अनुराधा (वृश्चिक राशि में 3°20′ से 16°40′ तक)
अनुराधा नक्षत्र में बीटा, डेल्टा व पाई स्कॉर्पिओनिस नामक तारे शामिल हैं। ये तीन तारे रात्रि को आकाश में दिखाई देते हैं क्योंकि ये एंटारेस नामक उज्ज्वल लाल तारे के ठीक ऊपर एक सीधी रेखा में नज़र आते हैं| अनुराधा नक्षत्र के अधिपति देव मित्र हैं जो इस नक्षत्र में जन्में लोगों को मित्रता विकसित करने और उसे बनाए रखने की क्षमता प्रदान करते हैं| अनुराधा नक्षत्र सफलता से संबंधित है तथा यह विशेष रूप से सहयोग द्वारा प्रसिद्धि व मान्यता प्रदान करता है| यह नक्षत्र उल्लेखनीय समझ पैदा करने के लिए अंतर्ज्ञान व तर्क दोनों का प्रयोग करता है। विदेश यात्रा व सफलता भी इस नक्षत्र द्वारा समर्थित है| अनुराधा नक्षत्र में पैदा लोग मानवता को सहयोग व बढ़ावा देते हैं तथा बड़े समूहों की अगुवाई करने या उन्हें व्यवस्थित करने में सक्षम होते हैं। हालांकि उन्हें निराशा या उदासी के प्रति सतर्क रहना चाहिए। अनुराधा नक्षत्र में संकट के समय कमल पुष्प के समान फलने-फूलने व दृढ बने रहने की क्षमता होती है।
सामान्य विशेषताएँ: प्रसन्नचित, यात्राएं करने वाला, समृद्ध, विदेशों में रहने वाला, भूख सहन करने में असमर्थ, एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाला
अनुवाद: “एक और राधा” या “अनुवर्ती सफलता”
प्रतीक: कमल पुष्प; एक कर्मचारी-वर्ग; एक 	कुंड; या एक तोरण
पशु प्रतीक: एक हिरणी या खरगोश
अधिपति देव: मित्र, मित्रता के स्वामी
शासक ग्रह: शनि
शनि ग्रह के अधिपति देव: हनुमान
प्रकृति: देव (देव तुल्य)
ढंग: दब्बू
संख्या: 17 (यह संख्या अंक ज्योतिष से संबंधित है|)
लिंग: पुरुष
दोष: पित्त
गुण: तामसिक
तत्व: अग्नि
प्रकृति: मृदु
पक्षी: बुलबुल
सामान्य नाम: मौलसिरी
वानस्पतिक नाम: मिमुसोप्स एलंगी
बीज ध्वनि: ना, नी, नु, ने
ग्रह से संबंध: वृश्चिक राशि के स्वामी के रूप में मंगल इस नक्षत्र से संबंधित है जोकि पहल करने की क्षमता प्रदान करता है| साथ ही केतु भी वृश्चिक राशि से जुड़ा है और अदृश्य रहस्यों के प्रति रुचि देता है| 
प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में विभाजित किया जाता है जिन्हें पद कहते हैं| अनुराधा नक्षत्र के विभिन्न पदों में जन्म लेने वाले लोगों के अधिक विशिष्ट लक्षण होते हैं:

पद:
| प्रथम पद | वृश्चिक राशि का 3° 20‘- 6°40’ भाग सूर्य ग्रह द्वारा शासित ध्वनि: ना सूचक शब्द: आत्म अभिव्यक्ति | द्वितीय पद | वृश्चिक राशि का 6°40’-10°00’ भाग बुध ग्रह द्वारा शासित ध्वनि: नी सूचक शब्द: अनुसंधान | तृतीय पद | वृश्चिक राशि का 10°00′- 13°20’ भाग शुक्र ग्रह द्वारा शासित ध्वनि: नु सूचक शब्द: सामाजिक | चतुर्थ पद | वृश्चिक राशि का 13°20’-16°40′ भाग मंगल ग्रह द्वारा शासित ध्वनि: ने सूचक शब्द: गुप्त | 
शक्ति: बुद्धिमान, साहसी, मज़ेदार, आकर्षक, जोरदार, सुपरिचित, आध्यात्मिक अन्वेषक, प्राचीन ज्ञान में दिलचस्पी, कठोर परिश्रमी, भविष्यवाणी करने में सक्षम, समर्पित, बहादुर, यात्रा का आनंद लेने वाला, स्वस्थ, सामाजिक जीवन और संगठनों का आनंद लेने वाला, अपने जन्मस्थान से दूर रहकर अधिक लाभ पाने वाला, मित्रता को आकर्षित करने और बनाए रखने की क्षमता, दूसरों को सहयोग देने वाला, मैत्री व अगुवाई करने की क्षमता|
कमजोरियाँ: अवांछित चीजों के लिए दोषी महसूस करता है, संरक्षित, छांटना, धोखेबाज, दूसरों द्वारा शासित, भूख या प्यास न सहन कर पाने वाला, भावनात्मक रूप से असहाय, बुरी सलाह का पालन करके परिणाम भुगतने वाला, ईर्ष्यालु और दूसरों के नियंत्रण में रहने वाला, मातृ-पोषण की कमी के कारण असंतुष्ट, असंतोष के कारण अक्सर स्थान परिवर्तन करने वाला, आध्यात्मिक उन्नति के लिए कठोर प्रयास करता है|
कार्यक्षेत्र: अभिनेता, संगीतकार, व्यवसाय प्रबंधन, यात्रा उद्योग, दंत चिकित्सक, आपराधिक वकील, खनन अभियंता, वैज्ञानिक, सांख्यिकीविद्, गणितज्ञ, अलौकिक मध्यस्थ, ज्योतिषी, जासूस, फोटोग्राफर, चलचित्र, उद्योगपति, सलाहकार, मनोवैज्ञानिक, खोजकर्ता, राजनयिक, विदेशी देशों से जुड़े व्यवसाय, सामूहिक गतिविधियों से संबंधित संगठन / संस्था का कार्यकारी
अनुराधा नक्षत्र में जन्में प्रसिद्ध लोग: केविन कॉस्टनर, स्टीव एलन, एलेक्स हेली, जेरार्ड डिपार्डियू
अनुकूल गतिविधियां: मित्रों से मिलना या सामाजिक होना, सामूहिक गतिविधियाँ, वैज्ञानिक अनुसंधान, विदेश यात्रा, आप्रवास, चिकित्सा, ध्यान, वित्तीय कार्य, अन्वेषण, प्रच्छन्न गतिविधियाँ
प्रतिकूल गतिविधियां: घटनाओं की शुरुआत या उद्घाटन, विवाह, विरोध, दैनिक या सामान्य कार्य
पवित्र मंदिर: थिरुनीन्द्रियूर श्री लक्ष्मीपुरीश्वर मंदिर
अनुराधा नक्षत्र से संबंधित यह पवित्र मंदिर भारत में तमिलनाडु के तंजौर जिले के निकट मयिलादूधुराई में स्थित है। इस मंदिर को स्थानीय रूप से थिरुनीन्द्रियूर के नाम से जाना जाता है। देवी लक्ष्मी ने इस पवित्र मंदिर में शिवलिंग की पूजा की थी। उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की तथा भगवान विष्णु के अवतार श्रीमान नारायण मूर्ति जी के हृदयस्थल में निवास करने का आशीर्वाद माँगा था। देवी की भक्ति के कारण इस मंदिर में भगवान शिव को श्री लक्ष्मीपुरीश्वर के नाम से जाना जाता है|
अनुराधा नक्षत्र में उत्पन्न लोगों को अनुराधा नक्षत्र दिवस, जन्मदिवस या विवाह दिवस पर इस मंदिर के दर्शन करने चाहिए| इस पवित्र स्थल पर कमल पुष्प के साथ-साथ चंदन के लेप व अनार के बीज द्वारा श्री लक्ष्मीपुरीश्वर जी की पूजा-अर्चना करने की सलाह दी जाती है| मंदिर के समीप ग़रीब लोगों को मीठे चावल भी बाँटे जा सकते हैं| इसके अतिरिक्त कोई भी इस मंदिर के पवित्र कुंड में स्नान कर सकता है तथा पांच दिवसीय लक्ष्मी पंचमी व्रत पूजा कर सकता है। यह आर्थिक समस्याओं के लिए एक शक्तिशाली उपाय है|
अन्य नक्षत्रों में जन्मे लोग भी इस पवित्र स्थल पर श्री लक्ष्मीपुरीश्वर जी की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। अनुराधा नक्षत्र दिवस पर भगवान शिव को रंग-बिरंगे वस्त्रों से सजाया जाता है जो देवी लक्ष्मी के लिए भी अनुकूल हैं। भक्तगण यहाँ तीन बत्तियों वाला घृत दीपक अर्पित करके श्री लक्ष्मीपुरीश्वर मंदिर की परिक्रमा कर सकते हैं| लोग अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार स्वर्ण या चाँदी से निर्मित पदक यहाँ अर्पित कर सकते हैं अथवा ग़रीब विवाहित स्त्री को हल्दी लगा धागा भी दे सकते हैं। इस उपाय को करने से नकारात्मक वित्तीय कर्म नष्ट होंगे|
अनुराधा नक्षत्र में जन्में लोगों के लिए वेदों द्वारा निर्धारित धूप मौलसिरी नामक जड़ी-बूटी से निर्मित है|
इस धूप को जलाना उस विशिष्ट नक्षत्र हेतु एक लघु यज्ञ अनुष्ठान करने के समान है| एक विशिष्ट जन्मनक्षत्र के निमित किए गए इस लघु अनुष्ठान द्वारा आप अपने ग्रहों की आन्तरिक उर्जा से जुड़कर सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने में सक्षम होंगे|
एक विशिष्ट नक्षत्र दिवस पर अन्य नक्षत्र धूपों को जलाने से आप उस दिन के नक्षत्र की ऊर्जा से जुड़कर अनुकूल परिणाम प्राप्त करते हैं| आपको यह सलाह दी जाती है कि आप कम से कम अपने व्यक्तिगत नक्षत्र से जुड़ी धूप को प्रतिदिन जलाएं ताकि आपको उस नक्षत्र से जुड़ी सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती रहे|
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