आशावादी गुरु का राजनीति से संबंधित शुक्र की तुला राशि में प्रवेश
जीवन में सदभाव, खुशी व उत्तम भाग्य की प्राप्ति हेतु 13 माह की महत्वपूर्ण समयावधि
सीधा प्रसारण 11 सितम्बर 2017 को सांयकाल 6:30 बजे(पैसेफिक मानक समयानुसार)रात्रि 9:30 बजे(ईस्टर्न मानक समयानुसार)/ 12 सितम्बर 2017 को प्रातः 7:30 बजे(भारतीय मानक समयानुसार)
उपचारात्मक शक्तिस्थल पर गुरु ग्रह से संबंधित 21 दिवसीय अधिलाभांश अर्चना (20 अगस्त से पूर्व पंजीकरण कराएं|)
खुशी, धन व भाग्य का कारक ग्रह बृहस्पति (गुरु) कन्या राशि से निकलकर शुक्र की तुला राशि में प्रवेश करने जा रहा है| तुला मे गुरु का गोचर एक महान भाग्यशाली समय का निर्माण करता है जोकि धन-संपदा व भाग्य को बढाने व आकर्षित करने में सहायक है| यह समय परोपकारी गतिविधियों के माध्यम से योग्यता प्राप्त करने के लिए भी अनुकूल है।
गुरु जोकि प्राकृतिक राशि चक्र में नवें और बारहवें भाव का स्वामी है, संबंधों और साझेदारी के सप्तम भाव से गोचर करेगा| यह गोचर लेन-देन व वार्तालाप के माध्यम से लाभ कमाने करने के अवसर दे सकता है। एक तमिल कहावत के अनुसार गुरु की दृष्टि नकारात्मकता को दूर करके बहुविध लाभ प्रदान कर सकती है
बृहस्पति को वैदिक ज्योतिष में सात्विक व शुभ ग्रह माना जाता है, कुंडली में अपनी स्थिति के अनुरूप इसमें आशावादी व सकारात्मक फल प्रदान करने की प्रवृत्ति होती है। इसलिए एक साल शुक्र की राशि तुला(शत्रु राशि) में रहने के बावजूद गुरु आपकी स्वविकास व इच्छाओं की पूर्ति हेतु कार्य कर सकता है| यह नए अवसरों को प्राप्त करने में भी आपकी मदद करसकता है| कुल मिलाकर तुला राशि में गोचर के दौरान यह जीवन-समृद्ध ग्रह आपके जीवन में सदभाव व संतुलन ला सकता है क्योंकि तुला राशि तराजू की प्रतीक है
तुला राशि में गुरु तीन मित्र नक्षत्रों से गोचर करेगा: चित्रा (मंगल ग्रह का नक्षत्र), स्वाती (राहु का नक्षत्र) और विशाखा(गुरु का नक्षत्र)| यह ग्रह-नक्षत्र संयोजन निम्नलिखित आशीर्वाद प्रदान कर सकते हैं:
एस्ट्रोवेद की गुरु गोचर उपचारात्मक अनुष्ठानों को सुदक्ष ज्योतिषियों द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें भगवान शिव के अवतार दक्षिणमूर्ति(गुरु) को शांत व प्रसन्न करने की प्रक्रिया शामिल है| दक्षिणमूर्ति जोकि यक्षों के सलाहकार हैं, अज्ञानता को दूर करके आपके विकास को बढाकर प्रचुरता प्रदान कर सकते हैं| तुला राशि में गुरु के गोचर से शुक्र व बृहस्पति की संयुक्त ऊर्जा आपके लिए कई सीखने के अवसरों को ला सकती है तथा आपके जीवन का विकास कर सकती है| बृहस्पति का यह आशीर्वाद अन्य ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को भी कम कर सकता है।
बृहस्पति से संबंधित इन समयबद्ध अनुष्ठानों में भाग लेने से आप स्वयं का विकास कर सकते हैं| इच्छाओं की पूर्ति करके आप अपने लक्ष्यों के करीब पहुंच सकते हैं। आप देवगुरु बृहस्पति की कृपा का आवाहन करके ज्ञान व खुशी प्राप्त कर सकते हैं|
– गुरु गोचर आवश्यक पैकेज
– गुरु गोचर वर्धित पैकेज
– गुरु गोचर उत्कृष्ट पैकेज
वर्ष के इस महत्वपूर्ण गोचर हेतु स्वयं को तैयार करने के लिए वैदिक ज्योतिष की शक्ति का उपयोग करें। हमारी व्यक्तिगत गुरु गोचर रिपोर्ट आपकी जन्म व चंद्रकुंडली से गुरु की स्थिति का विश्लेषण करके आपके जीवन में होने वाले घटनाओं के संभावित नतीजों की भविष्यवाणी करती है। यह जानना कि गुरु का गोचर आपके जीवन को कैसे प्रभावित करेगा, आगामी वर्ष में अनुकूल और प्रतिकूल घटनाओं के लिए खुद को तैयार करने में आपकी सहायता कर सकता है
तुला राशि में गोचर के दौरान यह जीवन-समृद्ध ग्रह आपके जीवन में सदभाव व संतुलन ला सकता है क्योंकि तुला राशि तराजू की प्रतीक है। तुला राशि में गुरु के गोचर से शुक्र व बृहस्पति की संयुक्त ऊर्जा आपके लिए कई सीखने के अवसरों को ला सकती है तथा आपके जीवन का विकास कर सकती है| बृहस्पति का यह आशीर्वाद अन्य ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को भी कम कर सकता है। आप देवगुरु बृहस्पति की कृपा का आवाहन करके ज्ञान व खुशी प्राप्त कर सकते हैं|
आप क्या प्राप्त करेंगे?-
आपको पवित्र विभूति व लाल सिंदूर प्रदान किए जाएंगे। जो कि इस पवित्र अनुष्ठान द्वारा सिद्ध होंगे। इस पवित्र विभूति व सिंदूर को अपने मंदिर अथवा ध्यान कक्ष में रखें तथा अपनी दैनिक पूजा व ध्यान करने के समय इन्हें अपने मस्तक पर धारण करके दैवीय कृपा प्राप्त करें।
डॉ. पिल्लै के अनुसार-
“ यह अनुष्ठान हमारे विचारों का कार्बनीकरण कर देता है। कार्बन हमारी सूचनाओं से सम्बंधित सूक्ष्म अनु कण होते हैं। इस कार्बनीकरण प्रक्रिया से प्राप्त पवित्र राख को प्रसाद स्वरुप दिया जाता है। इस प्रसाद स्वरूप पवित्र राख को मस्तक पर धारण करने से आपको दैवीय कृपा प्राप्त होती है।”
कृपया ध्यान दें- इस पूरी अनुष्ठान प्रक्रिया के उपरांत आपको दिया जाने वाला प्रसाद एक सप्ताह के बाद चेन्नई (तमिलनाडु) से भेज दिया जाएगा। विदेशों में पहुँचाने हेतु कृपया हमें दो से चार हफ़्तों का समय दें
बृहस्पति को वैदिक ज्योतिष में सात्विक व शुभ ग्रह माना जाता है, कुंडली में अपनी स्थिति के अनुरूप इसमें आशावादी व सकारात्मक फल प्रदान करने की प्रवृत्ति होती है। इसलिए एक साल शुक्र की राशि तुला(शत्रु राशि) में रहने के बावजूद गुरु आपकी स्वविकास व इच्छाओं की पूर्ति हेतु कार्य कर सकता है| आप गुरु के गोचर से संबंधित उपचारात्मक अनुष्ठानों में भाग लेकर गुरु ग्रह की कृपा का आवाहन करके ज्ञान व खुशी प्राप्त कर सकते हैं
आप क्या प्राप्त करेंगे?-
आपको अभिमंत्रित उत्पादों के साथ-साथ पवित्र यज्ञ से प्राप्त विभूति व लाल सिंदूर प्रदान किए जाएंगे। जो कि इस पवित्र अनुष्ठान द्वारा सिद्ध होंगे। इस पवित्र विभूति व सिंदूर को अपने मंदिर अथवा ध्यान कक्ष में रखें तथा अपनी दैनिक पूजा व ध्यान करने के समय इन्हें अपने मस्तक पर धारण करके दैवीय कृपा प्राप्त करें
डॉ. पिल्लै के अनुसार-
“ यह अनुष्ठान हमारे विचारों का कार्बनीकरण कर देता है। कार्बन हमारी सूचनाओं से सम्बंधित सूक्ष्म अनु कण होते हैं। इस कार्बनीकरण प्रक्रिया से प्राप्त पवित्र राख को प्रसाद स्वरुप दिया जाता है। इस प्रसाद स्वरूप पवित्र राख को मस्तक पर धारण करने से आपको दैवीय कृपा प्राप्त होती है।”
कृपया ध्यान दें- इस पूरी अनुष्ठान प्रक्रिया के उपरांत आपको दिए जाने वाले उत्पाद तथा प्रसाद एक सप्ताह के बाद चेन्नई (तमिलनाडु) से भेज दिए जाएंगे। विदेशों में पहुँचाने हेतु कृपया हमें दो से चार हफ़्तों का समय दें।
एस्ट्रोवेद के गुरु गोचर उपचारात्मक अनुष्ठानों को सुदक्ष ज्योतिषियों द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें भगवान शिव के अवतार दक्षिणमूर्ति(गुरु) को शांत व प्रसन्न करने की प्रक्रिया शामिल है| दक्षिणमूर्ति जोकि यक्षों के सलाहकार हैं, अज्ञानता को दूर करके आपके विकास को बढाकर प्रचुरता प्रदान कर सकते हैं| आप गुरु के गोचर से संबंधित उपचारात्मक अनुष्ठानों में भाग लेकर गुरु ग्रह की कृपा का आवाहन करके ज्ञान व खुशी प्राप्त कर सकते हैं
आप क्या प्राप्त करेंगे?-
आपको अभिमंत्रित उत्पादों के साथ-साथ पवित्र यज्ञ से प्राप्त विभूति व लाल सिंदूर प्रदान किए जाएंगे। जो कि इस पवित्र अनुष्ठान द्वारा सिद्ध होंगे। इस पवित्र विभूति व सिंदूर को अपने मंदिर अथवा ध्यान कक्ष में रखें तथा अपनी दैनिक पूजा व ध्यान करने के समय इन्हें अपने मस्तक पर धारण करके दैवीय
डॉ. पिल्लै के अनुसार-
“ यह अनुष्ठान हमारे विचारों का कार्बनीकरण कर देता है। कार्बन हमारी सूचनाओं से सम्बंधित सूक्ष्म अनु कण होते हैं। इस कार्बनीकरण प्रक्रिया से प्राप्त पवित्र राख को प्रसाद स्वरुप दिया जाता है। इस प्रसाद स्वरूप पवित्र राख को मस्तक पर धारण करने से आपको दैवीय कृपा प्राप्त होती है ”
कृपया ध्यान दें- इस पूरी अनुष्ठान प्रक्रिया के उपरांत आपको दिए जाने वाले उत्पाद तथा प्रसाद एक सप्ताह के बाद चेन्नई (तमिलनाडु) से भेज दिए जाएंगे। विदेशों में पहुँचाने हेतु कृपया हमें दो से चार हफ़्तों का समय दें