भारत में ज्यादातर युवा उच्च अध्ययन या नौकरी के लिए विदेश जाने का सपना देखते हैंए खासकर पश्चिमी देशों में। एक कारण यह है कि पश्चिमी देशों में जीवन स्तर ऊँचा है। दूसरा कारण यह है कि यात्रा हमें विभिन्न संस्कृतियों के संपर्क में लाकर मन को व्यापक बनाती है। यह हमें अधिक आत्मविश्वासीए ज्ञानी और सांसारिक ज्ञानी बनाता है। विदेशों में भी बहुत सारे अच्छे अवसर मिलते हैंए और वेतन भारत की तुलना में अधिक है। वास्तव में यह कहना सत्य से बहुत दूर नहीं होगा कि युवा पीढ़ी के बीच विदेश में करियर बनाने का एक बड़ा क्रेज है क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उनके सपनों का जीवन जीनेए शानदार जीवन शैली और सुविधाओं का आनंद लेने का सबसे अच्छा मार्ग है। इसी तरह अमेरिकाए ब्रिटेन और यूरोप जैसे अमीर और विकसित देशों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाएं भी इसमें एक विषेष भूमिका निभाती है।
कई युवा और उनके माता.पिता अक्सर यह पता लगाने के लिए ऑनलाइन ज्योतिषियों से परामर्श करते हैं कि क्या अध्ययन या काम करने के लिए विदेश जाने की कोई संभावना है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वैदिक ज्योतिष यह पता लगाने के तरीके प्रदान करता है कि कोई व्यक्ति विदेश में बसेगा या नहीं। व्यक्ति की जन्म कुंडली में विभिन्न ग्रहों और घरों का अध्ययन करके ज्योतिषी यह पता लगाने में सक्षम होते है कि क्या व्यक्ति के भाग्य में प्रवास शामिल है।
दूसरा भाव – दूसरा घर परिवार को दर्शाता है। यह विदेशी भूमि से कमाई करने की क्षमता को इंगित करता है। यदि दो या दो से अधिक ग्रह जैसे शनि, बुध और राहु इस भाव में स्थित हों और साथ ही यदि 12वें भाव का स्वामी भी यहां उपस्थित हो तो जातक विदेश में बसता है।
तीसरा भाव – तीसरे घर में तीन या अधिक ग्रहों की उपस्थिति इंगित करती है कि व्यक्ति विदेश में रहेगा और शायद वहीं बस जाएगा। यदि चंद्रमा और केतु तीसरे भाव में हों तो व्यक्ति अक्सर यात्राएं करेगा। यदि तीसरे भाव का संबंध नवमेश और बारहवें भाव के स्वामी से हो तो विदेश यात्रा के प्रबल योग बनते हैं।
चौथा भाव – यह भाव घर और संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। जैसा कि यह भाव हमारे जन्म स्थान को दर्शाता हैए यदि यह पीड़ित देखा जाता हैए तो यह निश्चित है कि व्यक्ति विदेश में जाएगा। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी छठेए आठवें या 12वें भाव में विराजमान हो और राहु और केतु का इस भाव से संबंध हो तो जातक के विदेश में बसने की संभावना होती है। इसके अलावाए यदि चतुर्थ भाव का स्वामी 12वें भाव में हैए तो यह निश्चित है कि व्यक्ति विदेश में स्थायी रूप से बस जाएगा। यह तभी प्रभावी होता है जब 9वां घर भी मजबूत हो।
आठवां भाव – यह भाव सभी विदेश संबंधी चीजों को दर्शाता है। यदि अष्टम भाव का स्वामी किसी अन्य ग्रह के साथ अपना स्थान बदलता हैए तो व्यक्ति के विदेश यात्रा पर जाने की संभावना होती है।
नवम भाव. यह विदेश यात्राओं के लिए महत्वपूर्ण भावों में से एक है। यदि लग्नेश इस भाव में हो तो जातक अवश्य ही विदेश जाता है।
11वां भाव – यह भाव आपकी आय संपत्ति और समृद्धि को दर्शाता है। यह हमें समाज में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति के बारे में भी बताता है।
12वां भाव – यह घर विदेशी भूमि का प्रतिनिधित्व करता है। विदेश यात्राओं के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण भाव है। यदि लग्नेश इस भाव में हो तो विदेश यात्रा के योग बनते हैं। यदि चंद्रमा और शुक्र 12वें भाव में हों तो यह विदेश यात्रा का संकेत देता है। यदि यह पाया जाता है कि राहु चंद्रमा और शुक्र के साथ हैए तो यह एक बहुत मजबूत संकेत है कि जातक विदेश जाने के इच्छुक होंगे। यदि 9वें भाव का स्वामी 12वें भाव में हो तो यह दर्शाता है कि व्यक्ति विदेश में धनवान बनेगा। इस भाव में 4 या 5 ग्रह हों तो जातक की विदेश यात्रा अवश्य होती है।
राहु/केतु – राहु सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है जो विदेश यात्रा का संकेत दे सकता है। यदि राहु 7, 8, 9 या 12 भाव के स्वामी के साथ युति कर रहा है, तो यह विदेश यात्रा को दर्शाता है।
चंद्रमा – विदेश में बसने के लिए चंद्रमा बहुत महत्वपूर्ण ग्रह हैए क्योंकि यह चतुर्थ भाव का स्वामी है। यदि चंद्रमा जल राशि में हो और राहु के साथ भी होए तो यह विदेश यात्रा को दर्शाता है। इसके अलावा, जब चंद्रमा 8वें, 9वें या 12वें भाव में होता है, तो यह विदेशों में निवास का संकेत देता है।
यदि आप काम या अध्ययन के लिए विदेश जाने की संभावनाओं का पता लगाना चाहते हैं, तो आप हमारे किसी विशेषज्ञ करियर ज्योतिषी से बात कर सकते हैं।