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महालय पक्ष 2025 – तिथि, महत्व और पूजा विधि

श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक, महालय पक्ष हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र समय माना जाता है। यह समय उन दिवंगत पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का होता है, जिनके बिना हमारा अस्तित्व अधूरा होता। जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है और पितृलोक का द्वार खुलता है, तब शुरू होता है श्राद्ध पक्ष, जिसे महालय पक्ष भी कहते हैं। साल 2025 में महालय पक्ष की शुरुआत 3 सितंबर बुधवार से होगी और इसका समापन 17 सितंबर बुधवार को महालय अमावस्या के दिन होगा।

 महालय पक्ष 2025 की प्रमुख तिथियाँ

प्रथम श्राद्ध (प्रतिपदा) – 3 सितंबर 2025

एकादशी श्राद्ध – 13 सितंबर 2025

त्रयोदशी श्राद्ध – 15 सितंबर 2025

चतुर्दशी श्राद्ध – 16 सितंबर 2025

महालय अमावस्या (सर्वपितृ श्राद्ध) – 17 सितंबर 2025

जो लोग अपने पूर्वजों की तिथि नहीं जानते, वे महालय अमावस्या के दिन सर्वपितृ श्राद्ध कर सकते हैं।

 

महालय पक्ष का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि श्राद्ध पक्ष में पितृगण धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्मों को ग्रहण करते हैं। यह समय पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। जिन परिवारों में पितरों का विधिवत श्राद्ध नहीं किया जाता, वहाँ अक्सर पितृदोष देखा जाता है, जिससे संतानहीनता, कलह, रोग और धन की हानि जैसे दोष उत्पन्न होते हैं। महालय पक्ष वह अवसर है जब इन दोषों का निवारण संभव है।

श्राद्ध केवल कर्मकांड नहीं है, यह भावनाओं की अभिव्यक्ति है, एक ऐसा अवसर जब हम अपने पूर्वजों का आभार प्रकट करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

 

श्राद्ध कर्म एवं पूजा विधि

महालय पक्ष में श्राद्ध की प्रक्रिया बेहद सावधानी और श्रद्धा से की जाती है। यदि आप घर पर श्राद्ध करना चाहते हैं, तो यह विधि अपनाएं।

 

1. प्रातः स्नान व संकल्प

श्राद्ध करने वाला व्यक्ति प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करे और संकल्प ले कि वह अमुक पितृ के लिए श्रद्धा पूर्वक तर्पण कर रहा है।

 

2. पिंडदान और तर्पण

तिल, जल, दूध और कुशा का उपयोग कर तर्पण करें।

चावल, तिल और घी से बने पिंड बनाकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर पिंडदान करें।

ओम पितृभ्यः स्वधा नमः’ मंत्र का उच्चारण करें।

 

3. श्राद्ध भोजन और ब्राह्मण सेवा

श्रद्धा से सात्विक भोजन बनाएं, जैसे खीर, पूरी, दाल, लौकी की सब्जी, और तिल से बने पकवान।

एक पत्तल पर भोजन रखकर पहले उसे पितरों को समर्पित करें।

तत्पश्चात योग्य ब्राह्मण को भोजन कराएं और वस्त्र/दक्षिणा दें।

 

4. पशु-पक्षियों को भोजन कराना

कौआ, गाय, कुत्ता और ब्राह्मण, इन चारों को भोजन कराना श्राद्ध का मुख्य अंग माना गया है। ऐसा करने से पितरों को तृप्ति मिलती है।

 

श्राद्ध में ध्यान रखने योग्य बातें

श्राद्ध पक्ष में मांसाहार, मद्यपान, बाल कटवाना, नाखून काटना व जोरदार संगीत से परहेज करें।

मन, वाणी और शरीर को पवित्र रखें।

श्राद्ध करते समय पितरों का नाम, गोत्र और तिथि अवश्य लें।

स्त्रियाँ भी घर पर सरल विधि से तर्पण कर सकती हैं, विशेष रूप से अगर घर में पुरुष सदस्य उपलब्ध न हों।

 

पितरों का आशीर्वाद ही सच्ची समृद्धि

महालय पक्ष हमें यह सिखाता है कि जीवन सिर्फ वर्तमान नहीं, अतीत से भी जुड़ा होता है। पितरों का आशीर्वाद ही हमारी प्रगति की नींव है। जब आप श्राद्ध करते हैं, तो न सिर्फ उनकी आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि आपके जीवन से भी बाधाएं दूर होती हैं। श्राद्ध के 16 दिन श्रद्धा के होते हैं, जो यह करता है, वह पितृऋण से मुक्त होता है।

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