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ज्येष्ठा नक्षत्र

ज्येष्ठा (वृश्चिक राशि में 16°40′ – 30°00′ तक)

ज्येष्ठा नक्षत्र रात्रि के आकाश में चमकदार लाल रंग के एंटारेस नामक तारे के रूप में पहचान योग्य होता है| यह नक्षत्र वृश्चिक राशि के केंद्र में स्थित है तथा हमारे सूर्य से कई गुना अधिक विशाल है। ज्येष्ठा का अर्थ “सबसे बड़ा” है तथा यह वरिष्ठता को दर्शाता है| इस नक्षत्र में उत्पन्न लोगों के अंदर महान उपलब्धियाँ प्राप्त करने की क्षमता होती है परंतु सर्वप्रथम उन्हें अपने आंतरिक संघर्षों से निपटना सीखना चाहिए तथा अपनी शक्ति का जिम्मेदारी से उपयोग करना चाहिए। ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रतीक एक कुंडल या चक्र है जो भगवान विष्णु व बुध ग्रह की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। यह संरक्षण व बौद्धिक क्षमता प्रदान करता है| ज्येष्ठा नक्षत्र में पैदा लोग असहाय व अभावग्रस्त लोगों की रक्षा करते हैं| इस नक्षत्र के अधिपति भगवान इंद्र हैं जो ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्में लोगों को एक चतुर व साहसी प्रकृति प्रदान करते हैं| ज्येष्ठा नक्षत्र में उत्पन्न लोगों को अपनी पहचान स्थापित करने के प्रति अत्यधिक चिंतित होने से बचना चाहिए। उनकी उदार व दानशील प्रवृति ही सत्ता प्राप्त करने की कुंजी है।

सामान्य विशेषताएँ: प्रतिभाशाली और विश्लेषणात्मक क्षमता, अल्प मित्र, हंसमुख और धार्मिक
अनुवाद: “ज्येष्ठ” या “वरिष्ठतम”
प्रतीक: कुंडल, छाता, या गोल सुरक्षात्मक ताबीज (भगवान विष्णु के चक्र का प्रतिनिधित्व करता है|)
पशु प्रतीक: एक हिरण या खरगोश
अधिपति देव: देवताओं के राजा भगवान इंद्र
शासक ग्रह: बुध
बुध ग्रह के अधिपति देव: विष्णु
प्रकृति: राक्षस (दानव)
ढंग: सक्रिय
संख्या: 18 (चंद्र ग्रह की ऊर्जा से संबंधित है|)
लिंग: स्त्री
दोष: वात
गुण: सात्विक
तत्व: वायु
प्रकृति: तीव्र व भयानक
पक्षी: बतख
सामान्य नाम: बेंत
वानस्पतिक नाम: कैलमेस रोटंग
बीज ध्वनि: नो, या, यी, यु
ग्रह से संबंध: वृश्चिक राशि के स्वामी के रूप में मंगल इस नक्षत्र से संबंधित है जो सुरक्षा व कर्मठता प्रदान करता है साथ ही केतु भी वृश्चिक राशि से जुड़ा है जो परिवर्तन लाता है|
प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में विभाजित किया जाता है जिन्हें पद कहते हैं| ज्येष्ठा नक्षत्र के विभिन्न पदों में जन्म लेने वाले लोगों के अधिक विशिष्ट लक्षण होते हैं:

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पद:

प्रथम पद शासित
ध्वनि: नो
सूचक शब्द: उदारता
द्वितीय पद वृश्चिक राशि का 20°00′- 23°20’ भाग शनि ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: या
सूचक शब्द: उत्तरदायित्व
तृतीय पद वृश्चिक राशि का 23°20′- 26°40’ भाग शनि ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: यी
सूचक शब्द: परोपकारिता
वृश्चिक राशि का 26°40′- 30°00’ भाग गुरु ग्रह द्वारा
शासित
ध्वनि: यु
सूचक शब्द: त्याग

शक्ति: अपने परिवार में सबसे सफल, मैत्री करने वाला, एक अच्छी समर्थनकारी मंडली, उदार, आत्मनिर्भर, आखिरकार अमीर, पारिवारिक जिम्मेदारी उठाने वाला, आवेशपूर्ण, प्रसिद्धि और सम्मान प्राप्त करने वाला, अधिकारात्मक, धार्मिक, संतुष्ट, संगीत में प्रतिभाशाली, आविष्कारशील, रचनात्मक रूप से प्रतिभाशाली, गुप्त विद्याओं में रुचि, जो मन से करने की ठान लेता है उसे पूरा कर सकता है|

कमजोरियाँ: शीघ्र क्रोधी, पारिवारिक समस्याओं से प्रभावित, प्रचंड प्रवृति, आत्म-महत्वपूर्ण, अहंकारी, अपनी भावनाओं व इरादों को छुपाने वाला, शांतिपूर्ण व्यवहार, अधीर और अनैतिक, अधिकारात्मक, स्वभाव, बीमारी व मुसीबतों का नाटक करके सहानुभूति हासिल करने वाला, अनेक रोगों से ग्रसित,अनेक नौकरियां बदलने वाला, शुरुआती जीवन में परेशानियां उठाने वाला, संतप्त, पाखंडी और गुप्त व्यवहार

कार्यक्षेत्र: संगीतकार, सैन्य नेता, राजनेता, नौकरशाह, पुलिस गुप्तचर, अभियंता, प्रबंधक, दार्शनिक, बुद्धिजीवी, स्व-नियोजित, सरकारी अधिकारी, प्रशासनिक पद, संवाददाता, रेडियो व दूरदर्शन समीक्षक, अभिनेता, वक्ता, आग बुझानेवाला, व्यापार संघवादी, जादूगर, माफिया, वनपाल, शारीरिक श्रम करने वाला, खिलाड़ी, हवाई यातायात नियंत्रण करने वाला, राडार, शल्य-चिकित्सक

ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्में प्रसिद्ध लोग: अल्बर्ट आइंस्टीन, मोजार्ट, बीथोवेन, विन्सेन्ट वान गाग, थॉमस जेफरसन, टाइगर वुड्स

अनुकूल गतिविधियां: जिम्मेदारी भरे कार्य, संरक्षण, आलेखन, जासूसी, जांच करना, कठोर गतिविधियाँ, अधिकार व्यक्त करना, प्रशासन संबधी कार्य, बड़ों से मिलना, रहस्यमय गतिविधियाँ, गंभीर मुद्दों पर चर्चा, योजना बनाना, अनुशासन
प्रतिकूल गतिविधियां: विवाह, विश्वासघात, स्वार्थ, दूसरों से लाभ उठाना, चिकित्सा, यात्रा, बहुत अधिक आराम करना, अति आसक्ति, क्रियाकलाप जिनमें कूटनीति या संवेदनशीलता की आवश्यकता होती है|

पवित्र मंदिर: पशुपति कोइल श्री वरदराज पेरुमल मंदिर

वरदराज पेरूमल कोइल भारत में तमिलनाडु के तंजौर के निकट पशुपति नामक गाँव में स्थित है| इसे सामान्यतः ज्येष्ठा मंदिर के नाम से ही जाना जाता है क्योंकि इस मंदिर की ऊर्जा ज्येष्ठा नक्षत्र से संबंधित है| भगवान विष्णु के अवतार श्री वरदराज पेरुमल का इस पवित्र मंदिर में निवास है| वरद का अर्थ वरदान है तथा राज का मतलब राजा है। इस प्रकार श्री वरदराज पेरूमल शाही प्रवृति के हैं जो इस मंदिर से संपूर्ण संसार को आशीर्वाद देते हैं|

जैसे भगवान विष्णु स्वर्ग में तारों के बीच प्रकट होते हैं वैसे ही वे उन लोगों के बीच भी प्रकट होते हैं जो पशुपति कोइल की यात्रा करते हैं। सत्ताईस नक्षत्रों से संबंधित देवियाँ प्रत्येक दिन इस मंदिर के दर्शन करने आती हैं तथा श्री वरदराज पेरुमल के निमित विवाह समारोह का आयोजन करती हैं। इसके अतिरिक्त इस पवित्र मंदिर में श्री पेरिया नम्बी स्वामीगल ने भगवान विष्णु का पूर्ण चिंतन व भक्ति के साथ ध्यान किया था| ज्येष्ठा नक्षत्र दिवस पर भगवान विष्णु श्री वरदराज पेरुमल के रूप में उनके सामने उपस्थित हुए तथा दिव्य कृपा प्रदान की। पशुपति कोइल में श्री पेरिया नम्बीगल जी की समाधि मुख्य मंदिर के निकट स्थित है। ज्येष्ठा नक्षत्र दिवस पर श्री पेरिया नम्बीगल जी की समाधि पर तीन प्रकार के तेल से युक्त एक दीपक प्रज्जवलित करके दर्शन करना शुभ माना जाता है|

ज्येष्ठा नक्षत्र में पैदा लोगों को अपने परिवार के साथ पशुपति कोइल की यात्रा करनी चाहिए| मंगलवार व ज्येष्ठा नक्षत्र के एक साथ आने पर इस मंदिर के दर्शन करना अनुकूल होता है| इस दिन सिद्ध पुरुष व अन्य दैवीय शक्तियां यहाँ दर्शन देती हैं| उनके आशीर्वाद में पूर्वजन्म के अशुभ कर्मों का शमन करने की क्षमता है जिससे जीवन में शुभफल प्राप्त होने लगते हैं तथा व्यक्ति के परिवार की सुरक्षा होती है| अन्य नक्षत्रों में जन्मे लोग भी इस मंदिर की यात्रा करने से लाभान्वित होंगे। वे यहाँ जाकर भगवान श्री वरदराज पेरूमल की पूजा-अर्चना व जलाभिषेक कर सकते हैं तथा सिद्धों के दर्शन भी कर सकते हैं जो प्रकाश के रूप में प्रकट होते हैं।

ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्में लोगों के लिए वेदों द्वारा निर्धारित धूप रतन नामक जड़ी-बूटी से निर्मित है|

इस धूप को जलाना उस विशिष्ट नक्षत्र हेतु एक लघु यज्ञ अनुष्ठान करने के समान है| एक विशिष्ट जन्मनक्षत्र के निमित किए गए इस लघु अनुष्ठान द्वारा आप अपने ग्रहों की आन्तरिक उर्जा से जुड़कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में सक्षम होंगे|

एक विशिष्ट नक्षत्र दिवस पर अन्य नक्षत्र धूपों को जलाने से आप उस दिन के नक्षत्र की ऊर्जा से जुड़कर अनुकूल परिणाम प्राप्त करते हैं| आपको यह सलाह दी जाती है कि आप कम से कम अपने व्यक्तिगत नक्षत्र से जुड़ी धूप को प्रतिदिन जलाएं ताकि आपको उस नक्षत्र से जुड़ी सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती रहे|

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