गणेश चतुर्थी भारत का एक प्रमुख और अत्यंत हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला पर्व है, जो भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव के रूप में दस दिनों तक मनाया जाता है। इन दस दिनों में भक्तगण पूरे श्रद्धा और प्रेम से भगवान गणेश को अपने घरों, मंदिरों और पंडालों में स्थापित करते हैं, उनकी पूजा-अर्चना करते हैं, भोग लगाते हैं, आरती करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि वे उनके जीवन से समस्त विघ्नों का नाश करें और सुख, शांति तथा समृद्धि प्रदान करें।
इन दस दिनों की पूजा के बाद आता है वह भावुक क्षण, जब भक्तगण अपने प्रिय विघ्नहर्ता बप्पा को विदा करते हैं। इस विदाई को ही गणेश विसर्जन कहा जाता है, वहीं इस दिन को अनंत चैदस के नाम से जाना जाता है। यह केवल एक मूर्ति को जल में प्रवाहित करने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि आस्था, समर्पण और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक होता है। पूरे देश में शोभायात्राओं, भजनों, नृत्य और गणपति बप्पा मोरया के जयघोषों के साथ गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। यह दिन दर्शाता है कि भगवान हमारे जीवन में बार-बार आएं और हर बार हमें नई ऊर्जा, विश्वास और शुभता से भर दें।
वर्ष 2025 में गणेश विसर्जन सोमवार, 8 सितम्बर 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है और अनंत चतुर्दशी के रूप में भी प्रसिद्ध है।
गणेश विसर्जन का महत्व
गणपति विसर्जन आत्मशुद्धि और आत्मसमर्पण का प्रतीक है। यह हमें यह सिखाता है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं हैकृयह संसार परिवर्तनशील है। भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति का जल में विलीन होना पंचतत्वों में विलय की भावना को दर्शाता है।
यह दिन यह भी दर्शाता है कि भगवान गणेश, जिन्होंने दस दिनों तक हमारे घर में रहकर हमें सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद दिया, अब अपने लोक को लौट रहे हैं। भक्त इस दिन भावुक होकर उन्हें विदा करते हैं।
गणेश विसर्जन की परंपरा
पूजा और आरती – विसर्जन से पहले विशेष पूजा की जाती है। भगवान गणेश को विशेष भोग चढ़ाया जाता है, मोदक और नारियल अर्पित किए जाते हैं।
विदाई मंत्र और आरती – भक्त गणेश जी की आरती करते हैं और विदाई मंत्र बोलते हैं।
शोभायात्रा – मूर्ति को विसर्जन स्थल तक ले जाने के लिए भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें ढोल-ताशे, नृत्य और भजन-कीर्तन होते हैं।
विसर्जन – जलाशय, नदी, तालाब या समुद्र में मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। आज के समय में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली विसर्जन को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
गणेश विसर्जन 2025 का शुभ मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन का सबसे शुभ समय प्रदोष काल माना गया है, जो सूर्यास्त के बाद आता है।
हालाँकि 2025 का सटीक मुहूर्त पंचांग के अनुसार निकाला जाएगा, परंतु सामान्यतः दोपहर 12ः30 बजे से शाम 6ः00 बजे के बीच का समय अत्यंत शुभ माना जा सकता है।
गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह संस्कार, समर्पण और संकल्प का भी प्रतीक है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि भगवान गणेश हमारे जीवन से भौतिक रूप में भले ही विदा हो जाएं, लेकिन उनकी कृपा और आशीर्वाद हमारे साथ सदा रहती है।