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शनि महा युगल प्रदोष
विशेष शनिवार चंद्र मास का 13वां चंद्र समारोह

बुरे कर्मों को दूर करने की वैदिक तकनीक

अप्रैल 6, 2024

“प्रदोष एक ऐसा दिन है जब शिव स्वयं लोगों को बुरे कर्मों से मुक्त करते हैं। यह वह दिन है जब उन्होंने अपने कर्म को खुद से ऊपर रखा और समुद्र मंथन से निकला जहर ग्रहण किया। इस घटनाक्रम में जहर को कर्म का प्रतीक माना गया है, और प्रदोष को इन कर्मों को नष्ट करने वाला इसलिए इस दिन विशेष आराधना रोग मुक्त और समस्या मुक्त जीवन का प्रतीक है। इस विशेष दिन को महा प्रदोष या महान प्रदोष कहा जाता है, ऐसा तब होता है जब प्रदोष का यह दिन शनिवार के दिन होता है और शनिवार को शिव के लिए बहुत शुभ माना जाता है।”

– डॉ पिल्लई

विशेष शनिवार प्रदोष

भारत के प्राचीन वैदिक ऋषियों की सबसे बड़ी खोजों में से एक यह है कि 13 वें चंद्रमा के दौरान, आप प्रदोष का पालन कर शिव से प्रार्थना करके बुरे कर्म को नष्ट कर सकते हैं।

शनिवार को पड़ने वाली प्रदोष को शनि प्रदोष कहा जाता है और यह विशेष है, क्योंकि मूल प्रदोष शनिवार को हुआ था। तो, आगामी 29 जनवरी को आने वाला शनि प्रदोष अधिक शक्तिशाली प्रदोष होंगा।

₹ 1150.00

भगवान शिव का सामूहिक हवन 29 जनवरी को

भगवान शिव का सामूहिक हवन 29 जनवरी को

  • अरकारा शक्तिस्थल पर शिव और नंदी (शिव का पवित्र बैल) का अभिषेक और पूजा-अर्चना
  • थिरुनारायुर शक्तिस्थल पर शनि की अर्चना (पूजा)
  • आदर्श नरसिम्हा की एस्ट्रोवेद अग्नि प्रयोगशाला और उपचार केंद्र में पूजा
  • एस्ट्रोवेद अग्नि प्रयोगशाला और उपाय केंद्र में रुद्र त्रिशती, रुद्र के 300 नाम का जप करके भगवान शिव की बिल्व पत्र अर्चना।
  • शिव शक्तिस्थल पर शिव की अर्चना
  • शक्तिस्थल पर बुध की अर्चना

शनि प्रदोष के लिए आवश्यक अनुष्ठानों में भाग लें। शनि प्रदोष अनुष्ठान आपके बुरे कर्मों को दूर करने और जीवन में आकर्षक अवसर लाने में सहायक हो सकता है।

एस्ट्रोवेद अग्नि प्रयोगशाला(हवन) और उपाय केंद्र पर कर्म विस्तार के लिए भगवान शिव और नंदी का मंत्रोपचार के साथ विशेष जल अभिषेक लघुन्यास रूद्र प्रसन्नम और चमक प्रसन्नम के साथ किया जाता है। लघुन्यास महान्यसम का संक्षिप्त रूप है, जिसका अर्थ है महान शुद्धिकरण। यह रुद्र अभिषेक करने से पहले मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए पढ़े जाने वाले वैदिक मंत्रों का एक समूह है।

रुद्र त्रिशती (रुद्र के 300 नाम) का जाप करते हुए शिव की बिल्व पत्र अर्चना भी की जाती है। रुद्र त्रिशती अर्चना एक ध्वनि और प्रकाश अनुष्ठान है जो श्री रुद्रम के छंदों का उपयोग करके मूलरूप से रुद्र के लिए किया जाता है। यह वेदों में वर्णित रुद्र (शिव) की पूजा का एकमात्र तरीका है। इस अर्चना का मुख्य आकर्षण रुद्र को चढ़ाए जाने वाले 300 बिल्व पत्र हैं। भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाने से सबसे भयानक बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं।

मुफ्त शिपिंग

₹ 1150.00

मुझे क्या मिलेगा?

आपको अनुष्ठानों के माध्यम से ऊर्जान्वित की गई पवित्र भभूत और कुमकुम प्राप्त होगा। इसे अपनी ध्यान वेदी पर रखें और ध्यान के दौरान अपने माथे लगाकर जीवन में दिव्य आशीर्वाद का विस्तार करने के लिए पहनें।

डॉ. पिल्लई कहते हैं

कर्मकांड विचारों का कार्बोनाइजेशन है, कार्बन हमारे सूचना युक्त परम अणु है। प्रसाद के रूप में दिया गया कार्बन अवशेष (राख या भभूत) जब पूजा में भाग लेने वाले प्रतिभागियों और उनके परिजनों के मस्तक पर लगाई जाती है जो उन्हे पूजा से प्राप्त होने वाले भी आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।

आवश्यक नोट

प्रसाद का घरेलू शिपमेंट चेन्नई, तमिलनाडु से शुरू होता है और एक सप्ताह के बाद अनुष्ठान पूरा हो जाता है।
अंतरराष्ट्रीय शिपिंग के लिए, विभिन्न देशों में जारी नए लॉकडाउन नियमों के लागू होने और प्रतिबंधित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के कारण, आपके प्रसाद शिपमेंट में देरी की आकांशा है।