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ब्रह्मा जी की आरती से मिलता है उनका आशीर्वाद

ब्रह्मा सृष्टि के देवता हैं। वह सर्वोच्च त्रिमूर्ति देवताओं में से एक हैं और उन्हें पवित्र त्रिमूर्ति में पहला माना जाता है, जो अस्तित्व की तीन मौलिक और मुख्य गतिविधियों, यानी सृजन, संरक्षण और विनाश के लिए जिम्मेदार हैं। उन्हें स्वयंभू अर्थात स्वयं निर्मित, वाणी का देवता, ब्रह्मांड का निर्माता और पवित्र वेदों का दाता भी माना जाता है। ज्ञान की देवी सरस्वती उनकी पत्नी हैं।
Brahma Ji Ki Aarti

ब्रह्मा को आमतौर पर सफेद दाढ़ी वाले एक बुद्धिमान ऋषि के रूप में दिखाया जाता है, जिनके चार चेहरे चार दिशाओं की ओर होते हैं। वह ज्ञान और रचनात्मकता के देवता हैं, और इसलिए उनके पास कोई हथियार नहीं है। अपने चार हाथों में से एक में, वह वेद, पवित्र ग्रंथ रखते हैं, अगले में, समय का संकेत देने वाली माला तीसरे में, सृजन के लिए उपयोग किया जाने वाला पवित्र जल का एक बर्तन और अंत में वह यज्ञ की आग को खिलाने के साधन के रूप में एक करछुल रखते हैं। कहा जाता है कि चारों वेद उनके चार मुखों से निकले थे। वह शुद्ध सफेद वस्त्र पहने हुए कमल पर बैठे हैं और उनकी सवारी सफेद हंस है। माना जाता है कि देवी सरस्वती, उनकी पत्नी, उनकी रचनात्मकता के पीछे की ऊर्जा हैं। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा जी की आरती करने से ब्रह्मा जी प्रसन्न होते है।

ब्रह्मा जी की आरती

पितु मातु सहायक स्वामी सखा,

तुम ही एक नाथ हमारे हो।

जिनके कछु और आधार नहीं,

तिनके तुम ही रखवारे हो।

सब भांति सदा सुखदायक हो,

दुःख निर्गुण नाशन हारे हो।

प्रतिपाल करो सारे जग को,

अतिशय करुणा उर धारे हो।

भूल गये हैं हम तो तुमको,

तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।

उपकारन को कछु अंत नहीं,

छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो।

महाराज महा महिमा तुम्हरी,

मुझसे विरले बुधवारे हो।

शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि,

मन मंदिर के उजियारे हो।

इस जीवन के तुम जीवन हो,

इन प्राणण के तुम प्यारे हो।

तुम सों प्रभु पाए प्रताप हरि,

केहि के अब और सहारे हो।

भगवान ब्रह्मा जी की आरती हिंदी अर्थ सहित |

पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो।

हे भगवान ब्रह्मा!! आप ही हमारे माता-पिता, साथी, स्वामी सभी हो। आप ही हम सभी का पालन-पोषण करते हो।

जिनके कछु और आधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो।

जिनका इस सृष्टि या ब्रह्मांड में कोई और नही हैं, उनकी देखरेख भी आप ही करते हो।

सब भांति सदा सुखदायक हो, दुःख निर्गुण नाशन हारे हो।

आप सभी को हमेशा सुख प्रदान करते हो व सभी के दुखों, कष्टों, पापों का नाश करते हो।

प्रतिपाल करो सारे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो।

आप इस संपूर्ण जगत का पालन-पोषण करते हो और सभी के ऊपर कृपा दृष्टि रखते हो।

भूल गये हैं हम तो तुमको, तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।

हम आपको भूल गए हैं क्योंकि आप तो हमारी सुध तक नही लेते हो।

उपकारन को कछु अंत नहीं, छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो।

आपके उपकार का कोई अंत नही हैं क्योंकि यह सभी के ऊपर विभिन्न रूपों से रहता हैं।

महाराज महा महिमा तुम्हरी, मुझसे विरले बुधवारे हो।

हे ब्रह्मा भगवान, आपकी महिमा अपरंपार हैं और आप मुझसे मिले।

शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि, मन मंदिर के उजियारे हो।

आपके आगमन से घर में शुभ कार्य होते हैं, शांति स्थापित होती हैं और प्रेम का संचार होता हैं। आप मनुष्य के मन को भी एक नयी दिशा दिखाते हो।

इस जीवन के तुम जीवन हो, इन प्राणण के तुम प्यारे हो।

आप ही ने मुझे यह जीवन दिया हैं और अब आप मुझे अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय हो।

तुम सों प्रभु पाए प्रताप हरि, केहि के अब और सहारे हो।

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