‘अक्षय’ शब्द का अर्थ है- जिसका कभी क्षय अथवा नाश न हो। इस पर्व पर किया हुआ जप, तप, तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है इसलिए इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं। सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र से युक्त तृतीया हो तो उसमें स्नान और उपवास करने से अखंड फल की प्राप्ति होती है। एक वर्ष में अक्षय तृतीया ही एक मात्र ऐसा समय है जब सूर्य व चन्द्र दोनों अपनी उच्च राशि में होते हैं। अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहूर्त के रूप में भी बहुत प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बिना पंचांग देखे अथवा मुहूर्त का विचार किए कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य करना बहुत शुभ होता है। इस शुभ पर्व पर विवाह, गृह-प्रवेश, घर, भूखंड, वाहन आदि की ख़रीददारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था आदि की स्थापना या उदघाटन का कार्य भी श्रेष्ठ माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिंडदान अथवा किसी और प्रकार का दान अक्षय फल प्रदान करता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस तिथि की गणना युगादि तिथि के रूप में भी होती है। सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से माना जाता है। भगवान विष्णु के नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतार भी इसी तिथि को हुआ था। इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से पुनः खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य व दिए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता है। इस शुभ त्यौहार पर निम्नलिखित दस वस्तुओं का दान अत्यंत श्रेष्ठ व पुण्य फलदायी माना जाता है:-

तृतीया तिथि माँ गौरी से संबंधित है, जो बल-बुद्धि वर्धक मानी गई हैं। अत: सुखद गृहस्थ की कामना से जो भी विवाहित स्त्री-पुरुष इस दिन माँ गौरी व सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा करते हैं, उनके सौभाग्य में वृद्धि होती है। यदि अविवाहित स्त्री-पुरुष इस दिन श्रद्धा विश्वास से माँ गौरी सहित अनंत प्रभु शिव को परिवार सहित शास्त्रीय विधि से पूजते हैं तो उन्हें सफल व सुखद वैवाहिक सूत्र में अविलम्ब व निर्बाध रूप से जुड़ने का पवित्र अवसर अति शीघ्र मिलता है। इस पर्व के शुभावसर पर उपरोक्त वस्तुओं का दान करके आप भी पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
आप सभी को अक्षय तृतीया की बहुत बहुत शुभकामनाएँ!