हिंदी कैलेंडर के अनुसार एक साथ में कुल 4 नवरात्रि पड़ती हैं, चैत्र व शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रियों का उल्लेख भी हमें पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में देखने को मिलता है। जहां चैत्र नवरात्रि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अप्रैल-मई महीने में आती है वहीं शारदीय नवरात्रि सितंबर या अक्टूबर के महीने में पडती है। इस साल 2023 में शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू होकर 24 अक्टूबर तक मनाया जावेगा। हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में एक नवरात्रि को अखण्ड भारत में बड़े ही धूम-धाम और हर्षाेल्लास से मानाया जाता है। लेकिन कई लोग नवरात्रि के पीछे के धार्मिक महत्व को नहीं जानते है। आईए नवरात्रि के इस पावन पर्व पर हम नवरात्रि के धार्मिक, वैज्ञानिक व अन्य महत्वों को जानें।

सनातन धर्म अपनी विशालता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के कारण कई संप्रदायों में फैला हुआ है। इसलिए नवरात्र क्यों मनाई जाती है के पीछे कई अलग-अल कहानियां जानने सुनने को मिलती है। एक कहानी को सर्वमान्य है वह इस प्रकार है कि एक समय महिषासुर नामक राक्षस ने घोर तपस्या कर ब्रह्मा से नर, देव, गंधर्व सहित नाना प्रकार के प्राणियों के समक्ष अजेय रहने का वरदान प्राप्त कर लिया। ब्रह्मा से मिले वरदान का दुरुपयोग महिषासुर ने धरती लोक के साथ ही स्वर्ग लोक के देवताओं के विरुद्ध करना शुरू कर दिया। महिषासुर देवराज इंद्र और उनकी सेनाओं को परास्त कर स्वर्ग का स्वामी हो गया।
इधर महिषासुर के प्रकोप से त्रस्त इन्द्रादि देवता त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शरणों में पहुंचे। सर्व शक्तिमान त्रिमुर्ती के मार्गदर्शन के बाद भी देवतागण महिषासुर से युद्ध में परास्त हो गये। तब जाकर त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश और अन्य देवताओं ने अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए एक नई चेतना की रचना की जो नारी शक्ति दुर्गा के रूप में प्रकट हुई।
अपनी शक्ति के नशे में चूर महिषासुर ने नारी और स्त्रियों को निर्बल और अक्षम मान उनके खिलाफ अजेय रहने का वरदान नहीं मांगा था। इसलिए जब अपनी सेनाओं के परास्त होने के बाद महिषासुर का सामना माता दुर्गा से होता है तो नौ दिन व नौ रातों तक भीषण युद्ध के बाद भी महिषासुर मातृ शक्ति मां दुर्गा के सामने नहीं टिक पाता है और माता द्वारा दुष्ट का संहार कर समस्त सृष्टि को दानव के भारी आतंक से मुक्ति मिलती है।
महिषासुर के साथ हुए नौ दिन व नौ रातों के युद्ध और महिषासुर के संहार के लिए माता के प्रति अपना आभार व्यक्त करने के लिए ही नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। महिषासुर का मर्दन करने वाली माता देवी दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।
सनातन काल से जारी हिंदू धार्मिक परंपरों के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि नवरात्रि की आराधना और साधना के पीछे वैज्ञानिक महत्व भी शामिल है। दरअसल नवरात्रि का त्योहार ऋतु संधि का समय होता है इस समय एक बारिश के अंत और ठंड की शुरूआत होती है। इस दौरान वातावरण में आद्रता अर्थात उमस या ह्यूमेडिटी भी अधिक होने कारण प्राणियों को पाचन सहित अन्य कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। नवरात्र के त्योहार और उस दौरान किया जाने वाले संयम के उपवास का बहुत हद तक इस ऋतु परिवर्तन से भी गहरा संबंध होता है। नवरात्रि ही नहीं बल्कि हिंदू धर्म में आने वाले अन्य कई त्योहारों के पीछे भी कहीं न कहीं धार्मिक के साथ वैज्ञानिक महत्व भी होता है।