जब हम नवरात्रि की बात करते हैं, तो आंखों के सामने रंग-बिरंगे गरबा, देवी के नौ रूपों की पूजा, और मंदिरों की रौनक उभरती है। लेकिन गुप्त नवरात्रि का स्वरूप इन सबसे अलग है कृ यह भीड़ से नहीं, खुद से जुड़ने का समय है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025, जो 26 जून से 4 जुलाई तक चलेगी, एक ऐसा साधनात्मक काल है जहाँ बाहर की नहीं, भीतर की देवी को जाग्रत करने की यात्रा शुरू होती है। यह उन लोगों के लिए होता है जो शांति, ध्यान, और आत्म-शक्ति की खोज में हैं कृ चाहे वो तांत्रिक हों या एक साधारण आत्म-चिंतक।
गुप्त नवरात्रि 2025 – तिथि और सारांश
प्रारंभ तिथि – 26 जून 2025 (प्रतिपदा)
समापन तिथि – 4 जुलाई 2025 (नवमी)
स्थान – ध्यानस्थ मंदिर, एकांत, स्वयं का अंतर
यह पर्व भले ही पंचांग में लिखा हुआ मिलता है, लेकिन इसकी सबसे प्रभावशाली उपस्थिति हमारे चित्त और चेतना में होती है।
गुप्त नवरात्रि – एक आंतरिक साधना की यात्रा
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का मुख्य उद्देश्य सिर्फ देवी की बाहरी आराधना नहीं, बल्कि यह समय है अपने भीतर की देवी को पहचानने का कृ वह चेतना जो हमें भय, भ्रम, क्रोध, लोभ और निराशा से निकालकर शक्ति, करुणा, स्पष्टता और आत्मबल की ओर ले जाती है।
यह पर्व सिखाता है –
मौन की भाषा समझना
ध्यान की गहराइयों में उतरना
मंत्र की ध्वनि से आत्मा को छूना
रात्रि के अंधकार में आंतरिक प्रकाश खोजना
ध्यान और आत्म-संवेदना की विधि
यदि आप तंत्र नहीं जानते, तो भी गुप्त नवरात्रि में आप निम्न साधनाएँ कर सकते हैं।
प्रतिदिन मौन का एक घंटा रखें, बाहरी शोर को बंद करें, और भीतर उतरें।
सफेद दीपक जलाएं, माँ के किसी रूप का स्मरण करें (काली, तारा, त्रिपुरा)।
मन ही मन यह मंत्र दोहराएं –
ओम ह्रीं श्रीं ऐं चामुण्डायै विच्चे।”
रात के समय केवल शांत संगीत या चंद्र-दर्शन करें।
एक डायरी रखें और रोज अपने मन के अनुभवों को लिखें।
गुप्त नवरात्रि का उद्देश्य – डर नहीं, जागरूकता
इस नवरात्रि को अक्सर तंत्र, वशीकरण, सिद्धियाँ, और रहस्यमय शक्तियों से जोड़ा जाता है, परंतु इसका एक रूप आध्यात्मिक मनोविज्ञान भी है। जब हम लगातार नव दिन अपनी ही आत्मा के साथ मौन में रहते हैं, तो कई अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर हमें मिलने लगते हैं।
यह पर्व सिखाता है –
कि देवी बाहर नहीं, भीतर है
शक्ति किसी अनुष्ठान में नहीं, संयम और साधना में है
मंत्र का प्रभाव तब आता है जब मन शुद्ध और एकाग्र हो
गुप्त नवरात्रि 2025 क्यों खास है?
यह काल राहु-केतु के विशेष संयोग के बीच आएगा, जिससे ध्यान और मानसिक ऊर्जा बहुत प्रभावशाली रहेगी
2025 में यह नवरात्रि पूर्ण गुरुवार से आरंभ होकर शुक्रवार को समाप्त हो रही है, जो इसे गुरु ऊर्जा से युक्त बनाता है
ग्रहों की स्थिति साधना, निर्णय, और मानसिक संतुलन के लिए अनुकूल रहेगी
यह नवरात्रि एक अंतर्यात्रा है
गुप्त नवरात्रि बाहरी उत्सव नहीं, भीतर की देवी का जागरण है।
यह पर्व उन लोगों के लिए है जो जीवन को सिर्फ भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी समझना चाहते हैं।
यदि आप इन नौ दिनों में कुछ समय खुद को देंगे, तो देवी केवल आपकी पूजा में नहीं, बल्कि आपके भीतर स्थायी रूप से वास करेंगी।