पितृ दोष को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह पूर्वजों की अपूर्ण इच्छाओं और उनके अशांत होने के कारण उत्पन्न होता है। गरुड़ पुराण में इस दोष को दूर करने के लिए अनेक उपाय बताए गए हैं, जिनमें ‘रुचिकृत पितृ दोष निवारण स्तोत्रम्’ विशेष प्रभावशाली माना जाता है। यह स्तोत्रम पितरों को प्रसन्न करने, उनकी आत्मा की शांति के लिए और पितृ दोष से मुक्ति हेतु अत्यंत लाभकारी है।
रुचिकृत पितृ दोष निवारण स्तोत्रम् का महत्व
पूर्वजों की कृपा प्राप्ति – इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
कुल में सुख-समृद्धि – यह स्तोत्र परिवार में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है।
पितृ दोष निवारण – जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, वे इस स्तोत्र के माध्यम से इस दोष से मुक्ति पा सकते हैं।
विध्न बाधाओं का नाश – यह स्तोत्र जीवन में आने वाली अनेक प्रकार की बाधाओं को समाप्त करता है।
पाठ विधि
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पितरों के चित्र के सामने दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें।
रुचिकृत पितृ दोष निवारण स्तोत्रम् का श्रद्धा और भक्ति भाव से पाठ करें।
पाठ के उपरांत तिल मिश्रित जल अर्पण करें।
इस पाठ को पितृ पक्ष, अमावस्या या श्राद्ध के दिनों में विशेष रूप से करना अत्यंत शुभ होता है।
रुचिकृत पितृ दोष निवारण स्तोत्रम्, गरुड़ पुराण में वर्णित एक प्रभावशाली उपाय है, जिससे पितरों की आत्मा की शांति प्राप्त होती है और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यह स्तोत्र पितृ दोष से मुक्ति पाने का एक सरल और प्रभावशाली साधन है, जिसे प्रत्येक श्रद्धालु को अपनाना चाहिए।