भारतीय संस्कृति में सदैव ही अपने बड़े बुजुर्गों को सम्मान और पूजनीय माना गया है। हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों के सम्मान के लिए प्रत्येक वर्ष एक विषेष अवधि को विषेष माना गया है। पितृ पक्ष या महालय पक्ष के 15 दिनों के दौरान हिंदू धर्मांवलंबी अपने पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण व दान पून्य करते है। इस बार पितृ पक्ष (पितृ पक्ष 2023) 29 सितंबर से शुरू हो रहा है। पितृ पक्ष के 15 दिनों में लोग श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण भी करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में शास्त्रों में इन 15 दिनों के लिए कई काम वर्जित बताए गए हैं। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि पितृ पक्ष में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
पितृपक्ष के 15 दिनों के दौरान कोई भी शुभ या नया काम शुरू नहीं करना चाहिए। इसके अलावा शादी-विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे कार्य भी नहीं करने चाहिए। पितृपक्ष के 15 दिनों तक व्यक्ति को पूरी तरह पवित्र रहना चाहिए। इस दौरान मांस, मछली और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा लोगों को लहसुन और प्याज खाने से भी परहेज करना चाहिए।
पितृपक्ष के 15 दिनों के दौरान मांसाहारी चीजों के अलावा लौकी, खीरा, चना और सरसों का साग भी नहीं खाना चाहिए। इससे पितर भी नाराज हो जाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान पशु-पक्षियों को परेशान नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन 15 दिनों में पितर पशु-पक्षियों के रूप में धरती के करीब आते हैं। इसलिए इन 15 दिनों तक उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
पितृ पक्ष आमतौर पर सितंबर में पड़ता है और अक्टूबर के मध्य तक चलता है। यह वह समय है जब परिवार अपने मृत पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक पवित्र अनुष्ठान, श्राद्ध करने के लिए एक साथ आते हैं। इस अवधि के दौरान, दिवंगत प्रियजनों की आत्मा की शांति और भलाई सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न समारोह, पूजा और प्रसाद चढ़ाए जाते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान केंद्रीय सिद्धांतों में से एक सात्विक भोजन का सेवन है। सात्विक भोजन शुद्ध, पौष्टिक और नकारात्मक ऊर्जा से रहित माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पूर्वज, अपनी संक्षिप्त सांसारिक यात्रा के दौरान, हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन के कंपन के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसलिए श्राद्ध करने वालों को घर से बाहर बना खाना खाने से बचना चाहिए। इस दौरान बाहर खाना धार्मिक दृष्टि से अशुद्ध माना जाता है।
पितृ पक्ष के दौरान मांस, चिकन और अन्य मांसाहारी चीजें सख्त वर्जित हैं। इन प्रसादों को अशुभ माना जाता है और माना जाता है कि ये पूर्वजों के सम्मान में किए जाने वाले अनुष्ठानों में बाधा डालते हैं। मांस, मछली, अंडे और शराब का सेवन हतोत्साहित किया जाता है, क्योंकि इससे पूर्वजों की नाराजगी हो सकती है। इन रीति-रिवाजों की उपेक्षा करने से भयानक पितृदोष भी हो सकता है, ऐसी स्थिति को दुर्भाग्य लाने वाला माना जाता है।