AstroVed Menu
AstroVed
search
HI language
x
cart-added The item has been added to your cart.
x

क्यों मनाया जाता है नवरात्रि का त्यौहार कैसे करें तैयारी

नवरात्रि भारत में मनाए जाने वाले सबसे शुभ और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार देवी दुर्गा के प्रति अपनी श्रद्धा दर्शाने का समय है, जो सद्गुण और ब्रह्मांड की दिव्य शक्ति का अवतार हैं। यह नौ दिवसीय उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है, इससे संबंधित प्रत्येक दिन को भव्य रूप से मनाया जाता है। यह पूरे देश में मनाया जाने वाला त्यौहार है, लेकिन महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल नवरात्रि का त्योहार सबसे भव्य तरीके से मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान लोग अपने घरों में और सार्वजनिक पंडालों में भी माता की प्रतिमा को विराजित किया जाता है। ये पंडाल विशेष रूप से निर्मित संरचनाएं हैं जिन पर देवी की मूर्ति को रखा जाता है और उनकी पूजा की जाती है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान पारंपरिक पोशाक पहने पुरुष और महिलाएं हर रात गरबे और डांडिया जैसे सांस्कृतिक नृत्य करते हैं।
Dream Astrology

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है

देवी दुर्गा की आराधना के लिए इस समय को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार जब दानवराज रम्भसुर के पुत्र महिषासुर ने घोर तपस्या कर सृजनकर्ता ब्रह्मा से सिर्फ महिला के हाथों मृत्यु का वरदान मांगा। महिलाओं को शक्तिहीन और अपने वरदान को अमत्र्व के समान समझ, दुष्ट महिषासुर ने धरती और स्वर्ग लोक में हाहाकर मचा दिया। इंसान और देवता दोनों ही महिषासुर के आतंक और अत्याचारों के तले दबे जा रहे थे, तब देवताओं ने त्रिमुर्ती ब्रह्मा, विष्णु और महेश से महिषासुर के संहार की गुहार लगाई। तब त्रिमुर्ती ने अपनी और सभी देवताओं की शक्ति को संयोजित कर देवी दुर्गा की रचना की। तमाम देवताओं की शक्ति से बनी मां दुर्गा बेहद शक्तिशाली या कहें शक्ति स्वरूप हो गई। तब धर्म और शांति की स्थापना के लिए मां दुर्गा ने अत्याचार और अहंकार स्वरूपी महिषासुर को युद्ध के लिए ललकार नौ दिन चले घमासान युद्ध के बाद मां दुर्गा ने महिषसुर का अंत किया और महिषासुरमर्दिनी कहलाई। नौ दिन चले भयंकर युद्ध और धरती को अत्याचार और आतंक से मुक्ति दिला धर्म और शांति की स्थापना के लिए इन नौ दिन देवी दुर्गा की आराधना कर उनका अभिवादन किया जाता है। पूरे भारतवर्ष सहित पूरी दुनिया के धर्म प्रेमी लोग इन दिनों मां दुर्गा की आराधना कर उनके प्रति अपनी कृत्गयता दर्शाते है।

नवरात्रि पूजा की तैयारी

नवरात्रि पूजा समारोह शुरू होने से पहले घर को अच्छी तरह से साफ किया जाता है। इसके बाद घर के उत्तरी कोने में सजाए गए हिस्से में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है। त्योहार के पहले दिन एक मिट्टी के बर्तन में नवरात्रि झुवारा या नवरात्रि जवारा (अंकुरित गेहूं) लगाने के साथ अनुष्ठान शुरू होता है। एक चैड़े मुंह वाला बर्तन रेत और जुआन या गेहूं की गुठली से भरा होता है जिसे रात भर भिगोया जाता है। फिर इन्हें प्रतिदिन पानी दिया जाता है और समय-समय पर धूप में बाहर रखा जाता है।

नवरात्रि कलश स्थापना

पूजा उत्सव कलश की सजावट के साथ शुरू होता है। जल से भरे कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें। फिर कलश के मुख पर एक नारियल रखा जाता है। फिर कलश की गर्दन को मोली अर्थात नाडे से बांध दिया जाता है। फिर देवी दुर्गा की एक छवि को लकड़ी के एक छोटे से तख्त के ऊपर रखा जाता है और रोटी, चावल, फूल, बेल पत्र (विल्व पत्ते), सिंदूर, अबीर और गुलाल के साथ पूजा की जाती है।
अब एक मिट्टी का घड़ा लें और उसमें गाय का गोबर या जलता हुआ अंगारा डालें। आग की लपटों को दूर करने के लिए कोयले के ऊपर घी डाला जाता है। उन पर माता को लगाये गये भोग का प्रसाद से होम छोड़ा जाता है। पूजा करते समय और दुर्गा आरती का पाठ करते समय दीपक से उनकी पूजा की जाती है।

नवरात्रि के दौरान भोजन

नवरात्रि के त्योहार के दौरान किसी भी प्रकार के मांस का सेवन सख्त वर्जित है, और सिर्फ शाकाहारी भोजन का सेवन किया जाता हैं। इस दिन तैयार किए गए भोजन में लहसुन या प्याज भी शामिल नहीं होता है। जो लोग व्रत रखते हैं वे दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं, हालांकि, इसमें कई आइटम शामिल हो सकते हैं।

कुट्टू की रोटी, साबूदाना खिचड़ी, और कुट्टू की पकोड़े इस दिन खाए जाने वाले पारंपरिक खाद्य पदार्थ हैं। व्रत के दौरान लोग फलों का भी सेवन करते हैं। आठवें दिन चावल की खीर, पूरी, काला चना और सब्जी के एक या दो व्यंजन बनाए जाते हैं। नवरात्रि के दौरान कुंवारी लड़कियों को आमंत्रित कर उन्हें भोजन कराने की भी परंपरा है। सम्मान के तौर पर कुछ पैसे देकर उन्हें घर भेज दिया जाता है।

नवीनतम ब्लॉग्स

  • ज्योतिषीय उपायों में छुपा है आपकी आर्थिक समस्याओं का समाधान
    आज की दुनिया में, आर्थिक स्थिरता एक शांतिपूर्ण और सफल जीवन के प्रमुख पहलुओं में से एक है। फिर भी कई लोग कड़ी मेहनत के बावजूद लगातार आर्थिक परेशानियों, कर्ज या बचत की कमी का सामना करते हैं। अगर यह आपको परिचित लगता है, तो इसका कारण न केवल बाहरी परिस्थितियों में बल्कि आपकी कुंडली […]13...
  • ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की भूमिका और कुंडली में प्रभाव
    भारतीय वैदिक ज्योतिष में ग्रहों का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। व्यक्ति के जन्म के समय आकाश में स्थित ग्रहों की स्थिति उसके जीवन के हर पहलू – जैसे स्वभाव, स्वास्थ्य, शिक्षा, विवाह, करियर, धन, संतान और आध्यात्मिकता पर गहरा प्रभाव डालती है।   जन्मकुंडली में ग्रहों की भूमिका जब कोई व्यक्ति जन्म लेता […]13...
  • पंचमुखी रुद्राक्ष का महत्व, लाभ और पहनने की विधि
    भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में रुद्राक्ष को दिव्य मणि कहा गया है। इसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। रुद्राक्ष की हर मुखी के अलग-अलग गुण और प्रभाव होते हैं। इनमें से पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे आम और अत्यंत शुभ माने जाने वाले रुद्राक्षों में से एक है। यह न केवल आध्यात्मिक साधना में सहायक […]13...