार जातक और ज्योतिषी की भेंट में कई गणनाओं और चेष्टाओं का समावेश होता है।
जातक को ज्योतिषी से अग्रिम समय लेकर, तय समय पर पहुंचना चाहिए। घर से रवाना होने से पहले शुभ शगुन देखकर, नहा-धोकर स्वस्थ मन से बाहर निकलना चाहिए। अपने घर से ज्योतिषी के स्थान तक पहुंचने के बीच में प्रयास करना चाहिए कि कोई दूसरा कार्य न करे और न किसी से बात करे। ज्योतिषी के समक्ष पहुंचने पर सम्मानपूर्वक प्रणाम कर फल, पुष्प, द्रव्य और मांगलिक वस्तुएं भेंट चढ़ाकर, सहजता से बैठना चाहिए। श्वास स्थिर होने के बाद ज्योतिषी से अपना प्रश्न पूछना चाहिए।
यदि प्रश्न करने वाला धूर्त, पाखंडी, उपहास करने वाला, श्रद्धाहीन या अविश्वासी हो तो ऐसे जातक को किसी भी सूरत में जवाब नहीं देना चाहिए।