वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली के अलावा नवमांश कुंडली का भी अत्यधिक महत्व है। इसे विशेष रूप से विवाह, धर्म, आध्यात्मिकता, और व्यक्ति के जीवन की आंतरिक परिपक्वता को जानने के लिए देखा जाता है। “नवमांश” का अर्थ होता है “नव भागों में विभाजित”, अर्थात प्रत्येक राशि के 30 अंशों को 9 भागों में बांट कर नवमांश की गणना की जाती है। यह कुंडली व्यक्ति की आत्मिक शक्ति, जीवनसाथी की प्रकृति, वैवाहिक सुख, और भाग्य की गहराई को दर्शाती है।
नवमांश कुंडली क्या है?
नवमांश कुंडली को D-9 चार्ट कहा जाता है, और यह जन्म कुंडली का एक उपविभाजित रूप है। यह यह दर्शाती है कि ग्रह जन्म कुंडली में जिस राशि में स्थित है, उसका नवमांश किस राशि में स्थित है। नवमांश की सही गणना के लिए जन्म समय एकदम सटीक होना आवश्यक है, क्योंकि इसमें छोटी सी गलती भी पूरे विश्लेषण को बदल सकती है।
नवमांश कुंडली का महत्व
विवाह और जीवनसाथी का संकेत – नवमांश विशेष रूप से विवाह से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देती है। व्यक्ति को विवाह में सुख मिलेगा या नहीं, जीवनसाथी की प्रकृति कैसी होगी, यह सभी बातें नवमांश से पता चलती हैं।
धर्म और आध्यात्मिक जीवन – D-9 कुंडली यह भी बताती है कि व्यक्ति का झुकाव धर्म, साधना या आध्यात्मिक क्षेत्र की ओर होगा या नहीं।
ग्रहों की असली शक्ति – जन्म कुंडली में ग्रह मजबूत दिख सकते हैं लेकिन नवमांश में कमजोर होने पर उनका फल घट जाता है। इसी तरह कोई ग्रह जन्म कुंडली में कमजोर होकर नवमांश में शक्तिशाली हो तो वह अंततः अच्छे फल दे सकता है।
भाग्य की गहराई – नवमांश यह दर्शाता है कि व्यक्ति को अपने जीवन में कितना और कब भाग्य का साथ मिलेगा।
नवमांश की गणना कैसे होती है?
हर राशि में 30 अंश होते हैं। इन्हें 9 भागों में बांटकर 3 अंश 20 मिनट के 9 हिस्से बनाए जाते हैं। हर नवमांश का संबंध एक विशेष राशि से होता है। उदाहरण के लिए:
यदि कोई ग्रह मेष राशि के पहले 3 अंश 20 मिनट में है, तो उसका नवमांश भी मेष में ही आएगा। अगले 3 अंश 20 मिनट वृषभ नवमांश को दर्शाएंगे और यह क्रम मीन तक चलता है।
नवमांश कुंडली का विश्लेषण कैसे करें?
लग्न पर ध्यान दें – नवमांश कुंडली का लग्न व्यक्ति के आंतरिक स्वभाव, उसके आध्यात्मिक झुकाव और परिपक्वता को दर्शाता है। यह उसके गुप्त गुणों को प्रकट करता है।
सप्तम भाव और सप्तमेश – यह जीवनसाथी, वैवाहिक जीवन और पति/पत्नी की प्रकृति को दर्शाता है। यदि सप्तमेश मजबूत है, तो वैवाहिक जीवन संतुलित रहता है।
शुक्र और गुरु की भूमिका – पुरुष की कुंडली में विवाह के लिए शुक्र और स्त्री की कुंडली में गुरु की स्थिति नवमांश में देखी जाती है। ये ग्रह नवमांश में शुभ होने चाहिए।
ग्रहों की स्थिति की तुलना करें – यदि कोई ग्रह D-1 कुंडली में उच्च का है लेकिन D-9 में नीच का, तो उसका फल कम होता है। इसके विपरीत स्थिति में ग्रह बेहतर फल देता है।
नवमांश कुंडली और विवाह योग
जिन जातकों की नवमांश कुंडली में सप्तम भाव में शुभ ग्रह हो या दृष्टि डाल रहे हों, उन्हें वैवाहिक सुख मिलता है।
नवमांश में शुक्र या गुरु उच्च के हों तो प्रेम, आकर्षण और समर्पण जीवन में बने रहते हैं।
नवमांश में शनि, राहु या केतु का प्रभाव यदि सप्तम भाव पर हो तो विवाह में देरी या बाधाएं आ सकती हैं।
ग्रहों की दशाओं के दौरान यदि कोई ग्रह नवमांश में मजबूत स्थिति में है, तो उसकी दशा में व्यक्ति को उन्नति, सम्मान और आध्यात्मिक संतुलन मिलता है। वहीं यदि ग्रह नवमांश में निर्बल है तो संबंधित दशा तनावपूर्ण हो सकती है।
नवमांश कुंडली किसी भी कुंडली का गूढ़ रहस्य खोलने की चाबी है। जन्म कुंडली में जो दिखाई देता है, नवमांश उसका “सच” बताता है। इसे गहराई से पढ़कर ही सही फलादेश संभव है। विशेषकर विवाह, धर्म, जीवनसाथी और आंतरिक विकास जैसे विषयों में इसका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।