गुरु पूर्णिमा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, यह एक जीवन दर्शन है कृ जहाँ हम यह स्वीकार करते हैं कि जीवन में जो भी हमने सीखा, समझा और आगे बढ़ा, उसके पीछे किसी न किसी गुरु का मार्गदर्शन रहा है। 2025 की गुरु पूर्णिमा, जो 10 जुलाई गुरुवार को आएगी, हमें याद दिलाती है कि हर सफलता के पीछे कोई “गाइडिंग फोर्स” होता है कृ वो माता-पिता हो सकते हैं, अध्यापक, आध्यात्मिक गुरु, या आज के युग में कोई मोटिवेशनल कोच या मेंटर भी।
गुरु पूर्णिमा 2025 की तिथि और मुहूर्त
तिथि – 10 जुलाई 2025 (गुरुवार)
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 10 जुलाई को 01ः36
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 11 जुलाई को 02ः06
अभिजीत मुहूर्त – 11ः59 ।ड दृ 12ः54 च्ड
गुरु की आधुनिक भूमिका – सिर्फ आश्रम नहीं, अब जीवन के हर क्षेत्र में
आज के दौर में गुरु का दायरा सिर्फ धर्म और अध्यात्म तक सीमित नहीं है।
गुरु अब एक विचार हैं – कोई भी व्यक्ति जो हमें नई दिशा दे, सही निर्णय सिखाए, और हमारे भीतर छिपी क्षमता को पहचानने में मदद करे, वो गुरु है।
जैसे –
शिक्षक – जो ज्ञान से जीवन बदलते हैं
माता-पिता – जो नैतिकता का पहला पाठ पढ़ाते हैं
कोच/मेंटोर – जो करियर व जीवन कौशल सिखाते हैं
मित्र या साथी – जो कठिन समय में मार्गदर्शन करते हैं
किताबें और अनुभव – जो चुपचाप हमें गहराई से बदलते हैं

गुरु पूर्णिमा पर क्या करें?
पारंपरिक पूजा
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें
गुरु या वेदव्यास जी की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं
पुष्प, फल, मिठाई व तिलक अर्पित करें
“गुरु मंत्र” या “गुरु गायत्री मंत्र” का जप करें
“गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः…”
आधुनिक श्रद्धा
अपने गुरु, शिक्षक या जीवन के मार्गदर्शक को धन्यवाद कहें
उन्हें फोन या संदेश भेजें
किसी प्रेरणादायक किताब को पढ़कर आत्मज्ञान बढ़ाएं
सोशल मीडिया पर अपने गुरु के लिए एक पोस्ट शेयर करें
खुद किसी को गाइड करें कृ किसी छोटे भाईध्बहन या दोस्त को प्रेरणा दें
गुरु के बिना क्या अधूरा रह जाता है?
गुरु के बिना –
ज्ञान अधूरा होता है
दृष्टि सीमित रहती है
संघर्ष दिशाहीन होता है
सफलता अस्थायी बन जाती है
गुरु हमें सिर्फ ज्ञान नहीं देते, वे संकट में संबल, अंधकार में रोशनी, और भ्रम में स्पष्टता देते हैं।
गुरु को जानना, खुद को जानना है
गुरु पूर्णिमा 2025 एक अवसर है कृ सिर्फ पूजा या परंपरा निभाने का नहीं, बल्कि उन सभी व्यक्तियों को धन्यवाद देने का, जिन्होंने हमारे जीवन को आकार दिया।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि ज्ञान कभी भी अकेले नहीं आता कृ उसके पीछे कोई न कोई मार्गदर्शक जरूर होता है।
इस बार की गुरु पूर्णिमा पर एक संकल्प लें कृ खुद भी किसी के जीवन में प्रकाश बनें।