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कुबेर मंत्र | Kuber Mantra In Hindi

कुबेर कौन थे और किसने उन्हें धन का भगवान बना दिया?

कुबेर, एक यक्ष (दानव) और राजा था जिसने दक्षिणी समुद्र के मध्य में लंका का स्वर्ण नगर बनाया था। ऐसा कहा जाता है कि वह अपने पुष्पक विमान में हमेशा यात्रा करते रहते थे। लेकिन उनके भाई रावण ने ब्रह्मा के वरदान के बल से कुबेर को लंका से बाहर निकाल दिया। व्यथित कुबेर ने लंका छोड़ दी और कैलाश के पास अलकापुरी में बस गए।

कुबेर के संबंध में लोकमानस में एक जनश्रुति प्रचलित है। कहा जाता है कि पूर्वजन्म में कुबेर चोर थे-चोर भी ऐसे कि देव मंदिरों में चोरी करने से भी बाज न आते थे। एक बार चोरी करने के लिए एक शिव मंदिर में घुसे। तब मंदिरों में बहुत माल-खजाना रहता था। उसे ढूंढने-पाने के लिए कुबेर ने दीपक जलाया लेकिन हवा के झोंके से दीपक बुझ गया।

कुबेर ने फिर दीपक जलाया, फिर वह बुझ गया। जब यह क्रम कई बार चला, तो भोले-भाले और औघड़दानी शंकर ने इसे अपनी दीपाराधना समझ लिया और प्रसन्न होकर अगले जन्म में कुबेर को धनपति होने का आशीष दे डाला। यदि आप ज्योतिष के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट पर जाएँ

Kuber Mantra In Hindi

कुबेर देव का मंत्र:

कुबेर को राक्षस के अतिरिक्त यक्ष भी कहा गया है। यक्ष धन का रक्षक ही होता है, उसे भोगता नहीं। कुबेर का जो दिक्पाल रूप है, वह भी उनके रक्षक और प्रहरी रूप को ही स्पष्ट करता है। पुराने मंदिरों के वाह्य भागों में कुबेर की मूर्तियां पाए जाने का रहस्य भी यही है कि वे मंदिरों के धन के रक्षक के रूप में कल्पित और स्वीकृत हैं।

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

यह देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव का अमोग मंत्र है। इस मंत्र का तीन माह तक रोज 108 बार जप करें।जप करते समय अपने सामने एक सिक्खा (धनलक्ष्मी सिक्खा) रखें। तीन माह के बाद प्रयोग पूरा होने पर इस सिख्खे को अपनी तिजोरी या लॉकर में रख दें। ऐसा करने पर कुबेर देव की कृपा से आपका लॉकर कभी खाली नहीं होगा। हमेशा उसमें धन भरा रहेगा।

यह मंत्र आपके जीवन और आपके परिवार में समृद्धि और खुशहाली लाने के लिए फायदेमंद है। अगर आप भक्ति के साथ मंत्र का पाठ करते हैं तो भगवान कुबेर आपकी इच्छा को पूरा करेंगे।यह मंत्र आपके आत्मविश्वास का निर्माण करने में भी मदद करता है और समाज में आपकी स्थिति को भी बढ़ाएगा।

कुबेर धन प्राप्ति मंत्र

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार कुबेर धन के देवता है | कुबेर नाम का अर्थ है – संस्कृत में ‘विकृत’ या ‘राक्षसी’। कुबेर का दूसरा नाम है यक्ष| वह धन की रक्षक है| सोने के खजाने और विशाल धन को आमतौर पर ‘कुबेर का खजाना’ या ‘कुबेर का धन’ कहा जाता है।

“ॐ श्रीम ॐ ह्रीम श्रीम ह्रीम वित्तेश्वराय नम:”

इस मंत्र का अर्थ है कि ‘मैं अपने जीवन में धन के देवता कुबेर को नमन करता हूं जो सभी प्रकार की परेशानियों का नाश करनेवाला और निश्चित रूप से वित्त में सुधार देनेवाला भगवान है। जब आप इस मंत्र का जाप करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप खुद को वह सारा धन प्राप्त करने की कल्पना करें जो आप चाहते हैं। यदि आप एक नया घर चाहते हैं, तो अपने नए घर में, अपने परिवार के साथ भव्य और आराम से बढ़िया भोजन की कल्पना करें।

कुबेर महालक्ष्मी मंत्र

ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै च विद्महे
विष्णु पत्नयै च धीमही तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात

इस मंत्र का जाप कर आप देवी महालक्ष्मी से आपको सुखी जीवन का आशीर्वाद देने की प्रार्थना कर रहे हैं। भगवान कुबेर और देवी महालक्ष्मी सुनिश्चित करेंगे कि आपकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएं, एक बार जब आप इस मंत्र को दृढ़ विश्वास के साथ सुनाना शुरू करते हैं।

कुबेर अष्टलक्ष्मी मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

इस मंत्र के साथ, आप भगवान कुबेर से प्रार्थना कर रहे हैं कि आप पर धन और खुशी की शुभकामनाएं दें। जब देवी लक्ष्मी के साथ एक साथ पूजा की जाती है, तो भगवान कुबेर को सबसे अच्छा आशीर्वाद देने के लिए जाना जाता है जो उनके लिए समर्पित है।
के नाम का जप सभी विकारों को मिटाकर दया, क्षमा, निष्कामता आदि दैवी गुणों को प्रकट करता है।

कुबेर मंत्र का लाभ

• गहराई से जाप करने से मन की चंचलता कम होती है व एकाग्रता बढ़ती है | एकाग्रता सभी सफलताओं की जननी है |
• मंत्र जाप करने से पुराने संस्कार हटते जाते हैं, जापक में सौम्यता आती जाती है और उसका आत्मिक बल बढ़ता जाता है |
• मंत्रजाप से चित्त पावन होने लगता है | रक्त के कण पवित्र होने लगते हैं | दुःख, चिंता, भय, शोक, रोग आदि निवृत होने लगते हैं | सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद मिलने लगती है |
• जैसे, ध्वनि-तरंगें दूर-दूर जाती हैं, ऐसे ही नाम-जप की तरंगें हमारे अंतर्मन में गहरे उतर जाती हैं तथा पिछले कई जन्मों के पाप मिटा देती हैं | इससे हमारे अंदर शक्ति-सामर्थ्य प्रकट होने लगता है और बुद्धि का विकास होने लगता है |
• मंत्रजाप से शांति तो मिलती ही है, वह भक्ति व मुक्ति का भी दाता है |
• मंत्रजप करने से मनुष्य के अनेक पाप-ताप भस्म होने लगते हैं | उसका हृदय शुद्ध होने लगता है तथा ऐसे करते-करते एक दिन उसके हृदय में हृदतेश्वर का प्राकटय भी हो जाता है |
• मंत्रजापक को व्यक्तिगत जीवन में सफलता तथा सामाजिक जीवन में सम्मान मिलता है | मंत्रजप मानव के भीतर की सोयी हुई चेतना को जगाकर उसकी महानता को प्रकट कर देता है | यहाँ तक की जप से जीवात्मा ब्रह्म-परमात्मपद में पहुँचने की क्षमता भी विकसित कर लेता है |

जैसे पानी की बूँद को बाष्प बनाने से उसमें 1300 गुनी ताकत आ जाती है वैसे ही मंत्र को जितनी गहराई से जपा जाता है, उसका प्रभाव उतना ही ज्यादा होता है | गहराई से जप करने से मन की चंचलता कम होती है व एकाग्रता बढ़ती है | एकाग्रता सभी सफलताओं की जननी है

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