पूजा कक्ष के लिए वास्तु के बिना किसी भी घर या व्यावसायिक प्रतिष्ठान का वास्तु अधूरा है। वास्तु विशेषज्ञों और धार्मिक परंपराओं के अनुसार, हर घर में मंदिर या पूजा कक्ष होना अनिवार्य है। चूंकि यह घर का सबसे पवित्र भाग है, यह घर की समग्रता निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पूजा कक्ष के लिए वास्तु से संबंधित लोगों के मन में कई सवाल हो सकते हैं, जैसे कि मंदिर को किस दिशा में स्थापित करें, मूर्तियों के लिए सबसे अच्छा स्थान और मंदिर कहां रखें, अगर कोई अलग पूजा कक्ष नहीं है तो क्या करें?
आज हम आपको इस लेख के माध्यम से पूजा कक्ष के लिए वास्तु के महत्व और घर पर कौन सी मूर्ति वास्तु के अनुसार कहां स्थापित करें बताएंगे।

पूजा कक्ष घर का एक अलग हिस्सा है जिसमें हम अपने देवताओं और पूजा के अन्य सामान रखते हैं और देवताओं की प्रार्थना करते हैं। अक्सर बड़े शहरों में जहां जगह बहुत सीमित होती है, अधिकांश आवासीय घरों में कोई अलग पूजा कक्ष नहीं होता है। इसके अलावा, बहुत से लोग इसे प्राथमिकता भी नहीं देते हैं। लेकिन वास्तु विशेषज्ञ इसके खिलाफ सलाह देते हैं। पूजा कक्ष के रूप में आवंटित करने के लिए कुछ अलग स्थान रखना हमेशा सर्वोत्तम माना गया है। यह न केवल हमें आराधना पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, बल्कि ईश्वरीय ऊर्जाओं से जुड़ने को और अधिक सुविधाजनक बनाता है। अब, हम सभी जानते हैं कि हम अच्छी और बुरी दोनों ऊर्जाओं से घिरे हुए हैं।
पूजा कक्ष के लिए सही वास्तु यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि हम अपने आस-पास किस प्रकार की ऊर्जा का उपयोग करेंगे इस बात को निर्धारित करता है। पूजा कक्ष वास्तु में सभी सकारात्मक ऊर्जा के प्राथमिक केंद्र के रूप में कार्य करता है। इस प्रकार, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि पूजा कक्ष के लिए वास्तु सही हो। यह सुनिश्चित करता है कि हम घर के चारों ओर छिपी हुई नकारात्मक ऊर्जाओं को कम करते हैं और हमारी प्रार्थनाओं को सबसे अधिक फलदायी बनाते हैं।
गणेश को समृद्धि, सुख और अच्छे स्वास्थ्य का देवता माना जाता है। उन्हें एक रक्षक भी माना जाता है, यही वजह है कि अधिकांश लोग अपने जीवन में कोई बड़ा कदम उठाने से पहले गणेश मूर्ति से प्रार्थना करने का निर्णय लेते हैं। इसलिए यदि आप अपने जीवन में अपार सकारात्मकता और आनंद लेना चाहते हैं तो आपको अपने घर में भगवान गणेष की मूर्ति का उपयोग जरूर करना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार अपने घर के एक विषेष स्थान पर भगवान गणेष की प्रतीमा जरूर स्थापित करना चाहिए। वास्तु में दृष्टि गणेष के बारे में काफी कुछ कहा गया है इसके अनुसार आपको अपने घर में भगवान गणेष की मूर्ति ऐसे स्थान पर स्थापित करना चाहिए जहां घर से निकलते समय आपकी दृष्टि भगवान गणेष की प्रतिमा पर पड़े। वास्तु अनुसार घर पर स्थिपति करने वाली कुछ मुर्तियां इस प्रकार है
वास्तु शास्त्र में हाथी को समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है। हाथी की मूर्ति स्थापित करने से घर के अंदर माता लक्ष्मी का वास बना रहता है। हाथी की मूर्ति स्थापित करने से घर के लिए राहु दोष से संबंधित समस्या भी हल होती है।
कछुए की प्रतिमा को घर के पूर्व या उत्तर में रखना चाहिए, वास्तु शास्त्र सहित अन्य शास्त्रों के अनुसार यह भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है। हालांकि कछुए की मूर्ति को घर में स्थापित करने से पहले इस बात विषेष ध्यान रखें कि घर लाये जाने वाले कछुए की मूर्ति में कोई न कोई धातु अवश्य होनी चाहिए। इसके परिणामस्वरूप घर में शांति और समृद्धि बनी रहेगी।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पीतल या चांदी की मछली रखने की सलाह दी जाती है ऐसा करने से घर में उन्नति होती है। इस बात का विषेष ध्यान रखें कि जब आप मछली की मूर्ति लेकर आये तो उसका मुंह हमेशा ईशान कोण की ओर रखें इससे परिवार में आय के स्रोत बढ़ेंगे और संतुष्टि में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव होगा।