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श्री दुर्गा स्तुति सरल और सहज शब्दों में

महाभारत के भीष्म पर्व में इस बात का उल्लेख है कि युद्ध शुरू होने से ठीक पहले, भगवान कृष्ण ने अर्जुन से उनकी जीत के लिए देवी दुर्गा से प्रार्थना करने का अनुरोध किया। अर्जुन इस महान प्रार्थना का उपयोग उससे प्रार्थना करने के लिए करते हैं। जो इस प्रसिद्ध दुर्गा स्तोत्र का नियमित पाठ करता है वह निडर होगा, बुरी आत्माओं से परेशान नहीं होगा और जीवन में बाधाओं को दूर करेगा। राहु कलाम के दौरान पाठ करते समय इस प्रार्थना के साथ देवी दुर्गा की पूजा करना प्रभावी और उपयोगी होगा, खासकर जब कोई राहु की दशा से गुजर रहा हो या जो राहु दोष से परेशान हों।
durga stuti in hindi

श्री दुर्गा स्तुति

श्री दुर्गा स्तुति लिरिक्स
मिटटी का तन हुआ पवित्र
गंगा के स्नान से
अंत करण हो जाये पवित्र
जगदम्बे के ध्यान से

सर्व मंगल मांगल्ये
शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्रम्बके गौरी
नारायणी नमोस्तुते

शक्ति शक्ति दो मुझे
करू तुम्हारा ध्यान
पाठ निर्विगन्य हो तेरा
मेरा हो कल्याण

ह्रदय सिंहासन पर आ
बैठो मेरी माँ
सुनो विनय माँ दिन की
जग जननी वरदान

सुन्दर दीपक घी भरा
करू आज तैयार
ज्ञान उजाला माँ करू
मेत्तो मोह अन्धकार

चंद्र सूर्य की रौशनी
चमके चमन अखंड
सब में व्यापक तेज है
जलवा का प्रचंड

जलवा जग जननी मेरी
रक्षा करो हमसे
दूर करो माँ अम्बिके
मेरे सभी कलेश

शरधा और विश्वास से
तेरी ज्योत जलाऊ
तेरा ही है अश्त्र
तेरे ही गुण गाउ

तेरी अनदभक्त गात को
पढूं में निश्चय धर
साक्षात् दर्शन करू
तेरे जगत आधार

मन चंचल से बात के
समय जो औगुन होये
देती अपनी दया से
ध्यान न देना कोय

मैं अंजान मलिन मन
ना जानू कोई रीत
अत पट वाणी को ही माँ
समझो मेरी प्रीत

चमन के औगुन बहुत है
करना नहीं ध्यान
सिंहवाहिनी माँ अम्बिके
करो मेरा कल्याण

धन्य धन्य माँ अम्बिके
शक्ति शिवा विशाल
अनघ अनघ में रम रही
डटी दिन दयाल

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