AstroVed Menu
AstroVed
search
HI language
x
cart-added The item has been added to your cart.
x

चैत्र नवरात्रि 2024: तिथि, महत्व, पूजा विधि और उपाय

चैत्र नवरात्रि एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जिसे भारत में नौ दिनों तक भव्य रूप से मनाया जाता है। यह उत्सव हिंदू महीने चैत्र के दौरान शुक्ल पक्ष (उज्ज्वल चंद्र पखवाड़ा) के पहले दिन से शुरू होकर 9वें दिन तक चलता है। यह हिंदू धर्म कैलेंडर का पहला महीना भी है। अंग्रेजी कैलेंडर में यह मार्च-अप्रैल के दौरान आता है।

 चैत्र नवरात्रि 2024 कब है

चैत्र नवरात्रि को वसंत नवरात्रि या राम नवरात्रि भी कहा जाता है। इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 को प्रतिपदा के दिन शुरू होकर 17 अप्रैल 2024 रामनवमी के दिन समाप्त होगी। इस दौरान 9 दिनों तक पूरे भक्ति भाव के साथ पूजा अर्चना की जाती है। त्योहार का नौवां दिन भगवान राम का जन्मदिन माना जाता है। चैत्र नवरात्रि के दौरान, लोग देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा करते हैं। अधिकांश अनुष्ठान और रीति-रिवाज शरद नवरात्रि के दौरान अपनाए जाने वाले समान हैं।

 चैत्र नवरात्रि 2021 के अनुष्ठान

चैत्र नवरात्रि उत्सव को प्रार्थनाओं और उपवास द्वारा चिह्नित किया जाता है। उत्सव शुरू होने से पहले, भक्त के घर में देवी का स्वागत करने के लिए घर को अच्छी तरह से साफ किया जाता है।

पूजा करने वाले भक्त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान, केवल सात्विक भोजन जैसे दही, आलू, श्कुट्टू का आटाश् और फल खाने की अनुमति है। मांसाहारी भोजन, प्याज और लहसुन नहीं खाया जाता है। -नवरात्रि के दौरान खान-पान में सख्त अनुशासन बनाए रखने के साथ-साथ अच्छा व्यवहार भी रखना चाहिए। भक्त नौ दिन देवी की पूजा और नवरात्रि मंत्रों का जाप करते हैं। नौवें दिन हवन के बाद व्रत खोला जाएगा। प्रसाद देवी को चढ़ाया जाता है, और फिर भक्त और उनके परिवार के सदस्य इसे ग्रहण करते हैं।

 देवी शक्ति तीन रूपों में प्रकट होती हैं – देवी दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती। नवरात्रि के पूजा अनुष्ठानों को भी तीन दिनों के सेट में वर्गीकृत किया गया है, और प्रत्येक सेट देवी के एक विशेष रूप को समर्पित है।

 चैत्र नवरात्रि के पहले तीन दिन मां दुर्गा की पूजा की जाती है। वह ऊर्जा की देवी हैं. अगले तीन दिनों में धन की देवी लक्ष्मी का सम्मान किया जाता है। अंतिम तीन दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में से प्रत्येक की पूजा विधियाँ इस प्रकार हैंरू

 चैत्र नवरात्रि के 9 दिन

दिन 1 – किए जाने वाले अनुष्ठान श्घटस्थापनाश्, श्चंद्र दर्शनश् और शैलपुत्री पूजा हैं।

दिन 2 – अनुष्ठान सिंधारा दूज और ब्रह्मचारिणी पूजा हैं।

दिन 3 – इस दिन को श्गौरी तीजश् या श्सौभाग्य तीजश् भी कहा जाता है। मुख्य अनुष्ठान श्चंद्रघंटा पूजाश् है।

दिन 4 – इसे वरद विनायक चैथ भी कहा जाता है। इस दिन भक्त कुष्मांडा पूजा करते हैं।

दिन 5- इस दिन को लक्ष्मी पंचमी भी कहा जाता है। इस दिन नाग पूजा और स्कंदमाता की पूजा की जाती है।

दिन 6- इसे यमुना छठ या स्कंद षष्ठी कहा जाता है। कात्यायनी पूजा की जाती है।

दिन 7 – यह दिन महा सप्तमी है और देवी के आशीर्वाद के लिए कालरात्रि पूजा की जाती है।

दिन 8 – यह दुर्गा अष्टमी का दिन है, जिसे अन्नपूर्णा अष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन महागौरी पूजा और संधि पूजा की जाती है।

दिन 9-आखिरी दिन राम नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सिद्धिदात्री महा पूजा की जाती है।

 इस तथ्य के बावजूद कि चैत्र नवरात्रि 9-दिवसीय त्योहार है, उत्सव 10वें दिन या दशमी को समाप्त होता है। इस दिन को नवरात्रि पारण कहा जाता है, और भक्त देवी दुर्गा को अगले वर्ष वापस आने की प्रार्थना करते हुए विदा करते हैं।

हिंदू पुराणों और धर्मग्रंथों का दावा है कि चैत्र नवरात्रि देवी शक्ति की पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि थी, जब तक कि राम ने लंका के खिलाफ युद्ध के दौरान अश्विन महीने में देवी दुर्गा की पूजा नहीं की थी। चैत्र नवरात्रि पूरे भारत में, विशेषकर उत्तर भारत में भव्य रूप से मनाई जाती है।

नवीनतम ब्लॉग्स

  • ज्योतिषीय उपायों में छुपा है आपकी आर्थिक समस्याओं का समाधान
    आज की दुनिया में, आर्थिक स्थिरता एक शांतिपूर्ण और सफल जीवन के प्रमुख पहलुओं में से एक है। फिर भी कई लोग कड़ी मेहनत के बावजूद लगातार आर्थिक परेशानियों, कर्ज या बचत की कमी का सामना करते हैं। अगर यह आपको परिचित लगता है, तो इसका कारण न केवल बाहरी परिस्थितियों में बल्कि आपकी कुंडली […]13...
  • ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की भूमिका और कुंडली में प्रभाव
    भारतीय वैदिक ज्योतिष में ग्रहों का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। व्यक्ति के जन्म के समय आकाश में स्थित ग्रहों की स्थिति उसके जीवन के हर पहलू – जैसे स्वभाव, स्वास्थ्य, शिक्षा, विवाह, करियर, धन, संतान और आध्यात्मिकता पर गहरा प्रभाव डालती है।   जन्मकुंडली में ग्रहों की भूमिका जब कोई व्यक्ति जन्म लेता […]13...
  • पंचमुखी रुद्राक्ष का महत्व, लाभ और पहनने की विधि
    भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में रुद्राक्ष को दिव्य मणि कहा गया है। इसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। रुद्राक्ष की हर मुखी के अलग-अलग गुण और प्रभाव होते हैं। इनमें से पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे आम और अत्यंत शुभ माने जाने वाले रुद्राक्षों में से एक है। यह न केवल आध्यात्मिक साधना में सहायक […]13...