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Kaal Sarp : देश के इन मंदिरों में होती है कालसर्प दोष पूजा

काल सर्प दोष का अर्थ देखें तो काल का अर्थ समय और सर्प का अर्थ है सांप जो जीवन में दुर्भाग्य या समस्या को दर्शाता है। वैदिक ज्योतिष में, राहु को एक सांप का सिर, और केतु को सांप की पूंछ के रूप में उल्लेखित किया गया है। इसी के माध्यम से कर्मों को नियंत्रित किया जाता है। किसी कुंडली में काल सर्प दोष तब बनता है जब आपके जन्म के समय सभी सात ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं। यह ग्रहों की एक विनाशकारी ज्योतिषीय स्थिति हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे लोगों के जीवन में दुर्भाग्य और समस्याएं हो सकती है। कालसर्प दोष जातक के स्वास्थ्य, खुशी और मन की शांति को प्रभावित कर सकता है। आज हम इस लेख में जानेंगे की देष में ऐसे कौन से मंदिर है जहां कालसर्प दोष निवारण पूजा की जाती है।
Kaal Sarp

कालसर्प दोष कैसे बनता है

राहु.केतु को कष्टदायक ग्रह कहा जाता है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार ये दोनों ग्रह एक शरीर के दो अंग हैं जो सांप जैसा दिखता है। राहु को सांप के सिर के रूप में जाना जाता है और केतु को सांप की पूंछ के रूप में जाना जाता है। जब जन्म के समय सूर्यए चंद्रए मंगलए बुधए बृहस्पतिए शुक्र और शनि जब गोचर के दौरान राहु और केतु के बीच होते हैं तो व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग बनता है। इस दोष की चर्चा जैमिनीए पाराशरीए वराहमिहिर और गर्ग ने अपने.अपने शास्त्रों में की है। ये सभी वैदिक ज्योतिष के प्रसिद्ध संत हैं।
यदि राहु और केतु के मध्य से उपरोक्त उल्लेखित कोई ग्रह निकल जाए तो कुंडली में कालसर्प योग नहीं बनता है। ऐसे में एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि राहु.केतु से निकलने वाले ग्रह का स्तर राहु.केतु से उच्च होना चाहिए अन्यथा व्यक्ति कालसर्प दोष से प्रभावित होगा। जब राहु.केतु दूसरेए छठेए आठवें या ग्यारहवें घर में हो और सभी ग्रह गोलार्द्ध के एक तरफ हों तो कालसर्प दोष बनता है। हालांकि यदि सभी सातों ग्रह विपरीत दिशा में हों तो कुंडली में कालसर्प दोष के स्थान पर अर्धचंद्र योग बनता है।

कालसर्प दोष के उपाय

जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाले काल सर्प दोष के प्रभावों को कम करने के लिए आप कुछ बेहद ही सरल उपाय अपना सकते है जो आपको काल सर्प दोष के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद करेगा। शराब और मांसाहारी भोजन से परहेज जैसी प्रथाएं ये काल सर्प योग प्रभावों को कम कर सकती हैं। अन्य विधियां जैसे महा मृत्युंजय के मंत्र का जाप और भगवान शिव के मंदिर में नियमित रूप से दर्शन करने जैसी विधियाँ, प्रत्येक सोमवार को काल सर्प दोष पूजा का हिस्सा बने।

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