हमारी कुंडली में ग्रहों और राशियों का प्रभाव हमारे शारीरिक और मानसिक विकास पर भी पड़ता है। जैसे राशियों का संबंध शरीर के अंगों से होता है, वैसे ही उनके स्वामी ग्रहों का संबंध हमारे शरीर में होने वाली बीमारियों से भी होता है। जब भी कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है, तो इसका संबंध उसकी राशि के स्वामी ग्रह से होता है। आइए जानते हैं कि लाल किताब इस विषय में क्या कहती है।

सूर्य – जिनकी राशि में सूर्य ग्रह कमजोर होता है, उनका दिल निर्बल होता है। यदि सूर्य को चंद्र की सहायता ना मिले, तो व्यक्ति पागलपन या लकवे का शिकार हो सकता है। साथ ही, इन्हें नशीले पदार्थों की लत भी लग सकती है।
चंद्र – हृदय या नेत्र संबंधी बीमारी होने पर, यह संकेत होता है कि उनकी राशि में चंद्रमा ग्रह कमजोर है। चंद्रमा शीतल और नम होता है, और इस प्रकार की बीमारियों के लिए चंद्रमा को मजबूत करने के उपाय अपनाने चाहिए।
मंगल – यदि कुंडली में मंगल शुभ स्थान पर है और सूर्य व बुध की स्थिति भी शुभ है, फिर भी शारीरिक कष्ट हो सकता है जैसे पेट में दर्द, पित्त की समस्या और दिल संबंधित समस्या।
मंगल – कुंडली में मंगल खराब होने पर और सूर्य व शनि एक साथ होने पर व्यक्ति को फोड़े आदि की समस्या हो सकती है।
बुध – दिमाग संबंधी बीमारी या चेचक होने पर यह समझना चाहिए कि बुध ग्रह कमजोर है, जिससे ये समस्याएं हो रही हैं।
बृहस्पति – बृहस्पति ग्रह के कमजोर होने पर सांस और फेफड़े संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
शुक्र – शुक्र ग्रह के कमजोर होने पर त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे खुजली और कुष्ठ रोग हो सकते हैं। इसके अलावा, दांतों में भी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
शनि – नेत्र रोग, दम और खांसी की बीमारी होने पर समझना चाहिए कि शनि कुपित है और शनि ग्रह कमजोर है।
राहु – लाल किताब के अनुसार, राहु ग्रह का प्रभाव बहुत प्रभावहीन होता है। व्यक्ति को अचानक से दुर्घटना, बुखार और चोट लग सकती है।
केतु – जिनकी राशि में केतु ग्रह कमजोर होता है, उन्हें जोड़ों का दर्द और गुप्त रोग हो सकते हैं।
इस प्रकार, इन ग्रहों का संबंध उपरोक्त बीमारियों से होता है। यदि आप इस विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो हमारे ज्योतिषाचार्यों से संपर्क करें।