गणेश जी की पूजा के बिना कोई भी लौकिक अथवा शुभ कार्य का प्रारंभ नही होता है| अपने जीवन में जब हम किसी भी कार्य को प्रारंभ करते हैं तब भगवान श्री गणेश जी का ध्यान अवश्य करते हैं| हिन्दू धर्म को मानने वाले सभी व्यक्ति इस सत्य को स्वीकार करते हैं कि श्री गणेश जी का नाम लेने भर से संभावित तथा अदृश्य रूप से उपस्थित होने वाली विघ्न-बाधाएँ समाप्त होकर गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है| किसी भी प्रकार की पूजा हो अथवा कोई अनुष्ठान हो, किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य हो अथवा अन्य कोई भी महत्वपूर्ण कार्य हो, वहाँ सबसे पहले श्री गणेश जी की पूजा अवश्य की जाती है| सबसे पहले उनका ही आवाहन किया जाता है ताकि वे पधारें तथा कार्य को निर्विघ्न संपन्न करें| इसे गणेश जी के नाम का चमत्कार कह लें अथवा अन्य कोई कारण, गणेश जी की कृपा से वह कार्य निर्विघ्न समाप्त हो जाता है| श्री गणेश जी के महत्व को मनुष्य के अतिरिक्त देवताओं ने भी स्वीकार किया है| शास्त्रों में परमात्मा के तीन रूप ब्रह्मा, विष्णु, महेश कहे गए हैं| गणेश जी को साक्षात् ब्रह्मस्वरूप माना गया है| ब्रह्मस्वरूप होने के उपरांत भी गणेश जी की अपनी कुछ अलग विशेषताएं हैं जो उन्हें प्रथम पूज्य के रूप में प्रतिष्ठित करती हैं| चलिए आपको बताते हैं कि भगवान गणेश जी को वो कौन सी वस्तुएं प्रिय हैं, जिन्हें अपनी पूजा में समिल्लित करके आप उनकी कृपा व आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं-
मोदक:- गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय है| मोदक एकता, अखंडता एवं संगठन का प्रतीक है| मोदक बूंदी को एकत्र करके बनाया जाता है| बूंदी बिखरी हुई होती है जबकि मोदक उसका एकत्रित स्वरुप होता है| इससे यह सन्देश प्राप्त होता है कि अगर प्रगति करनी है तो बूंदी की तरह बिखरे मत रहो, मोदक की तरह संयुक्त हो जाओ| अगर कभी परिवार अथवा समाज पर कोई विपति अथवा समस्या आती है तो उस समय सब व्यक्ति अगर अलग-अलग रहेंगे, किसी को सहयोग नही करेंगे तो सभी को हानि उठानी पड़ सकती है| मोदक वास्तव में सहयोग व एकता को दर्शाता है इसलिए यह गणेश जी को प्रिय है|
सिंदूर- गणेश जी को सिंदूर अर्पित किया जाता है| सिंदूर मांगलिक कार्यों एवं सौभाग्य का प्रतीक है| गणेश जी भी मांगलिक कार्यों को शीघ्र संपन्न करने वाले व सौभाग्य प्रदान करने वाले देव हैं| जब भी गणेश जी को सिंदूर अर्पित किया जाता है तो वह सिंदूर अर्पित करने वाले का स्वयं ही कल्याण व मंगल करते हैं|
दूर्वा- गणेश जी को दूर्वा अत्यधिक प्रिय है| दूर्वा में सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उसमें विनम्रता एवं सरलता रहती है| यह किसी का विरोध नहीं करती है| जिस तरफ को हवा का दबाव रहता है, दूर्वा कुछ पल उसी तरफ को झुक जाती है और फिर से खड़ी हो जाती है| इसकी इसी विशेषता के कारण सृष्टि की समस्त वनस्पति नष्ट हो सकती है किन्तु दूर्वा कभी नष्ट नहीं हो सकती है| जो साधक गणेश जी को दूर्वा चढ़ाता है उसका वंश हमेशा चलता रहता है| उसे स्थाई सुख एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है| समस्याओं के उपरांत भी उसकी कभी पराजय नही होती है|
शंख- गणेश जी चतुर्भुज हैं अर्थात उनके चार हाथ हैं| जिनमें से उनके एक हाथ में शंख विद्यमान है| गणेश जी को शंख की ध्वनि अत्यंत प्रिय है| वैसे भी जहाँ शंख की ध्वनि गूंजती है वहां का वातावरण मधुर, शांति और दिव्यता से भर जाता है| यही कारण है कि अधिकांश देवी-देवताओं की आरती करते समय शंख बजाने की परंपरा भी रही है| शंख की ध्वनि सुनने मात्र से कई प्रकार के रोग भी नष्ट होते हैं| गणेश जी को शंख की ध्वनि भी अत्यंत प्रिय है|
केला- भगवान गणेश जी गजमुख हैं अर्थात उनका मुख हाथी के सामान है| केला हाथी की अत्यंत प्रिय वस्तु होती है| यही कारण है कि गजमुख होने के कारण केला गणेश जी को भी अत्यधिक प्रिय है|
आक़ पुष्प- आक़ के पुष्प में मनुष्य के मन और शरीर से नकारात्मकता को नष्ट करने की ख़ूबी होती है| आक़ के पुष्प से बनी हुई माला गणेश जी को अर्पित करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है और उसे स्वस्थ जीवन प्राप्त होता है|