भारतीय संस्कृति में दीपक का महत्व अत्यंत विशेष है। पूजा-पाठ, यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठानों में घी का दीपक जलाना सबसे शुभ माना जाता है। यह केवल वातावरण को प्रकाशमान नहीं करता, बल्कि दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। घी से जला दीपक स्वयं भगवान का प्रतीक है और इसमें बचा हुआ घी साधारण नहीं माना जाता। शास्त्रों और लोक परंपराओं में कहा गया है कि दीपक में बचे हुए घी को मस्तक पर लगाने से जीवन में अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
धर्मग्रंथों में दीपक को अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान और धर्म के प्रकाश का प्रतीक माना गया है। जब यह दीपक घी से जलाया जाता है, तो इसमें सात्विक और पवित्र ऊर्जा संचित होती है। पूजा के उपरांत दीपक में बचा हुआ घी देवताओं की शक्ति और आशीर्वाद से परिपूर्ण माना जाता है। इसलिए इसे मस्तक पर लगाने का अर्थ है, उस दिव्य ऊर्जा को अपने भीतर ग्रहण करना।
1. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
दीपक में बचे घी को मस्तक पर लगाने से बुरी नजर, तांत्रिक बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जा का असर कम होता है। यह व्यक्ति के चारों ओर एक अदृश्य सुरक्षात्मक कवच का निर्माण करता है।
2. भाग्य और सौभाग्य की वृद्धि
माना जाता है कि दीपक का घी मस्तक पर लगाने से भाग्य चमकता है। इससे कार्यों में सफलता, धन की प्राप्ति और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। विशेषकर लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए इसे अत्यंत शुभ माना गया है।
3. मानसिक शांति और स्थिरता
घी का स्वभाव शीतल और पवित्र होता है। मस्तक पर लगाने से तनाव, चिंता और मानसिक अस्थिरता दूर होती है। यह साधक के मन को भक्ति और ध्यान के योग्य बनाता है।
4. देवी-देवताओं का आशीर्वाद
शास्त्रों में कहा गया है कि दीपक का घी देवताओं की कृपा का वाहक है। इसे मस्तक पर लगाने से भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
5. रोगों से रक्षा
आयुर्वेद के अनुसार घी औषधीय गुणों से भरपूर है। दीपक का घी जब प्रसाद रूप में मस्तक पर लगाया जाता है, तो यह सिरदर्द, नींद की समस्या और मानसिक तनाव को कम करता है।
6. आध्यात्मिक उन्नति
मस्तक पर घी लगाने से आज्ञा चक्र सक्रिय होता है, जिसे अंतर्ज्ञान और आत्मज्ञान का केंद्र माना जाता है। यह साधक की आध्यात्मिक यात्रा को तेज करता है और ध्यान में एकाग्रता लाता है।
लक्ष्मी माता का वास
लोकमान्यता है कि जो व्यक्ति पूजा के दीपक का घी श्रद्धा से मस्तक पर लगाता है, उसके घर में लक्ष्मी माता का वास होता है। ऐसा करने से धन-संपत्ति की कमी नहीं होती और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
विष्णु और तुलसी कथा
पद्म पुराण में उल्लेख है कि भगवान विष्णु को दीपक का प्रकाश और तुलसी दोनों अति प्रिय हैं। जिस प्रकार तुलसी अर्पण से विष्णु प्रसन्न होते हैं, उसी प्रकार घी से जलाए दीपक का शेष भाग भी उनका आशीर्वाद माना जाता है। इसे मस्तक पर लगाने से विष्णु जी की कृपा सहज रूप से प्राप्त होती है।
शिवपुराण का संकेत
शिवपुराण में दीपक के महत्व का वर्णन मिलता है। इसमें कहा गया है कि दीपक का घी शिवलिंग पर चढ़ाकर बाद में भक्त मस्तक पर लगाता है तो उसके जीवन से संकट दूर होते हैं और वह दीर्घायु होता है। यह प्रथा आज भी कई मंदिरों में देखी जाती है।
लोक परंपरा
गांवों में मान्यता है कि यदि बच्चा बार-बार बीमार हो या उसे नजर लगती हो, तो मां पूजा के दीपक का घी उसके मस्तक पर लगाती है। इससे बालक सुरक्षित रहता है और स्वस्थ होता है।
घी लगाने की सही विधि
पूजा समाप्त होने के बाद दीपक में बचे घी को एकत्र करें।
इसे अंगूठे की सहायता से मस्तक पर आज्ञा चक्र (दोनों भौंहों के बीच) पर लगाएं।
लगाने से पहले मन ही मन भगवान का नाम लें या ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें।
घी को सदैव श्रद्धा और पवित्र भाव से लगाएं, इसे केवल साधारण पदार्थ न समझें।
सावधानियां
दीपक का घी तभी उपयोग करें जब वह शुद्ध गाय के घी से बना हो।
दूषित, गंदा या जलकर काला हुआ घी न लगाएं।
घी को हमेशा सुबह या शाम के पूजा समय पर ही प्रयोग करें।
दीपक में बचा हुआ घी केवल साधारण पदार्थ नहीं है, बल्कि यह देवत्व और आशीर्वाद से भरा हुआ प्रसाद है। इसे मस्तक पर लगाने से जीवन में शांति, सौभाग्य, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। पौराणिक ग्रंथों और लोक परंपराओं में भी इसका महत्व वर्णित है। इसीलिए आज भी घर-घर में पूजा के उपरांत दीपक का घी मस्तक पर लगाने की परंपरा जीवित है।