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पूर्वाषाढा नक्षत्र

पूर्वाषाढ़ा (धनु राशि में 13°20′ – 26°40′ तक)

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र कौस ऑस्ट्रलिस , कौस बोरेलिस और कौस मीडिया नामक तीन तारों से मिलकर बना है तथा यह धनु राशि के मध्य भाग में स्थित है। ये तारे रात्रि को आकाश में आसानी से दिखाई देते हैं तथा एक पंखें के सदृश लगते हैं| इस नक्षत्र में उत्पन्न लोग आशावादी व स्वतंत्र प्रवृति के होते हैं| वे अजेय महसूस करते हैं तथा कभी न हार मानने वाली सोच रखते हैं| इस नक्षत्र के अधिपति अपस हैं जो जल तत्व के साथ घनिष्ठ संबंध प्रदान करते हैं| इस प्रकार पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र तरलता और शक्ति से संबंधित है| इस नक्षत्र में पैदा लोग दूसरों को प्रेरित व उत्साहित करने की क्षमता रखते हैं| फिर भी उन्हें मानसिक अतिक्रमण व विरोध के प्रति सतर्क रहना चाहिए। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में युद्ध शुरु करने व निडरता उत्पन्न करने की शक्ति भी है|

सामान्य विशेषताएँ: अभिमानी प्रकृति, मित्रों से एक मजबूत लगाव व एक सहमत जीवनसाथी
अनुवाद: अजेय, अपराजित
प्रतीक: एक पंखा या एक छानने वाली टोकरी (जिसका प्रयोग भूसी से अनाज को अलग करने के लिए किया जाता है), एक पलंग या एक हाथी दांत
पशु प्रतीक: बन्दर
अधिपति देव: आपस, जल के देवता
शासक ग्रह: शुक्र
शुक्र ग्रह के अधिपति देव: लक्ष्मी जी
प्रकृति: मनुष्य (मानव)
ढंग: संतुलित
संख्या: 20 (यह संख्या शुक्र ग्रह की ऊर्जा व सद्भाव से संबंधित है|)
लिंग: स्त्री
दोष: पित
गुण: राजसिक
तत्व: वायु
प्रकृति: भयंकर और तीव्र (उग्र)
पक्षी: तीतर
सामान्य नाम: गुडूची, गिलोय
वानस्पतिक नाम: टिनसपोरा कॉर्डिफोलिया
बीज ध्वनि: भू, धा, फ, ठा
ग्रह से संबंध: धनु राशि के स्वामी के रूप में गुरु इस नक्षत्र से संबंधित है जो दृढ आस्था देता है| बुध ग्रह अपनी युवा प्रकृति के माध्यम से जुड़ा हुआ है|

प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में विभाजित किया जाता है जिन्हें पद कहते हैं| पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के विभिन्न पदों में जन्म लेने वाले लोगों के अधिक विशिष्ट लक्षण होते हैं:

पद:

प्रथम पद धनु राशि का 13°20′ – 16°40′ भाग सूर्य ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: भू
सूचक शब्द: आत्मविश्वास
द्वितीय पद धनु राशि का 16°40′ – 20°00′ भाग बुध ग्रह द्वारा शासित
ध्वनि: धा
सूचक शब्द: बुद्धि
तृतीय पद धनु राशि का 20°00′ – 23°20′ भाग शुक्र ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: फ
सूचक शब्द: विलासिता
चतुर्थ पद धनु राशि का 23°20′ – 26°40′ भाग मंगल ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: ठा
सूचक शब्द: रहस्य

शक्ति: कलात्मक, सुन्दर, प्रभावशाली – अनेकों को प्रभावित करने वाला, सबका पसंदीदा, विनम्र, दोस्तों के प्रति वफादार, बुद्धिमान, एक उत्तम प्रबंधक लेकिन नौकरी करना पसंद करता है, मूल्यवान कर्मचारी, सरल जीवन, सहायक, साहसी, विनम्र, प्रभावशाली, धनी, उत्तम भोजन को पसंद करने वाला, जीवनसाथी के साथ एक सुखद संबंध, अनेक संतानों वाला, सत्य को खोजने वाला, परिवर्तनशील

कमजोरियाँ: घमंडी, दृढ, स्वयं को श्रेष्ठ समझने वाला, दूसरे लोग उसे अशिष्ट या अपरिपक्व समझते हैं, क्रोधित, सलाह न मानने वाला, अल्प वेतन वाला, कठिन नौकरियां करने वाला, अक्षम प्रबंधक, परेशान करने वाला व्यवहार, शिक्षा या तैयारी में कमजोर, तानाशाही, जिद्दी, उन साझेदारों को पीछे छोड़ देने वाला जो स्वयं को बदलने की क्षमता नहीं रखते हैं|

कार्यक्षेत्र: राजनीतिज्ञ, वकील, सार्वजनिक वक्ता, प्रेरक वक्ता, लेखक, अभिनेता, कलाकार, मनोरंजन, कवि, शिक्षक, यात्रा उद्योग, विदेशी व्यापारी, नौ-परिवहण उद्योग, नौसेना अधिकारी, समुद्री विशेषज्ञ, मत्स्य-ग्रहण उद्योग, सम्मोहनकारी व्यक्ति, आध्यात्मिक, कच्चे माल से संबंधित उद्योग, जल और तरल पदार्थ से संबंधित व्यवसाय, शोधशाला, युद्ध रणनीतिज्ञ, पोशाक सज्जाकार, उड़ान संबंधी पेशा, औषधि विशेषज्ञ

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्में प्रसिद्ध लोग: एडॉल्फ हिटलर, जॉनी कार्सन, विलियम जेम्स, अर्नेस्ट हेमिंग्वे, बारबरा बुश, ऐश्वर्या राय

अनुकूल गतिविधियां: शत्रुओं व विरोधियों के साथ टकराव, ईमान के लिए आवाज उठाना, सुलह, कर्ज निपटाना, युद्ध के लिए जाना, कर्म करने के लिए लोगों को प्रेरित करना, पुनरोद्धार, रोमांच, प्रकृति का अन्वेषण करना, खेल, अग्रणी, जल यात्रा, नौकानयन, कलात्मक प्रदर्शन, प्राचीन स्थलों का दौरा, कृषि, विवाह, यौन क्रिया

प्रतिकूल गतिविधियां: कुशलता व कूटनीति से संबंधित कार्य, चीजों की पूर्ति करना, भू-यात्राएं

purvashadha-nakshatra

पवित्र मंदिर: कडुवेली सुंदर आकाशपुरीश्वर मंदिर

यह सुंदर आकाशपुरीश्वर मंदिर भारत में तमिलनाडु के तिरुवइयारू के निकट कडुवेली गाँव में स्थित है। यह पवित्र मंदिर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र की उर्जा से संबंधित है| यह ऊर्जा हमेशा प्रकाश के रूप में गतिमान होती है| कडुवेली को ब्रह्मांडीय अंतरिक्ष के किनारे के रूप में जाना जाता है। भगवान शिव ने कडुवेली में ताड़ के पत्तों से चमकदार ज्योति की रचना की थी| इस चमकदार ज्योति का निर्माण करने के उपरांत उन्होंने कडुवेली मंदिर में इसका अस्तित्व प्रकट किया। भगवान शिव के श्री आकाशपुरीश्वर रूप का अवतरण होने के पश्चात कडुवेली सिद्ध नामक एक सिद्धपुरुष ने इस मंदिर में तपस्या की थी| अंत में कडुवेली सिद्ध ब्रह्मांडीय अंतरिक्ष की सीमा के पार चले गए ताकि उनकी तपस्या जारी रह सके।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में पैदा हुए लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार श्री आकाशपुरीश्वर मंदिर के दर्शन करके यहाँ पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए| अन्य नक्षत्रों में जन्मे लोगों को भी कडुवेली मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करने से लाभ हो सकता है| पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र दिवस पर यहाँ जाकर पूजा-अर्चना करना अनुकूल है| श्री आकाशपुरीश्वर मंदिर में पुष्प अर्पित करके भगवान शिव का आशीर्वाद लेना चाहिए|

इस स्थल पर वास्तु (पंच तत्वों की व्यवस्था का विज्ञान) के लिए विशेष पूजाएं की जाती हैं। पृथ्वी तत्व के संतुलन हेतु कडुवेली मंदिर में जाकर वास्तु पूजन करना उपयुक्त है। भवन या घर का निर्माण करने से पूर्व यह पूजन करना लाभकारी है| अचल संपत्ति व निर्माण कार्य से जुड़े लोगों के लिए यह पूजा महत्वपूर्ण है। यह वास्तु पूजा करने के लिए सुगन्धित इत्र अर्पित करके चंदन व केसरी (आटा, चीनी, इलायची) द्वारा देवता का जलाभिषेक करना चाहिए तथा सुगंधित पुष्पों के माध्यम से शिवलिंग को सजाना चाहिए। मंदिर के निकट गरीब लोगों को पोंगल (उबला हुआ मीठा चावल) बांटना भी अनुकूल है। इस प्रकार की पूजा आपको श्री आकाशपुरीश्वर व वास्तु देव का आशीर्वाद प्रदान करेगी|

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्में लोगों के लिए वेदों द्वारा निर्धारित धूप गुडूची नामक जड़ी-बूटी से निर्मित है|

इस धूप को जलाना उस विशिष्ट नक्षत्र हेतु एक लघु यज्ञ अनुष्ठान करने के समान है| एक विशिष्ट जन्मनक्षत्र के निमित किए गए इस लघु अनुष्ठान द्वारा आप अपने ग्रहों की आन्तरिक उर्जा से जुड़कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में सक्षम होंगे|

एक विशिष्ट नक्षत्र दिवस पर अन्य नक्षत्र धूपों को जलाने से आप उस दिन के नक्षत्र की ऊर्जा से जुड़कर अनुकूल परिणाम प्राप्त करते हैं| आपको यह सलाह दी जाती है कि आप कम से कम अपने व्यक्तिगत नक्षत्र से जुड़ी धूप को प्रतिदिन जलाएं ताकि आपको उस नक्षत्र से जुड़ी सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती रहे|

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