गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। साल 2025 में गणेश चतुर्थी का पर्व शनिवार, 30 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है और इसे हिन्दू पंचांग में अत्यंत शुभ माना गया है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता यानी बाधाओं को दूर करने वाला देवता माना जाता है। वे प्रथम पूज्य हैं, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनसे की जाती है। गणेश चतुर्थी का पर्व विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।
मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती ने मिट्टी से गणेश जी की मूर्ति बनाई थी और उसमें प्राण प्रतिष्ठा की थी। बाद में भगवान शिव ने उन्हें अपने पुत्र के रूप में स्वीकार किया। यह दिन गणेश जी की अपार कृपा पाने और जीवन की बाधाओं से मुक्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
भगवान गणेश की आराधना करने से बुद्धि, विवेक और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
इस दिन व्रत रखने से कार्य में सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
वाणी दोष, पढ़ाई में अड़चन, करियर में रुकावट जैसी परेशानियों का समाधान होता है।
गृहस्थ जीवन में शांति और संतुलन आता है।
भगवान गणेश की कृपा से विघ्न और शत्रुओं का नाश होता है।
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
स्नान और शुद्धता – सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
स्थापना – घर में उत्तर-पूर्व दिशा में स्वच्छ स्थान पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। मिट्टी, धातु या पारंपरिक मूर्ति का चयन करें।
संकल्प लें – पूजा आरंभ करने से पहले व्रत और पूजा का संकल्प लें।
गणपति आवाहन – मंत्रों द्वारा भगवान गणेश का आवाहन करें।
ओम गं गणपतये नमः का जाप करें।
पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें – इसमें भगवान गणेश को
दूर्वा (हरी घास), लड्डू, सिंदूर, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
उन्हें 21 मोदक चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
आरती करें – गणेश आरती, “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा…” पूरे श्रद्धा भाव से गाएं।
प्रसाद वितरण – पूजा के बाद प्रसाद सभी को वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
व्रत कथा पढ़ें – इस दिन गणेश जन्म की कथा या गणेश चतुर्थी व्रत कथा अवश्य पढ़ें।
गणपति विसर्जन
यदि घर में गणेश जी की मूर्ति विराजित की जाती है, तो एक, तीन, पांच, सात या ग्यारह दिनों के बाद उनका विधिपूर्वक विसर्जन किया जाता है। विसर्जन से पहले आरती और विदाई मंत्र बोले जाते हैं।
गणेश चतुर्थी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति, श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। यह हमें आस्था के साथ जीवन में नई शुरुआत करने की प्रेरणा देता है। भगवान गणेश की कृपा से मनुष्य के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता आती है।