जीवन में बच्चा अथवा संतान होना वैवाहिक जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह विवाहित जोड़ों को एक नई दृष्टि देता है और जीवन में अच्छे बदलाव लाता है। स्वस्थ बच्चे या संतान के लिए विवाहित जोड़े बहुत प्रयास करते हैं। लेकिन कुछ दंपत्ति ऐसे हैं जो कई प्रयास के बावजूद भी संतान से वंचित रह जाते हैं और सकारात्मक परिणाम प्राप्त नहीं कर पाते। संतान प्राप्ती के अनेक प्रयासों के बाद भी यदि किसी को इसके पीछे के कारण समझ नहीं आते तो आप इन कारणों को ज्योतिष शास्त्र से जाना जा सकता है। राशिफल हमारे जीवन का दर्पण है और इसलिए हम कुंडली के माध्यम से अपने जीवन के बारे में बहुत सी बातें जान सकते हैं।
एक कुंडली में 12 घर होते हैं और सभी घर जीवन के विभिन्न खंडों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन घरों में से एक संतान प्राप्ति के लिए जिम्मेदार है और इसका अध्ययन और अन्य ग्रहों की स्थिति के साथ संयोजन से हम बच्चे के न होने के कारणों के बारे में जान सकते हैं। इस लेख में हम संतान उत्पत्ति की समस्याओं और उनसे जुड़े योग संयोग पर बात करेंगे।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार हमारी कुंडली का पंचम भाव शिक्षा, बुद्धि और संतान यानी बच्चों के लिए जिम्मेदार होता है। तो इस भाव का अध्ययन मुख्य रूप से अन्य ग्रहों की स्थिति के साथ किया जाता है और जीवन में संतान के बारे में जानने के लिए किया जाता है। यदि कंुडली के पांचवे भाव में अच्छे ग्रह हों और वे सकारात्मक हों और उनकी डिग्री अच्छी हो तो अच्छी संतान होने की संभावना बढ़ जाती है। हलांकि इतना ही नहीं पांचवे भाव के साथ ही शुक्र की स्थिति और शक्ति का भी अध्ययन किया जाता है।
– यदि पंचम भाव में पाप ग्रह हों तो संतान प्राप्ति में देरी हो सकती है।
– यदि पंचम भाव पाप ग्रहों द्वारा देखा जाता है तो भी संतान प्राप्ति में समस्या उत्पन्न होती है।
– पंचम भाव में मंगल, सूर्य की उपस्थिति भी संतान उत्पत्ति में समस्या पैदा कर सकती है।
– किसी भी प्रकार का ग्रहण योग यदि संतान भाव में यानी पंचम भाव में हो तो समस्या उत्पन्न होती है।
– कुंडली में खराब शुक्र भी विवाहित जोड़ों के लिए एक समस्या है।
– जब पंचमेश की महादशा शुरू हो जाती है और उसमें पंचम भाव में स्थित ग्रह की अंतर्दशा शुरू हो जाती है तो संतान होने की संभावना बढ़ जाती है।
– जब चंद्र कुंडली में पंचम भाव में स्थित ग्रह की दशा शुरू होती है तो संतान होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
– सबसे शक्तिशाली ग्रह की दशा में जो 5 वें घर को देख रहा है, वह भी बच्चे की संभावना को बढ़ाता है।
– भगवान शिव और पार्वती के साथ शिव के परिवार यानी भगवान गणेश की पूजा कर अपने लिए एक स्वस्थ संतान की प्रार्थना करें।
– भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की तस्वीर की पूजा भी आपको एक स्वस्थ बच्चे का आशीर्वाद दे सकती है।
– संतान गोपाल का पाठ करना भी एक अच्छा उपाय है।
– संतान की समस्याओं और अन्य समस्याओं के ज्योतिष विश्लेषण के लिए आप हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से सलाह ले सकते हैं।