4 पुजारियों द्वारा भव्य निकुम्बाला प्रत्यंगिरा देवी यज्ञ
(बाधा व नकारात्मकता के शमन हेतु यज्ञ)
सीधा प्रसारण 8 अप्रैल 2018 (भारतीय मानक समयानुसार)
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8 अप्रैल को परम सुरक्षात्मक देवी प्रत्यंगिरा के आवाहन हेतु एस्ट्रोवेद 4 पुजारियों द्वारा एक विशेष भव्य यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन करेगा ताकि आपको चौतरफा सुरक्षा, सकारात्मकता, शांति व समृद्धि की प्राप्ति हो सके| रामायण में रावण के पुत्र निकुम्बाला ने देवों के देव इंद्र पर विजय प्राप्त करने हेतु इस उग्र देवी की पूजा की थी| इस विजय के पश्चात उसे ‘इंद्रजीत’ कहा जाता था अर्थात जिसने इंद्र को जीता हो| इस प्रकार निकुम्बाला प्रत्यंगिरा देवी का यज्ञ समस्त प्रयासों में विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
इस प्रत्यंगिरा यज्ञ की विशेषता इसमें प्रयुक्त होने वाले हस्त चयनित 9 पवित्र भोग हैं जिनका प्रयोग इस उग्र देवी की सुरक्षात्मक कृपा प्राप्त करने हेतु यज्ञ के दौरान किया जाएगा| पवित्र ग्रंथों के अनुसार इनमें से प्रत्येक भोग का अपना महत्व होता है जिनके द्वारा आप निम्नलिखित आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं:
8 अप्रैल को चंद्रमा सूर्य द्वारा शासित अजेय नक्षत्र उत्तराषाढ़ा से गोचर करेगा| सूर्य मीन राशि में होगा तथा मंगल से दृष्टि प्राप्त कर रहा होगा| इस दिन चंद्रमा धनु राशि में मंगल व शनि से युति करेगा| इस दिन मंगल सूर्य व चंद्रमा दोनों प्रकाशमान ग्रहों को प्रभावित करेगा तथा इस प्रकार देवी प्रत्यंगिरा की उर्जा को प्राप्त करने हेतु इस दिन को शक्तिशाली बनाएगा| उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में अप्रधृष्या शक्ति निहित है जो स्थायी विजय प्रदान करती है| इसलिए इस दिन शक्तिशाली देवी प्रत्यंगिरा की पूजा-अर्चना करने से आपको नकारात्मक प्रभाव, बुरी नज़र व काले जादू के भय से मुक्ति मिल सकती है|
निकुम्बाला प्रत्यंगिरा देवी के निमित इस विशेष पूजा-अर्चना द्वारा आपको नकारात्मकता से उबरने में मदद मिलती है तथा चारों ओर से सुरक्षा प्राप्त हो सकती है|
8 अप्रैल को परम सुरक्षात्मक देवी प्रत्यंगिरा के आवाहन हेतु एस्ट्रोवेद 4 पुजारियों द्वारा एक विशेष भव्य यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन करेगा ताकि आपको चौतरफा सुरक्षा, सकारात्मकता, शांति व समृद्धि की प्राप्ति हो सके| अपने समस्त प्रयासों में विजय प्राप्त करने हेतु इस भव्य यज्ञ अनुष्ठान में अवश्य भाग लें|
आप क्या प्राप्त करेंगे?-
आपको पवित्र विभूति व लाल सिंदूर प्रदान किए जाएंगे। जो कि इस पवित्र अनुष्ठान द्वारा सिद्ध होंगे। इस पवित्र विभूति व सिंदूर को अपने मंदिर अथवा ध्यान कक्ष में रखें तथा अपनी दैनिक पूजा व ध्यान करने के समय इन्हें अपने मस्तक पर धारण करके दैवीय कृपा प्राप्त करें।
डॉ. पिल्लै के अनुसार-
“यह अनुष्ठान हमारे विचारों का कार्बनीकरण कर देता है। कार्बन हमारी सूचनाओं से सम्बंधित सूक्ष्म अनु कण होते हैं। इस कार्बनीकरण प्रक्रिया से प्राप्त पवित्र राख को प्रसाद स्वरुप दिया जाता है। इस प्रसाद स्वरूप पवित्र राख को मस्तक पर धारण करने से आपको दैवीय कृपा प्राप्त होती है।”
कृपया ध्यान दें- इस पूरी अनुष्ठान प्रक्रिया के उपरांत आपको दिया जाने वाला प्रसाद एक सप्ताह के बाद चेन्नई (तमिलनाडु) से भेज दिया जाएगा। विदेशों में पहुँचाने हेतु कृपया हमें दो से चार हफ़्तों का समय दें।